क्या है एक देश-एक राशन कार्ड योजना और इससे किसको कैसे मिलेगा फायदा?

By अंकित सिंह | May 21, 2020

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की। इस घोषणा में वित्त मंत्री ने ‘एक देश, एक राशन कार्ड’ योजना का भी ऐलान किया। जिसे मार्च 2021 तक शत-प्रतिशत लागू कर दिया जाएगा। जिसके बाद देश में कहीं भी पीडीएस (PDS) केंद्र से राशन लेना संभव होगा। इस योजना के लागू होने के बाद लाभार्थी देश के किसी भी कोने से अपने हिस्से का राशन ले सकेंगे। तो चलिए आपको बता देते हैं कि यह कैसे उपयोगी साबित होगा 'एक देश, एक राशन कार्ड'। सबसे पहले आपको बताते है कि-

 

'एक देश, एक राशन कार्ड' आखिर है क्या-


एक देश, एक राशन कार्ड का मतलब एक ही राशन कार्ड का इस्तेमाल देश के किसी भी हिस्से में किया जा सकता है। इस योजना को लागू करने का मूल उद्देश्य यह है कि देश का कोई भी गरीब व्यक्ति सब्सिडी आधारित खाद्य पदार्थों से वंचित न रहे। यह योजना देश के 77% राशन की दुकानों पर लागू की जा सकती हैं। योजना वहीं लागू होगी जहां पहले से PoS मशीन उपलब्ध है। इस योजना को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत पीडीएस की 83 फीसदी आबादी वाले 23 राज्यों में 67 करोड़ लाभार्थियों को अगस्त 2020 तक राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी द्वारा कवर किया जाएगा। हालांकि मार्च 2021 तक शत-प्रतिशत राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी प्राप्त की जाएगी। 

 

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इस योजना का जोर खासकर गरीब से गरीब व्यक्ति, महिलाओं और बच्चों के जरूरतों को पूरा करने पर है। इस योजना की सबसे जरूरी बात यह है कि कामकाज के सिलसिले में एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले प्रवासियों को भी नए शहर में राशन कार्ड बनवाने नहीं पड़ेंगे बल्कि वे पुराने राशन कार्ड पर ही सरकारी फायदा उठा सकते हैं। इस राशन कार्ड का इस्तेमाल देश भर में किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से सस्ता अनाज सहित दूसरे लाभ भी उठाए जा सकते हैं।


इस योजना के बारे में अगर हम आपको आसान भाषा में समझाएं तो यह योजना मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी यानी कि MNP की ही तरह है। जैसे कि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के बाद भी आपका मोबाइल नंबर नहीं बदलता है और आप देश भर में एक ही नंबर से बातचीत कर सकते हैं। ठीक उसी तरह, राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी में आपका राशन कार्ड भी नहीं बदलेगा। यानी कि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर भी आप वहीं राशन कार्ड इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि आप रोहन कुमार बिहार के निवासी हैं। आपका राशन कार्ड भी बिहार का है। लेकिन कामकाज करने की वजह से आप दिल्ली में आकर रह रहे हैं। इस परिस्थिति में आप को दिल्ली में अलग से राशन कार्ड नहीं बनवाना पड़ेगा। आप बिहार के ही राशन कार्ड पर दिल्ली में भी उचित मूल्य पर सरकारी सामान खरीद सकते हैं। सरकार का दावा है कि इस योजना से भ्रष्टाचार और फर्जी राशन कार्ड में कमी आएगी।


इस योजना का किसे होगा लाभ

इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ मजदूर और गरीब वर्ग को होगा जो काम के सिलसिले में एक राज्य से दूसरे राज्य की ओर जाते हैं। उन्हें अलग-अलग राज्यों में राशन कार्ड बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह एक ही राशन से सरकारी लाभ ले सकते हैं। उन्हें राशन कार्ड के लिए किसी फर्जीवाड़े से भी बचने में सहायता मिलेगी। भारत का कोई भी नागरिक इस राशन कार्ड के लिए अप्लाई कर सकता है। राशन कार्ड का अप्लाई करते वक्त आपके पास भारतीय नागरिक के तौर पर पहचान पत्र होने चाहिए। 18 साल से कम उम्र के बच्चों का नाम उनके माता-पिता के राशन कार्ड में ही जोड़ा जाएगा। इन कार्ड धारकों को चावल ₹3 किलो की दर से और गेहूं ₹2 किलो की दर से मिलेगा।

 

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कैसे की जाएगी पहचान

जैसा कि हमने पहले ही बताया कि यह योजना उन सरकारी दुकानों पर लागू होगी जहां पहले से इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल यानी कि पीओएस डिवाइस मौजूद है। आपको अपने राशन कार्ड को आधार से लिंक कराना पड़ेगा ताकि पब्लिक डिसटीब्यूशन सिस्टम के तहत आने वाले लोगों की पहचान की जा सके। पीडीएस के तहत राशन उपलब्ध कराने वाली दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल डिवाइस लगे होंगे जो आधार कार्ड को देख कर राशन लेने वाले व्यक्ति की सही पहचान कर पाएगी।


नहीं है राशन कार्ड तभी बनवाए नया कार्ड

इस योजना के लिए सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर आपके पास राशन कार्ड नहीं है तभी बनवाना होगा। अगर आपके पास राशन कार्ड पहले से उपलब्ध है तो आपको नया बनवाने की जरूरत नहीं है। आपको उसी कार्ड पर अनाज मिलेगा। आप अपने राशन कार्ड को आधार से लिंक जरूर करवालें।

 

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17 राज्यों में किया गया लागू

उत्तर प्रदेश और बिहार समेत देश के 17 राज्यों ने राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी को लागू कर दिया है। इसे लागू करने वालों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, झारखंड और त्रिपुरा जैसे राज्य भी शामिल हैं। बाकी धीरे-धीरे सुविधाओं के आधार पर बाकी राज्य भी इसमें शामिल हो जाएंगे।


- अंकित सिंह


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