पुराने साथियों ने याद किया Sharad Yadav का उतार-चढ़ाव भरा राजनीतिक करियर

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 14, 2023

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने शरद यादव जिन्होंने कभी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेतृत्व किया था, के शीर्ष नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले कुछ झटकों का शुक्रवार को परोक्ष रूप से जिक्र किया। तिवारी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के अलावा नीतीश की गिनती उन नेताओं में की जिन्हें उन्होंने ‘‘40 से अधिक वर्षों तक अपना समर्थन दिया था।’’ तिवारी ने यादव के बारे में कहा, ‘‘उनके जीवन के आखिरी कुछ साल कठिन थे। उन्होंने इतने सारे लोगों का समर्थन किया... और उन्होंने 2017 में राज्यसभा में अपनी खुद की सदस्यता (सदस्यता छिन ली गई) खो दी।’’

यादव पर तब जदयू द्वारा ‘‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’’ का आरोप लगाया गया था जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं इस दल का नेतृत्व कर रहे थे। लालू प्रसाद की पार्टी से नीतीश के नाता तोड़ने और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौटने के बाद आयोजित कार्यक्रमों में राजद नेताओं के साथ मंच साझा करने के बाद यादव को आरोप का सामना करना पड़ा। तिवारी ने यह भी खुलासा किया कि ‘‘समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के लिए आजीवन प्रतिबद्धता’’ के बावजूद यादव जो 2013 में जदयू के भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन से पहली बार बाहर निकलने तक राजग के संयोजक भी रहे थे, भगवा पार्टी के दिग्गजों के साथ उनके उत्कृष्ट व्यक्तिगत समीकरण रहे थे।

उन्होंने कहा कि शरद यादव की पुत्री के विवाह के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने सिर पर दूल्हे के घर जाने के लिए सींक की टोकरी ले गए थे। तिवारी ने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि वे (भाजपा) उन्हें रहने के लिए कोई सरकारी बंगला दिलाने में कभी मदद क्यों नहीं की, मेरी उनसे करीब एक महीने पहले बात हुई थी। उन्होंने बताया कि यादव वर्तमान में नई दिल्ली के केंद्र जहां उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया था, से दूर छतरपुर में एक किराए के घर में रहने को लेकर परेशान थे।

उल्लेखनीय है कि यादव ने अयोग्य घोषित होने के पांच साल बाद 2022 में संसद के सदस्य के रूप में उन्हें आवंटित बंगला खाली कर दिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री यादव जिन्होंने वीपी सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे थे, ने उच्चतम न्यायालय द्वारा यह बताए जाने तक कि उन्हें सरकारी बंगला खाली करना होगा, एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी। तिवारी ने कहा, ‘‘इतने उज्ज्वल राजनीतिक करियर का इतना शर्मनाक अंत।

वह आपातकाल के दौरान ही बेहद लोकप्रिय हो गए थे और वह महान मधु लिमये के अलावा एकमात्र सांसद थे जिन्होंने चुनाव का स्थगन और संसद के कार्यकाल के विस्तार के विरोध में अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।’’ जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद जिन्होंने दिल्ली में पार्टी के मुख्यालय में दिवंगत नेता की स्मृति में एक शोक सभा की अध्यक्षता की, ने एक और किस्सा सुनाया, जो राजद के साथ शरद यादव द्वारा साझा किए गए उतार-चढ़ाव वाले समीकरणों पर प्रकाश डालता है। उन्होंने कहा कि ‘‘1997 में’’ अविभाजित जनता दल का संगठनात्मक चुनाव निर्धारित किया गया था।

लालू प्रसाद कार्यवाहक अध्यक्ष थे और उन्होंने शीर्ष पद के चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था और इसी तरह शरद यादव ने भी। यह स्पष्ट हो गया था कि यादव जीतने जा रहे थे। प्रसाद ने इसे महसूस किया और उन्होंने पार्टी को तोड़ दिया और उनके गुट को राष्ट्रीय जनता दल के रूप में जाना जाने लगा। उन्होंने बताया कि पार्टी के विभाजन के दो साल बाद यादव ने प्रसाद को जो उस समय बिहार की राजनीति में शीर्ष पर थे, को चौंका दिया था जब उन्होंने 1999 के आम चुनावों में मधेपुरा लोकसभा सीट पर उन्हें हार कर जीत दर्ज की। राजद नेता ने पांच साल बाद यादव को उस सीट पर मात दी। यादव को 2014 तक मधेपुरा में राजद के प्रतिद्वंदियों के साथ संघर्ष करना पड़ा जब वह कड़े मुकाबले में पप्पू यादव से हार गए। बाद में यादव राजद के साथ आ गए जिसने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें उनकी सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। करीब एक साल बाद बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पुत्री को चुनावी मैदान में उतारा गया था।

प्रमुख खबरें

Parliament Diary: हंगामेदार रहा पहला दिन, नहीं हो सका कामकाज, मोदी ने विपक्ष को धोया

Weekly Love Horoscope 25 November to 1 December 2024 | पार्टनर से बहस करने से बचें! बढ़ेगा अहंकार का टकराव, प्रेमी जोड़ों के लिए कैसा रहेगा आने वाला सप्ताह?

ब्रिटेन में पिछले सप्ताह तीन सैन्य ठिकानों के पास ड्रोन देखे गए: अमेरिकी वायुसेना

इस तरह से पाएं शनिदेव की कृपा, रोजाना करें ये काम प्रसन्न रहेंगे शनि