By अनन्या मिश्रा | Dec 26, 2024
देश की आजादी के लिए कई वीर सपूतों ने अपने प्राण न्योछावर किए हैं। देश की आजादी की लौ लगभर हर भारतीय के दिल में जल रही थी। ऐसे ही एक वीर सपूत क्रांतिकारी उधम सिंह थे। आज ही के दिन यानी की 26 दिसंबर को क्रांतिकारी उधम सिंह का जन्म हुआ था। बताया जाता है कि उधम सिंह ने अकेले ही जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर क्रांतिकारी उधम सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में 26 दिसंबर 1899 को उधम सिंह का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम सरदार तेहाल सिंह और मां का नाम नारायण कौर था। जब उधम महज 3 साल के थे, तो इनकी मां की मृत्यु हो गई। वहीं कुछ सालों बाद उधम सिंह के पिता ने भी दुनिया छोड़ दी। इस तरह से उधम सिंह और उनके भाई मुक्ता सिंह अनाथ हो गए और उनको अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी। लेकिन इसी दौरान उनके भाई का भी निधन हो गया और उधम सिंह पूरी तरह से अकेले पड़ गए।
आजादी की लड़ाई में शामिल
साल 1919 में उधम सिंह ने अनाथालय छोड़ दिया और देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए। वह पेशे से क्रांतिकारी थे और गदर पार्टी व हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन जैसे राजनीतिक पार्टी में शामिल हो गए।
जलियांवाला बाग हत्याकांड
बता दें कि अमृतसर में बैसाखी के दिन रॉलेट एक्ट का विरोध कर रहे भारतीयों पर अंग्रेज शासक के ब्रिगेडियर जनरल डायर के आदेश पर भीषण नरसंहार हुआ। ब्रिटिश सेना ने विरोध कर रहे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं, जिसमें 1200 से भी अधिक लोग घायल हो गए थे। तो वहीं कुछ महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने अपनी जान बचाने के लिए कुएं में छलांग लगाई, जिनकी मौत हो गई। इस भीषण नरसंहार में करीब 1000 से भी ज्यादा लोगों की जान गई थी। जान गंवाने वालों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल थे।
उधम सिंह ने 21 साल बाद लिया बदला
बता दें कि पंजाब में हुए इस नरसंहार का बदला 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को सरदार उधम सिंह ने लंदन में लिया। लंदन के कैक्सटन हॉल में जाकर सरदार उधम सिंह ने माइकल ओ डायर की गोली मारकर हत्याकर दी थी। सरदार उधम सिंह ने जनरल डायर से बदला तब लिया, जब वह ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की एक खास बैठक में भाषण दे रहे थे।
मृत्यु
जनरल डायर की हत्या के लिए 04 जून 1940 को उधम सिंह को दोषी करार दिया गया। वहीं लंदन के पेंटोनविले जेल में 31 जुलाई 1940 को फांसी की सजा दी गई। वहीं क्रांतिकारी उधम सिंह के मृत शरीर के अवशेषों को 31 जुलाई 1974 को भारत को सौंपा गया था। महज 40 साल की उम्र में उधम सिंह ने खुद को देश के लिए समर्पित कर दिया था। उधम सिंह के शहीद होने के 7 साल बाद भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया था।