By नीरज कुमार दुबे | Dec 14, 2024
सरकार “एक देश, एक चुनाव” से संबंधित दो विधेयक आगामी 16 दिसंबर को लोकसभा में पेश करेगी। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल निचले सदन में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक पेश करेंगे। हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा के क्रियान्वयन के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक को गत 12 दिसंबर को मंजूरी दी थी।
मंत्रिमंडल ने दो मसौदा कानूनों को मंजूरी दी है, जिसमें से एक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है, जबकि दूसरा विधेयक विधानसभाओं वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों के एक साथ चुनाव से जुड़ा है। संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत, जबकि दूसरे विधेयक के लिए सदन में सामान्य बहुमत की आवश्यकता होगी। हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के नेतृत्व वाली एक उच्चस्तरीय समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के साथ-साथ चरणबद्ध तरीके से नगर निकाय और पंचायत चुनाव कराने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन मंत्रिमंडल ने ‘‘फिलहाल’’ स्थानीय निकाय चुनावों के मुद्दे से दूरी रखने का निर्णय किया है।
इस बीच, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा भाजपा की नहीं बल्कि देश के संस्थापकों की सोच थी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एक साथ चुनाव कराने के विचार के समर्थक थे और उनका मानना था कि इस योजना को या तो आम सहमति से या पूर्ण बहुमत वाली सरकार द्वारा क्रियान्वित किया जा सकता है। कोविंद ने यह भी कहा कि चुनावों की श्रृंखला एक निर्वाचित सरकार को अपने चुनावी वादों और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लगभग साढ़े तीन साल का समय देती है। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से सरकारों को शासन के लिए अधिक समय मिलेगा।
समिति में विपक्ष के सदस्य के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कोविंद ने कहा कि शुरू में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी सदस्य बनने के इच्छुक थे और चाहते थे कि सरकार उन्हें नियुक्ति पत्र भेजे। उन्होंने कहा, ‘‘लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं’’ कि चौधरी ने पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के बाद हटने का फैसला किया। कोविंद ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ पर परामर्श प्रक्रिया के दौरान 32 राजनीतिक दलों ने इस विचार का समर्थन किया, जबकि 15 ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि जब हम लोकतंत्र में रह रहे हैं तो बहुमत का पक्ष लागू होना चाहिए। ये 32 दल जो इसके पक्ष में हैं, उनके विचारों को देश को स्वीकार करना चाहिए। अन्य को अपने विचार बदलने चाहिए। जो 15 दल इससे सहमत नहीं हैं, उन्हें इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए।''