Poorvottar Lok: Assam में बाढ़ के हालात में सुधार, Arunachal CM की माँ का निधन, Manipur में लौट रही है शांति, Nagaland में निकाय चुनाव के लिए मतदान संपन्न

By नीरज कुमार दुबे | Jun 27, 2024

इस सप्ताह असम में बाढ़ की स्थिति में कुछ सुधार हुआ मगर अरुणाचल में स्थिति बिगड़ गयी। मणिपुर में शांति धीरे-धीरे लौटती दिख रही है तो दूसरी ओर सिक्किम में बाइचुंग भूटिया ने राजनीति से संन्यास ले लिया। नगालैंड में दो दशक बाद निकाय चुनाव कराये गये तो दूसरी ओर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को उपहार स्वरूप अनानास भेजे। मिजोरम ने केंद्र सरकार से भारी भरकम सहायता राशि मांगी है तो दूसरी ओर मेघालय में लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक रूप से शांति बनी हुई है। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये डालते हैं सभी पर एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं असम की।


असम


असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि तिनसुकिया जिले की एक स्थानीय अदालत ने 11 साल पहले बाजार में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में बुधवार को छह पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। तिनसुकिया जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपांकर बोरा ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत छह पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। घटना सात अक्टूबर 2013 की है, जब अंबिकापुर बाजार में अजीत सोनोवाल नामक व्यक्ति की पिटाई की गई थी। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए डिब्रूगढ़ के असम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि चोटों की वजह से उनकी मृत्यु हो गई। सोनोवाल के पिता ने नौ अक्टूबर 2013 को सदिया थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। विस्तृत जांच के बाद आरोपपत्र दाखिल किया गया और तिनसुकिया जिला एवं सत्र न्यायालय में मुकदमा शुरू हुआ। अदालत ने साक्ष्यों, गवाहों के बयानों और सरकारी वकील अशोक चौधरी की दलीलों पर विचार करते हुए छह पुलिसकर्मियों को दोषी पाया।


इसके अलावा, असम में बुधवार को प्रमुख नदियों और उनकी सहायक नदियों में जलस्तर घटने के साथ ही बाढ़ की स्थिति में कुछ हद तक सुधार हुआ है। हालांकि सात जिलों में करीब डेढ़ लाख लोग अब भी बाढ़ से प्रभावित हैं। एक बुलेटिन में यह जानकारी दी गई है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुसार बाढ़ प्रभावित जिलों में हल्की से मध्यम वर्षा हुई, इस दौरान करीमगंज में कुशियारा नदी को छोड़कर अन्य सभी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ गया। बारपेटा, कछार, दरांग, धेमाजी, गोलपाड़ा, कामरूप और करीमगंज के करीब डेढ़ लाख लोग अब भी बाढ़ से प्रभावित है। मंगलवार को प्रभावितों की संख्या 1.53 लाख रही। एक बुलेटिन के मुताबिक मंगलवार को कछार में एक व्यक्ति की डूबने के कारण मौत की खबर है। इसके साथ ही इस वर्ष बाढ़, भूस्खलन एवं आंधी के चलते अब तक कुल 41 लोगों की जान जा चुकी है। इसमें कहा गया कि करीमगंज 84 हजार पीड़ितों के साथ सबसे अधिक प्रभावित है, इसके बाद कछार में 52400 और दरांग में साढ़े छह हजार लोग बाढ़ से पीड़ित हैं। बाढ़ प्रभावितों की सहायता के लिए जिला प्रशासन ने 149 राहत बचाव वितरण केंद्र स्थापित किए हैं, जहां 26 हजार लोग शरण लिए गए हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बुलेटिन के अनुसार इस समय 556 गांव जलमग्न हैं, और 1547.35 हेक्टेयर भूमि में फसलें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं। चिरांग, दरांग, ग्वालपाड़ा, गोलाघाट, कामरूप, कोकराझार, नगांव, नलबाड़ी, तामुलपुर, उदलगुड़ी, गोलाघाट, होजई और सोनितपुर में बाढ़ के पानी से तटबंध, सड़कें, पुल और अन्य बुनियादी ढांचा क्षतिग्रस्त हो गया है।

