Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के नौ दिन देवियों को लगाएं अलग-अलग भोग, बरसेगी कृपा

By अनन्या मिश्रा | Mar 21, 2023

चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 22 मार्च 2023 से होने जा रहा है। चैत्र नवरात्रि से ही नया हिंदू विक्रम संवत 2080 की भी शुरूआत हो रही है। बता दें कि इस दिन को महाराष्ट्र में हिंदू नववर्ष को गुडी पड़वा पर्व के रूप में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक साल में 4 बार नवरात्रि का पर्व आता है। लेकिन हमारे समाज में चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का खास महत्व है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर मां दुर्गा की आराधना और पूजा-पाठ किए जाने का विधान है। नवरात्रि के 9 दिनों में व्रत रखने के दौरान कुछ खास नियमों का पालन किया जाता है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को उनका क्या प्रिय भोग लगाना चाहिए।


पहला दिन

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि मां शैलपुत्रा राजा हिमालय की पुत्री हैं। इस कारण इनको सफेद रंग अतिप्रिय है। नवरात्रि के पहले दिन गाय के घी को भोग लगाना उत्तम होता है। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनके सारे संकट हर लेती हैं।

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दूसरा दिन

नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है। मां ब्रह्मचारिणी के पूजन से व्यक्तित्व में सदाचार, वैराग्य और संयम बढ़ने लगता है। मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। इससे मां ब्रह्मचारिणी दीर्घायु होने का वरदान देती है। इस प्रसाद को घर में सभी लोगों को अवश्य दें। 


तीसरा दिन

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि चंद्रघंटा की पूजा से व्यक्ति सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है। इस दिन मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाइयों और खीर आदि का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से धन-वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।


चौथे दिन

नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित होता है। इस दिन मां कूष्मांठा को मालपुए का भोग लगाया जाता है। इस दिन माता को लगाए गए भोग को ब्राह्मणों को दान करने से व्रत का फल अधिक प्राप्त होता है। साथ ही इस प्रसाद को घर के सभी सदस्यों को भी ग्रहण करना चाहिए। इससे बुद्धि का विकास होने के साथ ही मनोबल भी बढ़ता है।


पांचवे दिन

नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस दिन मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाया जाता है। मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाने से सभी तरह के शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है। साथ ही बच्चों के करियर में भी अच्छा रहता है।


छठा दिन

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी के पूजन का विधान है। इस दिन मां कात्यायनी को लौकी, मीठे पान और शहद का भोग लगाया जाता है। इन चीजों का भोग लगाने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है। साथ ही घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं रहता है।


सातवां दिन

नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है। मां कालरात्रि शत्रुओं का नाश करती है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि को गुड़ से बना भोग लगाना चाहिए। गुड़ से बना भोग लगाने से मां कालरात्रि रोग-शोक से मुक्ति देती हैं। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।


आठवां दिन

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। माता महागौरी को नारियल का भोग लगाने से जातक को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। इससे घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है।


नवां दिन

नवरात्रि के नवें दिन मां सिद्धदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन मां सिद्धदात्री को घर पर बनाए हलवा-पूड़ी और खीर का भोग लगाना चाहिए। हलवा-पूड़ी और खीर का भोग लगाने से मां सिद्धधात्री भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

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