By रितिका कमठान | Oct 08, 2024
अलग अलग रोगों का उपचार करने के लिए कई आयुर्वेदिक दवाओं को लेकर खास तरह के दावे किए जाते है। कई आयुर्वेदिक दवाओं पर "चमत्कारी या अलौकिक प्रभाव" का दावा किया जाता है। ऐसी दवाएं आमतौर पर आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी पर लिखा होता है। मगर ऐसी दवाओं पर होने वाले दावे को लेकर केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने बड़ा दावा किया है।
मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे विज्ञापन सार्वजनिक स्वास्थ्य को "गुमराह और खतरे में डाल सकते हैं"। एक सार्वजनिक नोटिस में मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथिक (एएसयूएंडएच) कंपनी या उसकी दवा को न तो प्रमाणित या अनुमोदित करता है और न ही किसी एएसयूएंडएच निर्माता या कंपनी को बिक्री के लिए विनिर्माण का लाइसेंस देता है।
इसके अलावा, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और उसके अंतर्गत नियमों के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, किसी भी एएसयूएंडएच औषधि की बिक्री के लिए विनिर्माण का लाइसेंस संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा प्रदान किया जाता है।
मंत्रालय ने कहा, "रोगों के उपचार के लिए चमत्कारी या अलौकिक प्रभावों का दावा करने वाली एएसयूएंडएच दवाओं का विज्ञापन करना अवैध है। ऐसे विज्ञापन असत्यापित या झूठे दावों को बढ़ावा देकर सार्वजनिक स्वास्थ्य को गुमराह और खतरे में डाल सकते हैं।"
मंत्रालय ने आगे कहा कि औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954, कुछ बीमारियों और स्थितियों के उपचार के लिए औषधियों और जादुई उपचारों के विज्ञापन पर सख्ती से प्रतिबंध लगाता है। इस अधिनियम का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया कोई भी व्यक्ति कानून के तहत निर्धारित दंड के लिए उत्तरदायी होगा।
सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि अनुसूची-एल में शामिल आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी (एएसयू) औषधियों का सेवन आयुष चिकित्सा की संबंधित प्रणाली के पंजीकृत चिकित्सक की देखरेख और मार्गदर्शन में किया जाना अनिवार्य है। इसमें कहा गया है कि ऐसी दवाओं के कंटेनर पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में "चिकित्सकीय देखरेख में सावधानी बरतने" के निर्देश लिखे होंगे।