By अंकित सिंह | Jan 25, 2024
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा असम के बाद अब पश्चिम बंगाल में पहुंच चुकी है। हालांकि, असम में हमने देखा कि किस तरीके से राहुल गांधी और वहां के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बीच लगातार वार-पलटवार का दौर होता रहा। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी हिमंत पर लगातार हमले करके अपने रास्ते से भटक गए या उन्होंने ऐसा जानबूझकर किया? क्या हिमंत के चाल में राहुल गांधी फंस गए? राष्ट्रीय मुद्दों पर फोकस करने की बजाय क्या राहुल गांधी क्षेत्रीय मुद्दों पर ही अटक गए? यह ऐसे सवाल है जो राहुल गांधी की असम यात्रा के बाद खूब उठ रहे है।
असम में भारत भारत जोड़ो न्याय यात्रा के एंट्री के साथ ही राज्य सरकार के साथ कांग्रेस की अनबन होती रही। राहुल गांधी लगातार अपने भाषणों के जरिए असम के मुख्यमंत्री को देश के सबसे भ्रष्ट सीएम बताते रहे। इतना ही नहीं, उन्होंने बार-बार यह दावा किया कि असम को दिल्ली से कंट्रोल किया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री और भाजपा न्याय यात्रा से डर गई है। राहुल गांधी की ओर यह भी आरोप लगा दिया गया कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा को भाजपा असम में रोकने की कोशिश कर रही है। राहुल ने राज्य सरकार पर यह भी आरोप लगा दिया कि उन्हें मंदिर में नहीं जाने दिया गया है, उन्हें विश्वविद्यालय में नहीं जाने दिया गया है। उनकी यात्राओं को लगातार रोकने की कोशिश की गई है। मामला तो इतना बिगड़ गया कि असम के मुख्यमंत्री ने राज्य के डीजीपी को राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। उसके बाद लगातार कार्रवाई भी चल रही है।
हिमंत बिस्वा सरमा भी राहुल गांधी के वार पर लगातार पलटवार करते रहे हैं। उन्होंने दावा किया भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल करेगी जहां से राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ गुजरी है। लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी को गिरफ्तार किया जाएगा। असम पुलिस ने यात्रा के दौरान स्वीकृत मार्ग से हटकर गुवाहाटी शहर में प्रवेश करने के लिए अपने समर्थकों को बैरिकेड तोड़ने के लिए उकसाने के आरोप में राहुल गांधी और कई अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है। उन्होंने आरोप लगाया, अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन उन्होंने (गांधी ने) सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए अल्पसंख्यक बहुल जिलों नगांव और मोरीगांव की यात्रा करने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि यह यात्रा क्या थी? इसकी टाइमिंग देखिए। उन्होंने असम में बड़ा सांप्रदायिक टकराव भड़काने की साजिश रची थी। इसकी एक झलक हमें गुवाहाटी में देखने को मिली।
राहुल ने बार-बार हिमंत बिस्वा सरमा पर प्रहार किया। हिमंत बिस्वा सरमा ने भी उन पर पलटवार किया। हालांकि, हिमंत बिस्वा सरमा के बयानों ने खूब सुर्खियां बटोरी। मीडिया में भी वह सुर्खियों में रही। राहुल का उद्देश्य कहीं ना कहीं असम के मुख्यमंत्री की चाल में दबता हुआ दिखाई दिया। मामला पूरी तरीके से राहुल बनाम मोदी होने की बजाय राहुल बनाम हिमंत बिस्वा सरमा हो गया। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि अमित शाह और हिमंत बिस्वा सरमा ने हमारी मदद की है। उन्होंने हमारे साथ जो किया, उसकी वजह से हमें प्रचार मिला। हालांकि, भाजपा देश को यह बताने में सफल होती दिखाई दे रही है कि जब राम मंदिर का उद्घाटन हो रहा था, तब राहुल गांधी ने महौल बिगड़ने की कोशिश कर रहे थे। हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी की नया यात्रा को मियां यात्रा भी बता दिया जिसके जरिए भाजपा ने यह संदेश देने की कोशिश की कि यह एक समुदाय के लिए ही यात्रा निकाली जा रही है और इसी समुदाय के लोग इस यात्रा में जा रहे हैं जिसका असर देश के बाकी हिस्सों में दिखाई दे सकता है। हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल पर असमिया संस्कृति को बिगाड़ने का भी आरोप लगा दिया। कुल मिलाकर देखें तो राहुल बनाम हिमंता की लड़ाई में असम के मुख्यमंत्री और भाजपा को फायदा होता दिखाई दे रहा है।