देहरादून। शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत प्रकरण के एक दिन बाद आज उत्तराखंड राजकीय राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने मामले का संज्ञान लेते हुए कहा कि शिक्षिका के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का अनुरोध अधिकारियों से किया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कल यहां 'जनता मिलन' कार्यक्रम में शिक्षिका उत्तरा के सवालों और बात करने के तरीके से नाराज होते हुए उन्हें तुरंत निलंबित करने और हिरासत में लेने के आदेश दिये थे जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया और हिरासत में ले लिया गया था।
उनके खिलाफ पुलिस ने शांति भंग के तहत चालान कर दिया था। हालांकि, कल शाम को ही उन्हें सिटी मजिस्टेट की अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।57 वर्षीय उत्तरा के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि वह बहुत दुखी हैं और कल शाम से ही रो रही हैं। वर्ष 2015 में अपने पति की मृत्यु के बाद से ही वह परेशान चल रही थीं और अपने स्थानांतरण को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्रियों तक अपनी गुहार लगा चुकी हैं।कल भी उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने यही सवाल उठाया था। उत्तरा उत्तरकाशी जिले के नौगांव में प्राथमिक विद्यालय में तैनात हैं।
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षा संघ के महासचिव दिग्विजय सिंह चौहान ने कहा कि संघ इस प्रकरण को लेकर अधिकारियों से वार्ता करने का प्रयास करेगा और अनुरोध करेगा कि उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई न की जाये।चौहान ने कहा कि शिक्षिका 25 वर्षों से दुर्गम स्थान पर कार्यरत हैं और विधवा भी हैं, इसलिए उनकी स्थानांतरण की मांग जायज है जिसे सुना जाना चाहिए।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षिका द्वारा अपनी मांग के लिए मुख्यमंत्री के सामने प्रयोग की गयी ‘अमर्यादित भाषा’ का वह कतई समर्थन नहीं करते।मुख्यमंत्री के ‘जनता मिलन’ कार्यक्रम में शिक्षिका और मुख्यमंत्री रावत के बीच संवाद का वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें शिक्षिका के बात करने के तरीके से नाराज होकर मुख्यमंत्री उन्हें निलंबित करने और हिरासत में लेने का आदेश देते हुए देखे जा सकते हैं।