By अभिनय आकाश | Oct 29, 2021
भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना वायरस की मार झेल रही है। इस बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भविष्य के मानव निर्मित खतरों को लेकर देश-दुनिया को सचेत किया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में खतरनाक जैविक हथियार दुनिया के लिए गंभीर परिणाम साबित हो सकता है। दुनिया के लिए किसी भी जानलेवा वायरस को हथियार बनाकर इस्तेमाल करना गंभीर बात है। एनएसए डोभाल ने अपने बयान में कोरोना वायरस का उदाहरण देते हुए जैविक हथियारों का मुद्दा उठाया। भविष्य के जैविक हथियारों के खिलाफ सुरक्षा रणनीति को लेकर अजीत डोभाल ने कहा कि देश को अब नई रणनीति बनाने की जरूरत है।
महामारी का खतरा सीमित नहीं
पुणे इंटरनेशनल सेटर द्वारा आयोजित ‘पुणे डॉयलॉग’ में‘आपदा एवं महामारी के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की तैयारियों ’ पर बोलते हुए अजीत डोभाल ने कहा कि आपदा और महामारी का खतरा किसी सीमा के अंदर तक सीमित नहीं रहता और उससे अकेले नहीं निपटा जा सकता तथा इससे होने वाले नुकसान को घटाने की जरूरत है। कोविड-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा संदेश यह है कि सभी की भलाई ही सभी के जीवन को सुनिश्चित करेगी।
रोगाणुओं को हथियारों का रूप दिया चिंताजनक
एनएसए ने यह भी कहा कि कोविड -19 महामारी ने खतरों का पूर्वानुमान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है और जैविक अनुसंधान के वैध वैज्ञानिक उद्देश्य हैं, इसके दोहरे उपयोग से नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘खतरनाक रोगाणुओं को हथियारों का रूप दिया जाना एक गंभीर चिंता का विषय है। इसने व्यापक राष्ट्रीय क्षमताओं और जैव-सुरक्षा का निर्माण करने की जरूरत बढ़ा दी है।
नई रणनीति बनाने की जरूरत
चीन का नाम लिए बिना अजीत डोभाल ने कहा कि बायोलॉजिकल रिसर्च करना बेहद जरूरी है। लेकिन इसकी आड़ में इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि ऐसी रणनीति बनाई जाए जो हमारे मकसद को पूरा करे और हमारा नुकसान कम से कम हो। डोभाल ने नए वॉरफेयर की ओर इशारा करते हुए कहा कि अप क्षेत्रीय सीमाओं से इतर सिविल सोसाइटी की तरफ से स्थानांतरित हो गया है। लोगों की सेहत, सरकार की धारणा एक राष्ट्र की इच्छा को प्रभावित करती है। एनएसए का खुलकर जैविक हथियारों के बारे में बोलना इस खतरे की गंभीरता को दिखाता है। वैश्विक स्तर पर सुरक्षा के क्षेत्र में आ रहे बदलावों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब खतरा सीमाओं से हटते हुए समाज के अंदर तक आ गया है।
जैविक हथियारों के जरिये हमले का पुराना रहा है इतिहास
दुश्मन देश पर जैविक हथियारों के जरिये हमले का इस्तेमाल किया जाना पुराना फॉर्मूला है। साल 1763 में ब्रिटिश सेना ने अमेरिकियों पर चेचक का इस्तेमाल हथियार की तरह किया था। वक्त के साथ इस तरह के प्रयोगों में भी विविधता आई। 1940 में जापान की वायुसेना ने चीन के एक क्षेत्र में बम के जरिये प्लेग फैलाया था। 1942 में जापान के 10 हजार सैनिक अपने ही जैविक हथियारों का शिकार हो गए थे। हाल ही के दिनों में आतंकी गतिविधियों के लिए जैविक हथियार के इस्तेमाल की बात सामने आई।