By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 06, 2020
नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सोमवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) भारत को बांटने के लिए इस सरकार की ओर लाई गई शरारतपूर्ण और भयावह योजना है। पूर्व गृह मंत्री ने 2020 में प्रस्तावित राष्ट्रीय जनसंख्यार जिस्टर (एनपीआर) का विरोध करते हुए कहा कि यह एनपीआर 2010 के एनपीआर से बिल्कुल अलगहै और इस बार कई ऐसी जानकारियां मांगी जा रही हैं जो अप्रासंगिक हैं।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सीएए बुनियादी रूप से भेदभावपूर्ण है। तीन पड़ोसी देशों को शामिल किया गया, लेकिन श्रीलंका, म्यांमार और भूटान को छोड़ दिया गया। ऐसा क्यों? छह अल्पसंख्यक समूहों को शामिल किया गया, लेकिन मुस्लिम समुदाय को छोड़ दिया गया। ऐसा क्यों?’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने जो आरोप लगाए हैं, उसे हम खारिज करते हैं। हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि सीएए के तहत किसी को नागरिकता देने पर हमारा कोई विरोध नहीं है, हमारी आपत्ति सिर्फ यह है कि इससे क्यों कुछ लोगों अलग रखा गया है। शरणार्थियों की समस्या का समाधान सीएए नहीं है, बल्कि एक मानवीय और भेदभावरहित कानून होगा।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एनआरसी भारत को बांटने की एक भयावह और शरारतपूर्ण योजना है। इसके तहत भारत में रहने वाले हर नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। यह लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों के खिलाफ है।’’
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चिदंबरम ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के कारण सरकार उस बात से पीछे हटने को मजबूर हुई जो गृह मंत्री और कई अन्य मंत्रियों ने कई मौकों पर कही थी। पूर्व गृह मंत्री ने दावा किया, ‘‘2020 का एनपीआर 2010 के एनपीआर से बिल्कुल अलग है। 2010 में एनपीआर कुछ राज्यों में उस वक्त किया गया था जब एनआरसी से जुड़ा कोई विवाद नहीं था, असम में एनआरसी का कोई दुखद अनुभव नहीं था और सीएए का कोई मामला नहीं था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उस वक्त एनपीआर के तहत सिर्फ 15 क्षेत्रों का डेटा एकत्र किया गया था। दूसरी तरफ, 2020 के एनपीआर में कई अतिरिक्त क्षेत्रों को शामिल किया गया है जो जनगणना के हिसाब से शरारतपूर्ण और गैरजरूरी हैं।’’ एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा, ‘‘हम सीएए और एनपीआर दोनों के खिलाफ हैं।’’