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इसके अलावा, प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर के कपाट अम्बुबाची मेले के अवसर पर पिछले चार दिनों से बंद रहने के बाद बुधवार को सुबह श्रद्धालुओं के लिए फिर से खुल गए और शक्तिपीठ पर भक्तों की भीड़ देखी गई। मंदिर के द्वार प्रतीकात्मक रूप से चार दिनों के लिए बंद किए गए थे क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान देवी कामाख्या तथा धरती माता दोनों ही मासिक धर्म से गुजरती हैं। मंदिर के कपाट खुलने से जुड़ी रस्में मंगलवार रात को ही पूरी कर ली गई थीं। कामाख्या देवालय के एक अधिकारी ने बताया कि मंदिर के दरवाजे बुधवार को सुबह श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। कामरूप मेट्रोपोलिटन जिले के एक अधिकारी ने बताया कि वार्षिक अम्बुबाची मेला 22 जून को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू हुआ। मेले की शुरुआत से अब तक 25 लाख से अधिक लोग यहां आ चुके हैं। इस अवधि के दौरान मंदिर परिसर में आयोजित होने वाला अम्बुबाची मेला पर्यटन के लिए राज्य का एक प्रमुख आयोजन है। प्रशासन ने कामाख्या रेलवे स्टेशन पर 5,000 लोगों के लिए और ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर पांडु बंदरगाह पर 12,000-15,000 लोगों के लिए शिविर की सुविधा उपलब्ध कराई है। अधिकारियों ने बताया कि मेले में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस कर्मियों, स्वयंसेवकों, निजी सुरक्षा कर्मियों और अन्य लोगों को भी लगाया गया है।


इसके अलावा, एनआईए ने भारत विरोधी एजेंडे के तहत असम में सेना के शिविरों पर हमला करने की साजिश रचने के आरोप में म्यांमा से संचालित प्रतिबंधित संगठन उल्फा -आई (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट) के सदस्य सहित चार के खिलाफ मंगलवार को आरोप पत्र दाखिल किया। एनआईए की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक प्रतिबंधित संगठन के मोटरसाइकिल सवार दो उग्रवादियों ने पिछले साल 14 दिसंबर को जोरहाट जिले के लिचुबाड़ी स्थित सैन्य शिविर पर हथगोले फेंके थे। एजेंसी के मुताबिक इस घटना को पूर्वोत्तर राज्य में सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की एक बड़ी साजिश के तहत अंजाम दिया गया था। विज्ञप्ति क मुताबिक यह घटना असम के तिनसुकिया जिले के काकोपाथर स्थित सेना शिविर पर इसी तरह के हमले के एक महीने से भी कम समय बाद हुई थी। उल्फा-आई ने 15 दिसंबर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इन दोनों हमलों की जिम्मेदारी ली थी। एनआईए ने बताया कि दोनों हमलों की पूरी साजिश म्यांमा में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से उल्फा-आई के स्वयंभू (एसएस) कैप्टन अभिजीत गोगोई उर्फ कनक गोगोई उर्फ रूमेल असोम उर्फ ऐचेंग असोम उर्फ ऐशंग असोम ने उल्फा-आई प्रमुख परेश बरुआ उर्फ परेश असोम के साथ मिलकर रची थी। एजेंसी ने बताया कि इन हमलों में शामिल एक अन्य प्रमुख साजिशकर्ता की पहचान संगठन के स्वयंभू ब्रिगेडियर अरुणोदय दोहुतिया उर्फ अरुणोदय असोम के रूप में की गई है। जोरहाट मामले की जांच के दौरान एनआईए ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था जिनकी पहचान बिप्लब बरुआ, बिराज कछारी और अच्युत गोगोई के रूप में हुई थी। संघीय एजेंसी के मुताबिक तीनों के खिलाफ मंगलवार को गुवाहाटी की विशेष एनआईए अदालत में स्वयंभू कैप्टन ऐचेंग असोम के साथ आरोपपत्र दाखिल किया गया है। ऐचेंग असोम अब भी फरार है।


