भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत सरकार द्वारा घोषित आर्थिक निर्भरता पैकेज का लाभ प्रदेश में सुनिश्चित करने के लिये तैयारियाँ तत्काल करने के निर्देश दिये हैं। मनरेगा, शहरी पथ विक्रेता और छोटे उद्योगों के लिये पैकेज में महत्वपूर्ण रियायतें और योजनाएँ घोषित की गई हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारत सरकार द्वारा शहरी पथ विक्रेताओं को ऋण और क्रियाशील पूँजी उपलब्ध करवाने की योजना में नगर निगम सीमा के पथ विक्रेताओं के साथ ही प्रदेश के सभी नगरीय निकाय क्षेत्रों में कार्यरत पथ विक्रेताओं को लाभान्वित किया जाये।
योजना में हितग्राही को ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये 10 हजार रुपये की पूँजी दी जायेगी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारत सरकार के पैकेज के साथ ही राज्य स्तर पर विभागों की योजनाओं को इस तरह जमीन पर उतारा जाएगा जिससे निर्धन तबके को विशेष रूप से राहत मिले। मुख्यमंत्री चौहान आज मंत्रालय में मंत्रि-परिषद के सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भारत सरकार द्वारा घोषित पैकेज "आत्मनिर्भर भारत अभियान" और "आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश" संदर्भ में चर्चा कर रहे थे। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि, प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक नेता हैं। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिए पैकेज घोषित कर विभिन्न क्षेत्रों में योजनाबद्ध ढंग से प्रावधान किये हैं। मध्यप्रदेश की स्थानीय परिस्थितियों की दृष्टि से आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण का संकल्प है, जिससे उद्योग, रोजगार, ग्रामीण विकास, कृषि के क्षेत्रों में कार्यों से बड़े वर्ग को लाभ मिलेगा।
बैठक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम विभाग और नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रेजेंटेशन हुए। बैठक में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और गृह मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्र, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल, खाद्य नागरिक आपूर्ति उपभोक्ता संरक्षण एवं सहकारिता मंत्री श्री गोविन्द सिंह राजपूत, आदिम जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह सहित मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में इस समय जरूरतमंद श्रमिकों को काम की आवश्यकता है, जिससे उनकी रोजी-रोटी का ठीक से प्रबंध हो सके। इस उद्देश्य से गौशाला निर्माण, मंदिर सरोवर, मंदिर उद्यान के अधिकाधिक कार्य मनरेगा के अन्तर्गत लिए जायें। मंदिर गौशाला के कार्यो को प्राथमिकता दी जाये। इसके लिए ग्रामीण विकास और पशुपालन विभाग संयुक्त रूप से कार्यवाही करें। उन्होंने निर्देश दिए कि मनरेगा के अन्तर्गत ऐसी संरचनाएं निर्मित की जाएं जिनमें बारिश में भी कार्य संभव हो सकें। हर जरूरतमंद को कार्य मिले। इन कार्यों में मशीनों का प्रयोग न किया जाए। इसके साथ ही स्थायी प्रभाव वाले कार्य सम्पन्न हों। स्टाप डेम, चेक डेम, सरोवर निर्माण, खेत तालाब, मेड़ बन्धान, नंदन फलोद्यान जैसे कार्य करवाये जायें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि, स्थानीय श्रमिकों के साथ ही बाहर के श्रमिकों को भी जॉब कार्ड प्रदान किये जायें।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने प्रजेंटेशन में बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 20 लाख से अधिक श्रमिकों को मनरेगा कार्यो से रोजगार का बड़ा सहारा मिल रहा है। यहां तक कि साढ़े सत्रह हजार दिव्यांग भी कार्यो से जुड़े हैं। प्रति ग्राम पंचायत औसतन 90 श्रमिक काम कर रहे हैं। प्रदेश में गत वर्ष मई माह में करीब 10 लाख श्रमिक ही मनरेगा कार्यों से जुड़े थे। इस वर्ष इनकी संख्या बढ़कर 20 लाख अर्थात दोगुनी हो गई है। प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास विभाग नीतेश व्यास ने प्रजेंटेशन में शहरी पथ विक्रताओं की कल्याण योजना सहित राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) के अन्तर्गत हितग्राहियों को लाभान्वित करने, शहरी गरीबों को नि:शुल्क भोजन देने और मुख्यमंत्री जीवन शक्ति योजना की प्रगति की जानकारी दी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि दीनदयाल रसोई योजना की उपयोगिता को देखते हुये आज की परिस्थितियों में इसे पुन: सुचारू रूप से संचालित करने की आवश्यकता है।
सोशल डिस्टेसिंग के पालन के साथ गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने की इस अभिनव योजना को सामाजिक संस्था के सहयोग से पुराने स्वरूप में लौटाया जाये।
प्रमुख सचिव, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग श्रीमती दीपाली रस्तोगी ने प्रजेंटेशन में बताया कि भारत सरकार ने इन उद्योगों की परिभाषा परिवर्तित की है। पूर्व में सूक्ष्म उद्योग के अन्तर्गत 25 लाख तक के निवेश वाले उद्योग शामिल थे जो अब 1 करोड़ रूपये तक निवेश में मान्य होंगे। इसी तरह लघु उद्योग में निवेश 5 करोड़ के स्थान पर 10 करोड़ और मध्यम उद्योग में 10 करोड़ के स्थान पर 20 करोड़ तक के निवेश को परिधि में लाया गया है। इससे अनेक उद्योगों को संजीवनी मिलेगी।
एमएसएमई के वर्गीकरण में किये गये बदलाव के कारण राज्य की 72 वृहद औद्योगिक इकाइयां एमएसएमई श्रेणी में शामिल हो गई हैं। भारत सरकार के पैकेज में 3 लाख करोड़ रूपये के कोलेटरल मुक्त ऑटोमेटिक ऋणों की घोषणा की गई है। मध्य प्रदेश में एमएसएमई के अन्तर्गत 22 लाख से अधिक इकाइयां चल रहीं हैं जिन्हें घोषित पैकेज के अनुसार अतिरिक्त ऋण प्रदान किये जाने के संबंध में अध्ययन किया जा रहा है। बीमार इकाइयों को लाभांवित करने पर भी विचार किया जायेगा। ई-बाजार के अन्तर्गत एमएसएमई के लिये घोषित पैकेज में बढ़ावा देने का निर्णय हुआ है। भावी खरीददारों के लिये सैम्पलिंग के अतिरिक्त भार और अतिरिक्त नमूने तैयार करने के संबंध में नियमों में संशोधन पर भी विचार किया जा रहा है। एमएसएमई सेक्टर में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत व्यापार को आर्थिक मजबूती प्रदान करने के लिये 100 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों में और जहां 90 प्रतिशत कर्मचारियों को मासिक 15 हजार रूपये से कम का भुगतान होता है, उनके ईपीएफ के तहत घोषित राहत में 3 माह की अवधि (मई 2020 तक) के लिये प्रावधान किया गया था। अब इसे अगले 3 माह बढ़ाकर अगस्त 2020 तक के लिये लागू करने की कार्यवाही चल रही है। मध्यप्रदेश में 81 हजार पंजीकृत कर्मचारियों को 12 करोड़ का लाभ मिला है। मुद्रा योजना में ब्याज अनुदान और शिशु ऋण प्रकरणों के संबंध में कार्यवाही की जा रही है।