By दिनेश शुक्ल | Jan 02, 2021
पन्ना। मध्य प्रदेश में पन्ना जिले में स्थित मंझगंवा में हीरा खनन परियोजना एनएमडीसी जो कि एशिया में एकमात्र मैकेनाईज्ड हीरा खदान है बंद होने जा रही है। उद्योग विहीन पन्ना जिले में एक मात्र उद्योग हीरा खनन परियोजना एनएमडीसी मंझगंवा में सन 1968 से संचालित थी। जिसके संचालन के लिए 31 दिसंबर 2020 तक की अनुमति थी जो समाप्त हो गई। जिस पर पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा द्वारा महाप्रबंधक एनएमडीसी को पत्र लिखकर एनएमडीसी द्वारा हीरा खनन बंद करने के लिए लिखा गया है।
जिस पर एनएमडीसी प्रबंधन द्वारा कार्य बंद कर दिया गया है। ज्ञात हो कि एनएमडीसी प्रबंधन द्वारा उत्खनन कर समय बढ़ाने के लिए भारत सरकार को पत्र लिखा है। जिस पर अभी अनुमति नहीं मिलने के कारण गत 1 जनवरी से कार्य पूर्णतः बंद कर दिया गया है। बता दें कि समूचे एशिया महाद्वीप में एकमात्र पन्ना जिले के मंझगंवा में मैकेनाइज्ड एनएमडीसी खदान संचालित थी। जिसकी खनन अनुमति की समय सीमा न बढ़ाये जाने के कारण वह भी बंद हो गई।
पन्ना की पहचान यहाँ से मिलने वाले हीरा की वजह से ही है। जहां तक उथली खदानों का प्रश्न हैं उसमें 90 प्रतिशत कालाबाजारी की भेंट चढ़ जाता है, जबकि एनएमडीसी में ही सर्वाधिक उत्पादन होता था और भारत सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता था। यही नहीं एनएमडीसी मंझगंवा के कारण पन्ना का व्यापार भी काफी चलता था।वही जानकारों की माने तो यदि एनएमडीसी खदान जो एकमात्र औद्योगिक संस्था है बंद हो गई तो जिले का विकास के साथ व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित होगा।
ज्ञात हो कि एनएमडीसी हीरा खदान पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ अभ्यारण्य अंतर्गत वन भूमि रकबा 74.018 हेक्टेयर में संचालित है। जिसके संचालन की अवधि 31-12-2020 को समाप्त हो गई है। एनएमडीसी खदान में वर्ष 1968 से लेकर अब तक लगभग 13 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन किया जा चुका है। इस संबंध में परियोजना के महाप्रबंधक एस.के. जैन ने बताया कि अनुमति की अवधि समाप्त हो जाने के कारण 1 जनवरी 21 से उत्खनन बंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि अनुमति के लिए आवेदन लंबित है। साथ ही उन्होंने कहा कि वन्य जीव संरक्षण विभाग सहित पर्यावरण की अनुमति मिलते ही उत्पादन यथावत होने लगेगा।
हीरा खनन परियोजना पर मंडरा रहे संकट के बादलों के बीच नए साल के पहले दिन केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जब एनएमडीसी परियोजना मझगवां पहुंचे तो कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों व कर्मचारियों ने कुलस्ते को ज्ञापन सौंपा था। कर्मचारियों ने मंत्री परियोजना के संचालन में उत्पन्न संकट की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि खनिज संपदा प्रकृति में विशेष परिस्थितियों में निर्मित होती है, जिसका स्थानांतरण असंभव होता है। खनन कार्य खनिज संपदा के प्राप्ति स्थल पर ही करना होता है।