इसके अलावा, असम के मोरीगांव जिले में वन विभाग एवं रेलवे की जमीन पर अवैध रुप से बस गये करीब 1,500 परिवारों को भूमि खाली करने के लिए कहा गया था, जिन्होंने अतिक्रमित भूमि को खाली करना शुरू कर दिया है। जिलाधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। वन विभाग एवं रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करने वाले इन परिवारों को 12 जून को नोटिस देकर 10 दिन के भीतर भूमि खाली करने को कहा गया था। मोरीगांव जिले के जिलाधिकारी देवाशीष शर्मा ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि करीब 1,500 परिवार जागीरोड के सिलभंगा गांव में सरकारी जमीन पर बस गए थे, जिनमें लगभग 10,000 लोग हैं। उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्र के लोगों को 12 जून को नोटिस देकर 10 दिन के भीतर इसे खाली करने के लिए कहा गया था, जिनमें से अधिकतर परिवारों ने इस निर्देश का पालन किया है।" शर्मा ने बताया कि इनमें से कुछ परिवारों के बच्चे अलग-अलग परीक्षाओं में शामिल होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों ने भूमि खाली करने के लिये समय मांगा है। उन्होंने कहा, ‘‘मानवीय व्यवहार के तौर पर हमने परीक्षा समाप्त होने तक उनके रहने का इंतजाम करने का फैसला किया है।’’ जिला आयुक्त ने कहा, "प्रशासन इस जमीन को बल प्रयोग किए बिना और संरचनाओं को ध्वस्त किए बगैर खाली कराने के लिए काम कर रही है। हमने लोगों से बातचीत की और वे ऐसा करने के लिए सहमत हो गए हैं। उनमें से करीब 80 प्रतिशत लोगों ने पहले ही अतिक्रमित भूमि से अपना सामान हटा लिया है।" इलाके में कोई अप्रिय घटना न हो इसको सुनिश्चित करने के लिए शर्मा ने दिन के समय में इस क्षेत्र का दौरा किया, जहां सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। जिलाधिकारी ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि लोग शांतिपूर्वक इलाके से निकल जाएंगे।'


इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने दावा किया कि बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने केंद्र और राज्य में भाजपा नीत सरकारों द्वारा उनके लिए किए गए विकास कार्यों पर विचार किए बिना इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़-चढ़कर वोट दिया। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि यह असम का एकमात्र समुदाय है जो सांप्रदायिकता में लिप्त है। पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में भाजपा और सहयोगी दलों के विजयी उम्मीदवारों के अभिनंदन समारोह में उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन को लगभग 47 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने 39 प्रतिशत वोट हासिल किए। भाजपा-अगप-यूपीपीएल गठबंधन ने राज्य की 14 में से 11 लोकसभा सीट पर जीत हासिल की, जबकि शेष तीन सीट कांग्रेस ने जीतीं। उन्होंने दावा किया, "अगर हम कांग्रेस के 39 प्रतिशत मतों का विश्लेषण करें तो यह पूरे राज्य से नहीं मिला है। इसका 50 प्रतिशत हिस्सा 21 विधानसभा क्षेत्रों में से मिला है, जो अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र हैं। इन अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में भाजपा को तीन प्रतिशत वोट मिले।" मुख्यमंत्री ने कहा, "इससे साबित होता है कि हिंदू सांप्रदायिकता में लिप्त नहीं हैं। अगर असम में कोई सांप्रदायिकता में लिप्त है तो वह केवल एक समुदाय, एक धर्म है। कोई अन्य धर्म ऐसा नहीं करता।"


