हैदराबाद। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि दूसरी वैकल्पिक आयकर व्यवस्था को पेश करने का मकसद देश को एक ‘सरल, छूट रहित और कम कर दरों’ वाली व्यवस्था की ओर ले जाना है। हालांकि आयकर संबंधी छूटों एवं रियायतों को समाप्त करने की अभी कोई समयसीमा नहीं तय की गयी है।
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आम बजट पर व्यापार प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार ने सभी तरह की छूटें एवं रियायतें खत्म करने की कोई समयसीमा नहीं तय की है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘अभी हमने इनमें से कुछ को शामिल करते हुए या कुछ को हटाकर दूसरी वैकल्पिक कर प्रणाली की शुरुआत भर की है। यद्यपि इसके पीछे सभी छूटों को हटाने की भावना है। इसका मकसद लोगों को कम दरों वाली सरल आयकर व्यवस्था देना है।’’
वित्त वर्ष 2020-21 के आम बजट में वैकल्पिक आयकर व्यवस्था को पेश किया गया है। यदि करदाता नयी व्यवस्था को चुनते हैं तो उन्हें कम दर पर कर का भुगतान करना होगा। हालांकि उन्हें पुरानी व्यवस्था के तहत मिल रही कुछ छूटों व रियायतों का लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने छूटें एवं रियायतें खत्म करने की समयसीमा के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘हमने अभी तक इस बारे में कोई अंतिम राय तय नहीं की है। हम चरणबद्ध तरीके से ऐसा करने, आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं, हालांकि अभी इसके लिये कोई समयसीमा तय नहीं की गयी है।’’
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सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद एक फरवरी को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले समय में आयकर को लेकर मिलने वाली सभी छूटें एवं रियायतें समाप्त कर दी जाएंगी। दूरसंचार कंपनियों की समायोजित सकल आय (एजीआर) के सांविधिक बकाए पर उच्चतम न्यायालय के आदेश और कुछ बैंकों की चिंताओं से जुड़े एक सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि उनके लिए इस पर टिप्पणी करना सही नहीं होगा, क्योंकि इस मामले को देखने के लिए अलग से एक मंत्रालय है।
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