By अभिनय आकाश | Jun 24, 2022
जिनपिंग सुपर पावर से सीधी टक्कर लेने से बचते हैं। उसके बजाय वह अपने दोस्त देशों की मदद से अमेरिका को उलझाए रहते हैं। किम जोंग जिनपिंग का ऐसा ही एक मोहरा है जो सुपरपावर को आंखें दिखाता है। अमेरिका के लाख मना करने पर भी किम परमाणु धमाके करता है। किम जोंग की हिट लिस्ट में जापान और दक्षिण कोरिया है।
4 जुलाई 2017 को कुंसांग में किम जोंग ने अपने सबसे करीबी मिलिट्री ऑफिसर के साथ में मीटिंग किया। कुछ ही देर बाद सायरन बजा और उल्टी गिनती चालू हो गई। आग के शोलों को छोड़ती मिसाइल आसमान का सीना चीरते हुए अंतरिक्ष से बातें करने लगी। जमीन से 25 100 किलोमीटर दूरी पर यह मिसाइल गरज रही थी। फिर एक ब्लास्ट हुआ। यह नॉर्थ कोरिया का पहला इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल टेस्ट था। जिस जगह पर ब्लास्ट हुआ वह जापान का स्पेशल इकोनामिक जोन था। गद्दी संभालने के 5 साल बाद क्यों जाऊंगा खुला ऐलान था यह कि वो अपने पिता और दादा से भी ज्यादा खूंखार हैं। अमेरिका को पता था कि नॉर्थ कोरिया के पास ना बैलेस्टिक मिसाइल कि तकनीक है न ही नेकलेस साइंटिस्ट का नेटवर्क। लेकिन फिर भी चीन प्रायोजित निकले प्रोग्राम की मदद से इन लोगों ने सफल परीक्षण कर लिया। जिसके पीछे की वजह किम जोंग की अदावत दक्षिण कोरिया से है और चीन सदियों से जापान को अपना जानी दुश्मन मानता है।
जापान और दक्षिण कोरिया में गहरे रिश्ते हैं इसलिए ड्रैगन के कहने पर किम जोंग ने जापान को डराने के लिए मिसाइल छोड़ी प्रणाम एक वह दिन था और एक आज का दिन है ना जाने कितनी बार सी ऑफ जापान में किम जोंग मिसाइल दाग चुका है। 29 जून 1960 अमेरिका और जापान के बीच एक संधि हुई जिसके मुताबिक जापान पर कोई विदेश हमला करता है तो अमेरिका जंग में उतर जाएगा। इसलिए अब तक ना तो चीन और ना ही नॉर्थ कोरिया जापान पर हमले की जुर्रत कर पाया है।