मणिपुर


मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि मणिपुर अखंडता समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) की महिला शाखा ने मंगलवार को इंफाल ईस्ट जिले में एक रैली निकाली और केंद्र तथा राज्य सरकारों से हिंसा प्रभावित मणिपुर की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता से समझौता किए बिना मौजूदा संकट का शीघ्र समाधान करने की मांग की। प्रदर्शनकारी महिलाएं ‘राज्य की अखंडता से कोई समझौता नहीं’ लिखी तख्तियां लेकर वरिष्ठ मंत्री थोंगम बिस्वजीत के संजेनथोंग स्थित सरकारी आवास पर भी गईं, लेकिन वह वहां नहीं थे। महिला शाखा की नेता वाई. लैरीक्लेइमा ने अपने समुदाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों की कथित चुप्पी की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘यदि वे लोगों के लिए खड़े नहीं हो सकते हैं और राज्य की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता की रक्षा नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।’’ इसके अतिरिक्त, महिला प्रदर्शनकारियों ने इंफाल वेस्ट जिले के लामसांग क्षेत्र में एक और रैली निकाली और कहा कि किसी भी गांव के स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने अलग प्रशासन के किसी भी प्रस्ताव का विरोध किया।


इसके अलावा, मणिपुर के चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कुकी-जो समुदाय के हजारों लोगों ने हिंसा प्रभावित राज्य में समाधान और उनके लिए अलग प्रशासन की मांग को लेकर सोमवार को रैलियां निकालीं। उन्होंने पड़ोसी देश म्यांमार के साथ मुक्त आवागमन व्यवस्था को रद्द किये जाने का भी विरोध किया। केंद्र सरकार ने फरवरी में उत्तर पूर्व में पड़ने वाली भारत-म्यांमार सीमा के 1,600 किलोमीटर से अधिक हिस्से पर बाड़ लगाने का फैसला किया था और इसी के साथ मुक्त आवागमन व्यवस्था को समाप्त कर दिया था। पूर्वात्तर के चार राज्य- अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और नगालैंड म्यांमार के साथ सीमा साझा करते हैं। रैली के बाद, कुकी-जो समुदाय के लिए राजनीतिक समाधान की मांग करते हुए एक ज्ञापन चुराचांदपुर के डिप्टी कमिश्नर धरुण कुमार के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपा गया। स्वदेशी जनजातीय नेता मंच (आईटीएलएफ) द्वारा आयोजित इस मार्च में शामिल लोगों ने "कोई राजनीतिक समाधान नहीं, तो कोई शांति नहीं" जैसे नारे लगाए। उन्होंने चुराचांदपुर जिले में पब्लिक ग्राउंड से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित शांति ग्राउंड तक मार्च निकाला। सैकोट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक पाओलीनलाल हाओकिप ने इस बात पर जोर दिया कि स्थायी शांति के लिए सरकार को मुद्दों के समाधान में सीधे तौर पर शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमनें लगातार विभिन्न केंद्रीय चैनलों के माध्यम से शांति की अपील है, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं हुआ।" कांगपोकपी जिले में, आदिवासी एकता समिति ने थॉमस ग्राउंड में एक रैली का आयोजन किया, जहां जिले भर से आए प्रतिभागियों ने कुकी-जो लोगों के लिए "राजनीतिक समाधान" की वकालत करते हुए बैनर प्रदर्शित किए। रैली के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो इसके लिए दोनों जिलों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी तथा प्रमुख स्थानों पर केंद्रीय और राज्य बलों को तैनात किया गया था। इसके अलावा, कुकी इंपी तेंगनौपाल द्वारा तेंगनौपाल जिले में भी इसी प्रकार की रैली आयोजित की गई।


इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि जातीय हिंसा प्रभावित उनका राज्य मुश्किल दौर से गुजर रहा है और उनकी सरकार समाज की बेहतरी के लिए राह बनाएगी। उन्होंने कहा कि मणिपुर की वर्तमान स्थिति स्वदेशी लोगों और उनके भविष्य के लिहाज से एक महत्वपूर्ण बिंदु है और अगर चीजों को समझदारी से निपटाया जाए तो ‘एक सुरक्षित भविष्य की गारंटी’ मिल सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘हमें भावनाओं और राजनीति को अपने कार्यों पर हावी नहीं होने देना चाहिए और इस प्रक्रिया में मूल मुद्दों से ध्यान भटकाना नहीं चाहिए। हम जानते हैं कि हम थक गए हैं... लेकिन हमें इसे कुछ और दिनों तक सहना होगा। बिना मुश्किल दौर से गुजरे हम खुश नहीं रह सकते।’’ 


अरुणाचल प्रदेश


अरुणाचल प्रदेश से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू की मां अमा लेजांग (75) का बुधवार को एक अस्पताल में निधन हो गया। लेजांग उम्र संबंधित बीमारियों से जूझ रही थीं और ‘टोमो रीबा इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंसेज’ में उन्होंने अंतिम सांस ली। अमा लेजांग पूर्व मुख्यमंत्री दोरजी खांडू की पत्नी थीं। केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मीन ने लेजांग के निधन पर शोक व्यक्त किया। रीजीजू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि इस कठिन घड़ी में मैं अपने अजीज खांडू, उनके परिवार और दोस्तों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर उनकी माता की आत्मा को शांति प्रदान करे। मीन ने लेजांग के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मां को खोने का दर्द शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। असम के मुख्यमंत्री ने पेमा खांडू की माता के निधन पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मां का निधन जीवन की सबसे बड़ी क्षति है।''


इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में एक सरकारी स्कूल के कक्षा आठ के 15 छात्रों की उनके वरिष्ठों ने छात्रावास में कथित तौर पर पिटाई की। एक पुलिस अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। स्कूल के प्रधानाचार्य राजीव रंजन ने कहा कि मंगलवार को हुई इस घटना में कथित तौर पर शामिल पांच वरिष्ठ छात्रों को स्कूल प्रशासन ने निलंबित कर दिया है। इस घटना के संबंध में पुलिस ने एक प्राथमिकी भी दर्ज की है। बोरडुमसा में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय के जूनियर छात्रों को छात्रावास में 11वीं कक्षा के कई छात्रों ने कथित तौर पर डंडों से पीटा। घायल छात्रों को अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। प्रधानाचार्य राजीव रंजन ने अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की बैठक बुलाई। बैठक में समिति के सदस्यों ने पांच वरिष्ठ छात्रों को कक्षा आठ के छात्रों पर हमला करने और मानसिक आघात पहुंचाने का दोषी पाया। चांगलांग के पुलिस अधीक्षक किर्ली पाडू ने कहा कि आरोपी छात्रों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और पुलिस पीड़ितों से बात करेगी। उन्होंने घायल छात्रों और उनके अभिभावकों को आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। प्रधानाचार्य ने कहा, "हमने घटना में शामिल छात्रों को पहले ही निलंबित कर दिया है। यह एक अलग मामला है। हम इसके पीछे के कारण का पता लगाएंगे।" प्रधानाचार्य ने कहा कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी और ऐसे उपाय अमल में लाए जाएंगे ताकि इस तरह की घटना फिर न हो। स्कूल में कक्षा 6 से 12 तक कक्षाओं का संचालन करता है और यहां लड़कियों समेत कुल 530 विद्यार्थी हैं।


इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के लेपराडा, सियांग और लोअर सियांग जिलों में भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। एक अधिकारी ने बताया कि सिजी पुल के पास हुए भूस्खलन के कारण सामरिक रूप से महत्वपूर्ण लिकाबली-बसर-आलो-मेचुका और लिकाबली-बसर-दपोरिजो सड़क मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो गये हैं। लोअर सियांग के उपायुक्त रुज्जुम रक्षप ने फोन पर बताया कि सिजी पुल क्षेत्र के पास भारी भूस्खलन हुआ। उन्होंने बताया कि मलबा हटाने के लिए लगाई गई जेसीबी मशीन भी मलबे में दब गई। उपायुक्त ने उन खबरों को गलत बताया जिसमें भूस्खलन में जेसीबी चालक और दो सहायकों के दबने की बात कही गई थी। कार्यकारी मजिस्ट्रेट और पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है। उन्होंने बताया कि भूस्खलन के कारण जेसीबी मशीन मलबे में दब गयी, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। रक्षप ने बताया कि मलबे को हटाने में कम से कम दो से तीन दिन का समय लगेगा। लेपाराडा जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी (डीडीएमओ) टी. पेमा ने बताया कि जिला प्रशासन के अधिकारी मूसलाधार बारिश से पैदा हुई स्थिति का आकलन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अधिकारी धान की खड़ी फसलों का निरीक्षण कर रहे हैं जो पानी में डूब गयी हैं। डीडीएमओ ने नदी तट के समीप और भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों में रह रहे लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है। उन्होंने कहा, ‘‘हम बाढ़ग्रस्त इलाकों की कड़ी निगरानी कर रहे हैं।’’ येकसिंग के समीप सियांग जिले में भूस्खलन से सड़क संपर्क टूट गया है और आलो-पैंगिन-पासीघाट सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गया है। अधिकारियों ने बताया कि सड़क पर मलबा गिरने से राजमार्ग पर कई वाणिज्यिक तथा निजी वाहन फंस गए हैं।


इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश सरकार के तीन पूर्व मंत्रियों को राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू का सलाहकार नियुक्त किया गया है। प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव कलिंग तायेंग ने मंगलवार को यह जानकारी दी। तायेंग ने बताया कि जिन पूर्व मंत्रियों को मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया है उनमें बमांग फेलिक्स, आलो लिबांग और कामलुंग मोसांग शामिल हैं। उन्होंने बताया कि ये तीनों सलाहकार मुख्यमंत्री को काम काज में सहयोग करेंगे। प्रदेश की पूर्व सरकार में गृह मंत्री रहे फेलिक्स को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट देने से मना कर दिया था। प्रदेश में इस साल लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी कराये गये। तूतिंग-यिंगकियोंग के विधायक आलो लिबांग स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर जबकि मिआओ के विधायक कामलुंग मोसांग शहरी विकास तथा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इससे पहले 18 जून को प्रदेश सरकार ने 19 विभिन्न मंत्रियों के सहयोग के लिये 19 सलाहकार नियुक्त किये थे ।


सिक्किम


सिक्किम से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने सोमवार को राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की। उन्होंने यह फैसला हाल में संपन्न सिक्किम विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद लिया है। सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के उपाध्यक्ष भूटिया को बरफुंग सीट से सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसएकेएम) उम्मीदवार रिकशाल दोरजी भूटिया के हाथों हार मिली थी। यह उनकी छठी चुनावी हार थी। भूटिया 2014 में तब राजनीति में आए जब तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें दार्जीलिंग लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। उन्होंने 2018 में हमरो सिक्किम पार्टी का गठन किया और अपने गृह राज्य की राजनीति में प्रवेश किया। पिछले साल उन्होंने अपनी पार्टी का विलय पवन चामलिंग नीत एसडीएफ में कर दिया। भूटिया ने एक बयान में कहा, ‘‘सबसे पहले मैं माननीय पी. एस.तमांग और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को विधानसभा चुनाव में जीत की बधाई देना चाहता हूं। सिक्किम की जनता ने उन्हें शानदार जनमत दिया है और मुझे उम्मीद है कि एसकेएम सरकार अपने वादों को पूरा करेगी और सिक्किम को सभी क्षेत्रों में एक नयी ऊंचाई पर ले जाएगी।’’ उन्होंने कहा, ''2024 के चुनाव नतीजों के बाद मुझे अहसास हुआ कि चुनावी राजनीति मेरे लिए नहीं है। इसलिए मैं सभी तरह की चुनावी राजनीति से तत्काल प्रभाव से संन्यास लेता हूं।''


