By अंकित सिंह | Aug 08, 2024
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पर सरकार का समर्थन किया है। यह पार्टी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की है। जेडीयू सांसद और केद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 का समर्थन करते हुए कहा कि इससे वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता आएगी। लोकसभा में विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विधेयक मस्जिद या मंदिर के बारे में नहीं है, बल्कि एक संस्था में पारदर्शिता लाने का प्रयास है।
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि ये बिल मुसलमान विरोधी नहीं है। ये मंदिर की बात करते हैं, मंदिर की बात कहां से आ गई। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्था जब निरंकुश होगी तो सरकार उस पर अंकुश लगाने के लिए, पारदर्शिता के लिए कानून बनाएगी। ये उसका अधिकार है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पारदर्शिता होनी चाहिए और ये बिल पारदर्शिता के लिए है। कांग्रेस पर वार करते हुए उन्होंने कहा कि ये अल्पसंख्यकों की बात करते हैं, सिखों का कत्लेआम किसने किया था।
ललन सिंह ने कहा कि विपक्ष इसकी तुलना मंदिरों से कर रहा है, वे मुख्य मुद्दे से भटका रहे हैं। उन्होंने पूछा कि केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस) को बताना चाहिए कि हजारों सिख कैसे मारे गए। किस टैक्सी ड्राइवर ने इंदिरा गांधी को मारा? अब वे अल्पसंख्यकों की बात कर रहे हैं। वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन करने के लिए पेश किए गए इस विधेयक में मौजूदा अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव है, जिसमें ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना शामिल है। वक्फ (संशोधन) विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करने का भी प्रस्ताव है।
अपने उद्देश्यों और कारणों के अनुसार, विधेयक बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रयास करता है, जो यह तय करने के लिए है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं। यह केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की व्यापक संरचना का प्रावधान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है। विधेयक में बोहरा और अगाखानियों के लिए औकाफ के एक अलग बोर्ड की स्थापना का भी प्रस्ताव है। मसौदा कानून मुस्लिम समुदायों में शिया, सुन्नी, बोहरा, अगाखानियों और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान करता है।