By विजयेन्दर शर्मा | Dec 27, 2021
चंडीगढ़ । गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि अम्बाला के नग्गल में उत्तर भारत की पहली राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की ब्रांच की स्थापना होगी और उत्तर भारत में यह अपनी तरह की पहली ब्रांच होगी जहां कई गंभीर, नए रोग एवं वायरस की जांच और उनके आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसकी स्थापना के लिए 2.03 करोड़ रुपये की लागत से जमीन की रजिस्ट्री स्वास्थ्य विभाग के नाम कर दी गई है और अब भविष्य में एनसीडीसी ब्रांच की स्थापना का कार्य तेजी से हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि यह आधुनिक उपकरणों से लैस अत्याधुनिक लैब होगी, जिसमें नई बीमारियों की पहचान, उनके विशलेषण एवं रोकथाम के तरीकों पर कार्य किया जा सकेगा। नीपा वायरस, जीका वायरस, रैबीज, जूनाटिक रोग, कोविड-19, ओमीक्रॉन, हेपाटाइटिस के अलावा अन्य गंभीर वायरस की जांच और सभी प्रकार के नए टेस्ट यहां इस लैब में हो पाएंगे। इस ब्रांच में ग्राउंड प्लस तीन मंजिला बिल्डिंग बनेगी,
उन्होंने बताया कि पहले जांच के लिए नमूनों को अम्बाला से दिल्ली स्थित एनसीडीसी व अन्य शाखाओं में भेजा जाता था, मगर अब यहीं पर आधुनिक टेस्ट सुविधा होगी। स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने बताया कि एनसीडीसी ब्रांच की स्थापना के लिए नग्गल में जमीन को चुना गया था जोकि नगर परिषद के अधीन थी। यहां पर 4 एकड़ 11 मरले जमीन पर एनसीडीसी ब्रांच की स्थापना की जाएगी। यहां पर ग्राउंड प्लस तीन मंजिला बिल्डिंग बनेगी जिसके लिए लगभग 14 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की योजना है। इसके बाद ब्रांच में लगाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरणों के लिए अलग से राशि की व्यवस्था की जाएगी।
उन्होंने बताया यह अपने आप में एक अलग ब्रांच होगी और इसकी स्थापना में राज्य व केंद्र सरकार की संयुक्त तौर पर भूमिका है। एनसीडीसी में एकीकृत रोग निगरानी व शोध कार्यों को बढ़ावा, पर्यावरणीय बदलाव पर अध्ययन, प्रयोगशाला में गुणवत्ता एवं क्षमता का निर्माण इत्यादि गतिविधियों पर प्रमुखता से काम किया जाएगा। यह केंद्र विभिन्न वैक्सीन, दवाइयों व अन्य नैदानिक किट की उपलब्धता के लिए कार्य करेगा । महामारी वैज्ञानिकों, सूक्ष्म जीव वैज्ञानिकों व प्रयोगशाला तकनीशियनों के लिए एक अच्छे प्रशिक्षण केंद्र के तौर पर भी इसे विकसित किया जाएगा। यहां पर एनसीडीसी की देखरेख स्टाफ एवं अन्य कई नियुक्तियां भी की जाएंगी ताकि कार्य बेहतर प्रकार से हो सके।
ग्राउंड फ्लोर पर रिसेप्शन, वेटिंग एरिया रूम, लॉबी, कांफ्रेंस हॉल, एडमिन आफिस, सिक्योरिटी रूम, आईटी वीडियो रूम, हेड आफ एनसीडीसी रूम एवं अन्य प्रशासनिक कार्यालय होंगे। प्रथम तल पर सेम्पल कलेक्शन एवं यूटीलिटी रूम, वेटिंग रूम, लॉबी के अलावा, क्लाइमेट चेंज रूम, ईओसी रूम, ट्रेनिंग रूम, आईडीएसपी, ईपीडीमिलॉजी स्टाफ रूम, पैंट्री एवं अन्य रूम होंगे। इसी प्रकार, द्वितीय तल पर लैब व अन्य उपकरण लगाए जाएंग,े जिनमें क्लाईमेट चेंज रूम, माक्रो लैब बैक्टीरयोलॉजी, एएमआर लैब, लैब टीचिंग एंड डेमो रूम, एएमआर आफिसर रूम, वीरोलॉजी, लौबी एवं अन्य रूम होंगे। तृतीय तल पर नॉन बीएसएल लैब एरिया, बीएसएल-2 लैब एरिया, स्टाफ कॉमन रूम, ओपन टैरेस, पैंट्री एवं अन्य रूम होंगे। इसकी पूरी बिल्डिंग में 2 लिफ्ट का प्रावधान होगा।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र दिल्ली की ज्वाइंट डायरेक्टर डा. शिखा वरधान और अम्बाला के सीएमओ डा. कुलदीप सिंह ने बताया कि तीन चरणों में एनसीडीसी ब्रांच का निर्माण पूरा किया जाएगा। पहले और दूसरे चरण में बिल्डिंग का निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा, जिसके बाद तीसरे चरण में लैब की स्थापना होगी। यहां पर करोड़ों रुपए की लागत से आधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे, जिनमें बॉयो सेफ्टी केबिनेट, इन्क्यूबेटर, नॉन रेफ्रिजरेट सेंट्रीफ्यूज, कोल्ड सेंट्रीफ्यूज, रियल टाइम पीसीआर मेशीन, ड्राइ ब्लॉक इनक्यूबेटर, रेफ्रिजरेटर, ऑटोक्लेव, हॉट एयर ओवन, डीप फ्रीजर, ट्रेनिंग माइक्रोस्कोप, लाइट माइक्रोस्कोप कम्पाउंड, एलीसा रीडर विद वॉशर, माइक्रोपिपटीस्ट ऑफ ऑल साइज, मिली-क्यू वॉटर प्योरीफायर एवं अन्य उपकरण होंगे।
एकीकृत रोग निगरानी गतिविधियों को मजबूत करने में राज्यों का समर्थन करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व के संचारी रोगों के लिए रेफरल नैदानिक सेवाओं का विस्तार करना, प्रकोप और आपदाओं के लिए तैयारियों और तत्काल प्रतिक्रिया में राज्यों का समर्थन करना, महत्वपूर्ण उभरती प्रवृत्ति पर कड़ी निगरानी रखने के लिए राज्यों में क्षमताओं को बढ़ाना, एकीकृत कीटविज्ञान निगरानी के माध्यम से रोग वाहक, सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की क्षमता निर्माण, डायग्नोस्टिक किट, दवाओं के भंडारण और वितरण सहित लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करना और टीके, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण आदि प्रदान करना होगा।
महामारी विज्ञान के साथ राज्य निगरानी इकाई, आपातकालीन संचालन केंद्र (ईओसी), बीएसएल 2 सुविधा के साथ माइक्रोबायोलॉजी (वायरोलॉजी, बैक्टीरियोलॉजी, जूनोटिक रोगजनकों और परजीवी विज्ञान) और कीट विज्ञान आदि की जांच होगी।
निगरानी (आईडीएसपी, प्रकोप जांच और प्रतिक्रिया), निदान, प्रशिक्षण, राज्य विशिष्ट कार्यक्रम के लिए समर्थन जूनोटिक रोग, आईएचआर, एएमआर, जलवायु संवेदनशील रोग और एनसीडीसी गतिविधियों को समर्थन करना होगा।