नगालैंड


नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में नगर निकायों के लिए दो दशक बाद कराये गए चुनाव में बुधवार को करीब 80 प्रतिशत मतदान हुआ। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच, 10 जिलों के 25 शहरी निकायों में मतदान सुबह साढ़े सात बजे शुरू हुआ और यह शाम चार बजे तक जारी रहा। राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) के एक अधिकारी ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘मतदान शांतिपूर्ण रहा... 10 जिलों के 214 मतदान केंद्रों पर त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।" अधिकारी ने बताया कि 420 मतदान केंद्रों पर ईवीएम के बजाय मतपत्रों के जरिए मतदान कराया गया। नगालैंड राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि पहली बार महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के साथ शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराये गए। पूर्वोत्तर के इस राज्य में यह एक ऐतिहासिक चुनाव है क्योंकि तीन नगरपालिकाओं और 22 नगर परिषद के लिए चुनाव 20 वर्ष के अंतराल के बाद कराया गया। इससे पहले, नगर निकाय चुनाव 2004 में हुआ था। सरकार ने पहले भी कई बार शहरी स्थानीय निकायों के लिए चुनाव की घोषणा की थी लेकिन महिलाओं के लिए आरक्षण, भूमि तथा संपत्तियों पर कर के खिलाफ जनजातीय संगठनों और नागरिक संस्थाओं की आपत्तियों के कारण चुनाव नहीं कराया जा सका। इस चुनाव में 11 राजनीतिक दलों के 523 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला होगा। चुनाव लड़ रहे दलों में एनडीपीपी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), राइजिंग पीपुल्स पार्टी, आरपीआई (आठवले), जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) शामिल हैं। मतगणना 29 जून को होगी। ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (ईएनपीओ) ने क्षेत्र के छह जिले में चुनावों में भाग नहीं लेने का फैसला किया था। छह पूर्वी जिलों में निवास करने वाली सात नगा जनजातियों की सर्वोच्च संस्था ईएनपीओ ‘फ्रंटियर नगालैंड क्षेत्र’ की मांग करती रही है। उसका दावा है कि इस क्षेत्र को वर्षों से नजरअंदाज किया गया है। ईएनपीओ इलाके में 14 नगर परिषद हैं। इस इलाके से 59 नामांकन पत्र स्वीकार किये गये लेकिन आदिवासी संगठनों ने उम्मीदवारों को अपना नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया है। ईएनपीओ ने राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए 19 अप्रैल को हुए चुनाव में भी भाग नहीं लिया था।


त्रिपुरा


त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता जितेंद्र चौधरी ने कहा कि वाम दल राज्य में अगस्त में संभावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस और समान विचारधारा वाले दलों के साथ "स्थानीय स्तर" पर तालमेल करेंगे। पिछले साल के विधानसभा चुनाव और हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में माकपा ने कांग्रेस के साथ चुनावी समझौता किया था, लेकिन भाजपा और उसके सहयोगियों को हराने में विफल रही। माकपा के राज्य सचिव चौधरी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘स्थानीय स्तर (जिला और प्रखंड) पर यह सुनिश्चित करने के लिए चर्चा चल रही है कि सभी लोकतांत्रिक ताकतें सभी सीट पर चुनाव लड़ सकें। किसी विशेष क्षेत्र में मजबूत आधार वाली पार्टी उन पंचायतों में चुनाव लड़ेगी।" इससे पहले त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशीष कुमार साहा ने भी इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कहा था कि पंचायत चुनावों में कांग्रेस और वाम दलों के बीच स्थानीय स्तर पर समझौता होगा।


