By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 17, 2020
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि हमारा लक्ष्य सभी ग्राम पंचायतों में कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) खोलने का है और पहले चरण में राज्य के सभी ब्लाकों, दूसरे चरण में न्याय पंचायतों और तीसरे चरण में सभी ग्राम पंचायतों में एफपीओ खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब तक 336 एफपीओ खोले जा चुके हैं औरएफपीओ से कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलाव आएगा।मुख्यमंत्री यहां लोकभवन के सभागार में प्रगतिशील किसानों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पहले भी सब कुछ था, पर पिछली सरकारों की उदासीनता के कारण किसान बदहाल थे, वे खुदकुशी कर रहे थे, वे खेती से किनारा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दो साल में हम काफी हद तक बदलाव लाने में सफल रहे। योगी ने कहा कि कैबिनेट की पहली बैठक में हमने लघु एवं सीमांत किसानों का एक लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया, बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत आलू किसानों को राहत दी। उन्होंने कहा कि रिकार्ड मात्रा में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान, गेहूं की खरीद कर 72 घंटे के भीतर किसानों के खाते में पैसा भेजा गया।
उन्होंने कहा कि किसान मानधन योजना के तहत अब तक करीब 1.83 करोड़ किसानों के खाते में 11594.18 करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों में गन्ना किसानों का भुगतान रुका था, मिलें बंद हो रहीं थीं और बेची जा रही थीं। उन्होंने कहा कि हमने रिकॉर्ड 82 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया। नई मिलें खोलीं। आज 116 की बजाय प्रदेश में 121 चीनी मिलें चल रही हैं। पुरानी मिलों का आधुनिकीकरण और क्षमता विस्तार हो रहा है। मिल मालिकों को साफ निर्देश है कि जब तक किसान के खेत में गन्ना है तब मिलें चलनी चाहिए। यही वजह है कि पिछले पेराई सत्र में मध्य जून तक मिलें चलीं।मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि किसानों की आय बढ़े इसके लिए न्यूनतम लागत में अधिकतम उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। इसीलिए सिंचाई की दक्ष विधाओं ड्रिप और स्प्रिंकलर को अनुदान पर मिलने वाली बोरिंग योजनाओं के साथ अनिवार्य किया जा रहा है। समय पर कृषि निवेश उपलब्ध कराया जा रहा है।
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कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि विश्वविद्यालयों के जरिये किसानों को खेती-बारी के अद्यतन तौर-तरीके से अवगत कराया जा रहा है। इस सबके नतीजे सामने हैं। मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आबादी के लिहाज से देश ही नहीं, दुनिया के इस सबसे बड़े सूबे में कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। यहां के गंगा के मैदानी क्षेत्रों की भूमि सर्वाधिक उर्वर है। प्रचुर मात्रा में पानी, मानव संसाधन और वैविध्यपूर्ण जलवायु इन संभावनाओं को और बढ़ा देती हैं। इन सारी चीजों से प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदली जा सकती है। बदलाव का यह दौर जारी रहे इसके लिए परंपरागत खेती के बजाय कृषि विविधिकरण को प्रोत्साहित करना होगा। अगर अपने उत्पादों को सरकार बाजार की मांग के अनुसार प्रसंस्कृत करा ले गई, तो पूरी दुनिया उप्र के कृषि उत्पादों की बाजार होगी। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ने अमरोहा के कृषि विज्ञान केंद्र और हरदोई एवं बाराबंकी के पांच किसान कल्याण केंद्रों का भी शिलान्यास किया।