By दिनेश शुक्ल | Jun 09, 2020
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गेहूँ उर्पाजन में पूरे देश में नंबर वन आना सरकार और किसानों के लिये गौरव की बात है। पहली बार कोई राज्य पंजाब से आगे निकला है। कोरोना संकट के चलते इससे न केवल किसानों को बड़ी मदद मिली है अपितु प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी गतिशील हुई है। प्रदेश में काफी कम समय में रिकार्ड मात्रा में गेहूँ का उपार्जन बड़ी उपलब्धि है। मध्य प्रदेश पहली बार गेहूँ उपार्जन में पंजाब से आगे निकला है। इसके लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग सहित सभी संबंधित विभाग तथा पूरी टीम बधाई के पात्र हैं। मुख्यमंत्री मंगलवार को मंत्रालय में गेहूँ उपार्जन कार्य की समीक्षा कर रहे थे।
बैठक में बताया गया कि पंजाब में गेहूं उपार्जन का कार्य प्रायवेट आड़तियों के माध्यम से किया जाता है। मुख्यमंत्री चौहान ने निर्देश दिए कि वहाँ के सिस्टम का विस्तृत अध्ययन किया जाए तथा वहाँ की बेस्ट प्रेक्टिसेस को अपनाया जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि परिवहन से शेष गेहूँ का शीघ्र परिवहन कर उसे भंडार गृहों तक पहुंचाया जाए। बताया गया कि खरीदे गए गेहूँ की 95 प्रतिशत से अधिक मात्रा का परिवहन कर लिया गया है, शेष का जारी है। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि इस बार उपार्जन की एक विशेषता यह भी रही कि गत वर्षों की तुलना में काफी अधिक संख्या में लघु एवं सीमांत किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपना गेहूँ बेचा। उपार्जन के लिए पंजीकृत किसानों में से 15 लाख 72 हजार किसानों ने अपना गेहूँ बेचा, जिनमें 5 लाख 4 हजार सीमांत किसान एवं 3 लाख 8 हजार लघु किसान शामिल थे।
इस दौरान प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि गेहूँ उपार्जन में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। मध्य प्रदेश में अभी तक 127 लाख 81 हजार मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन किया गया है। पंजाब दूसरे स्थान पर है, जहाँ अभी तक 127 लाख 67 हजार एम.टी. गेहूँ का उपार्जन हुआ है। देश के सभी राज्यों द्वारा कुल उपार्जित गेहूँ का लगभग 33.03 प्रतिशत मध्यप्रदेश में उपार्जन किया गया है। पिछले वर्ष मध्यप्रदेश में 73.69 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन समर्थन मूल्य पर किया गया था। इस अवसर पर विभागीय मंत्री एवं अधिकारियों ने मुख्यमंत्री चौहान को गेहूँ उपार्जन संबंधी गतिविधियों एवं उपलब्धियों के छायाचित्रों का कोलाज मोमेन्टो के रूप में भेंट किया।