By अनुराग गुप्ता | Jun 16, 2022
अहमदाबाद। गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। आपको बता दें कि पाटिदार नेता नरेश पटेल ने राजनीति में उतरने से इनकार कर दिया है। साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पाटीदार नेता नरेश पटेल को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रही थी। इसको लेकर दिल्ली में कई बैठकें भी हुईं। जिसको लेकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि नरेश पटेल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं लेकिन उन्होंने तो राजनीति में उतरने से ही इनकार कर दिया है।
उन्होंने कहा कि मैं राजनीति में नहीं जाऊंगा और खुद को सामाजिक कार्यों में व्यस्त रखूंगा। कहा जा रहा है कि पाटिदार नेता को राजनीति में जाना चाहिए या नहीं ? इसको लेकर एक सर्वे कराया गया था। जिसमें 100 फीसदी बुजुर्गों ने उन्हें राजनीति में नहीं जाने की सलाह दी। जबकि 80 फीसदी महिलाओं और युवाओं को लगता है कि उन्हें राजनीति में आना चाहिए।
फंड मैनेजर की भूमिका में होता है पाटीदार समुदाय
एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात की राजनीति में पाटीदार समुदाय का महत्वपूर्ण प्रभाव है। राज्य की 6 करोड़ से अधिक आबादी में पाटीदार समुदाय की करीब 12 फीसदी हिस्सेदारी है। इतना ही नहीं कई विधानसभा क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां पर पाटीदार समुदाय की आबादी करीब 15 फीसदी है। ऐसे में चुनावी नतीजों को पाटीदार समुदाय सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है। इन्हें एक प्रभावी फंड मैनेजर भी माना जाता है।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार समुदाय की नाराजगी का फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को हुआ था और साल 2021 के स्थानीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी को। ऐसे में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए तमाम राजनीतिक दलों ने पाटिदार समुदायों को साधने का प्रयास शुरू कर दिया है लेकिन कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया और अब नरेश पटेल ने राजनीति में आने से ही इनकार कर दिया है।
आपको बता दें कि नरेश पटेल श्री खोडलधाम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख हैं और उन्होंने एक-दो महीने के भीतर कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी तीनों ही पार्टियों के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की है। जिसमें चुनावी रणनीति प्रशांत किशोर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल इत्यादि शामिल हैं।