इसके अलावा, त्रिपुरा सरकार ने 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इनका बेहतर नामांकन वाले नजदीकी शैक्षिक संस्थानों के साथ विलय कर सकती है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले माह केंद्र के निर्देश के बाद यह कार्य शुरू किया गया है और जून अंत तक यह कार्य पूरा होने की उम्मीद है। शिक्षा विभाग के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) कालीप्रसाद चकमा ने कहा, ''शिक्षण प्रणाली को बढ़ावा देने की योजना के तहत जिला शिक्षाधिकारियों को 50 से कम छात्र संख्या वाले सरकारी स्कूलों को चिह्नित करने के लिए कहा गया है, ताकि बेहतर नामांकन वाले संस्थानों के साथ उनका विलय किया जा सके।’’ उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षक-छात्र अनुपात में सुधार लाना है। उन्होंने कहा, ‘‘इस कवायद के पूरा होने के बाद सरकार विचार करेगी और इन विद्यालयों का एक से डेढ़ किलोमीटर के दायरे में स्थित अन्य विद्यालयों में विलय किया जा सकता है।’’ चकमा के अनुसार, प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चलता है कि राज्य में 50 से कम छात्र संख्या वाले 800 ‘जूनियर’ और ‘सीनियर’ बेसिक स्कूल हैं। राज्य में कुल मिलाकर लगभग ढाई हजार ‘जूनियर’ और ‘सीनियर’ बेसिक स्कूल हैं। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद विभाग स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) और स्थानीय निकायों की राय लेकर विलय के लिए आवश्यक निर्णय लेने के लिए सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगा। इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के युवा कांग्रेस नेता मोहम्मद शाहजहां इस्लाम ने भाजपा सरकार पर गरीब छात्रों को निजी स्कूलों में दाखिला लेने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) समर्थित आदिवासी छात्र संघ के महासचिव सुजीत त्रिपुरा ने दावा किया कि सरकार आदिवासी छात्रों को शिक्षा से वंचित करने के लिए ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में कई स्कूलों को बंद करने की कोशिश कर रही है।


इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने सद्भावना संदेश के तौर पर एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) के माध्यम से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को 500 किलोग्राम रानी अनानास भेजे। बागवानी विभाग के सहायक निदेशक दीपक बैद्य ने अगरतला के निकट अखौरा आईसीपी में संवाददाताओं को बताया, "मुख्यमंत्री माणिक साहा की पहल पर हमने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को 100 पैकेटों में 500 किलोग्राम रानी अनानास भेजे हैं। प्रत्येक पैकेट में 750 ग्राम वजन के छह अनानास हैं। यह दुनिया में अनानास की सर्वोत्तम किस्म है।" भारत और बांग्लादेश के बीच पुराने और गहरे संबंधों पर जोर देते हुए वैद्य ने कहा कि यह ‘टॉकन उपहार’ संबंधों को और अधिक मजबूत करेगा। पिछले वर्ष भी मुख्यमंत्री ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री को अनानास भेजे थे, जबकि प्रधानमंत्री हसीना ने भी उन्हें आम भेजे थे।


मिजोरम


मिजोरम से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य सरकार ने मई के अंतिम सप्ताह में रेमल चक्रवात के परिणामस्वरूप राज्य में हुए भूस्खलन व बारिश के कारण विस्थापित लोगों के पुनर्वास और नुकसान की भरपाई लिए केंद्र से 237.6 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मांगी है। राज्य आपदा प्रबंधन और पुनर्वास मंत्री के. सपदांगा ने यह जानकारी दी। सपदांगा ने कहा कि फिलहाल दिल्ली में मौजूद मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन सौंपा और चक्रवात रेमल से हुए नुकसान का विस्तृत ब्यौरा देते हुए केंद्र से वित्तीय सहायता मांगी। सपदांगा ने कहा कि चक्रवात के कारण हाल ही में हुए भूस्खलन, बारिश और अन्य आपदाओं में 34 लोगों की मौत हो गई तथा सार्वजनिक व निजी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा।

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