By सुरेश डुग्गर | Aug 30, 2018
श्रीनगर। आपको यह जानकार हैरानगी होगी की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन द्वारा स्थानीय युवकों को भर्ती करने और आतंकी ट्रेनिंग के लिए उस कश्मीर पहुंचाने की साजिश में शामिल एक जेल उपाधीक्षक और हिज्ब के कुख्यात ओवरग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए जेल उपाधीक्षक का नाम फिरोज अहमद लोन है और वह बीते पांच माह से अंबफला जेल जम्मू में तैनात है। वहीं, पकड़े गए हिज्ब के ओजीडब्ल्यू की पहचान इसहाक पाला के रूप में हुई है। बता दें कि इसहाक बीते कुछ सालों से श्रीनगर सेंट्रल जेल में ही बंद था। जेलर सरकार की नौकरी करते हुए आतंकी गतिविधियों में शामिल था। यह राज्य में अपने किस्म का पहला मामला है जिसमें उच्च स्तर का कोई अधिकारी इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्ट पाया गया हो।
गौरलतब है कि 31 अक्टूबर को कुपवाड़ा जिले में एलओसी के साथ सटे मनिगाह, हयहामा इलाके से पुलिस ने चार ओजीडब्ल्यू के अलावा हिज्ब में कुछ दिन पहले शामिल हुए दो युवकों सुहेल अहमद बट और दानिश गुलाम लोन को पकड़ा था। इनके साथ पकड़े गए चार ओवरग्राउंड वर्करों की पहचान कुपवाड़ा के रहने वाले दौलत अली मुगल, लियाकत अली खान, गुलाम नबी मुगल और हारुन अहमद शेख के रूप में हुई थी। इन छह लोगों की गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद एनआइए ने यह मामला अपने हाथ में लिया था।
पूछताछ में दानिश और सुहेल ने बताया कि उन्हें अवंतीपोर (पुलवामा) में सक्रिय हिज्ब कमांडर रियाज नायकू और अदनान ने आंतकी संगठन में शामिल होने को उकसाया था। आतंकी कमांडरों के कहने पर ही वह श्रीनगर सेंट्रल जेल में बंद इसहाक पाला से मिले थे। इसहाक ने उन्हें अपनी तस्वीरें गुलाम कश्मीर से संचालित होने वाले एक वाट्सएप समूह में भेजने को कहा। यह मुलाकात सितंबर माह के अंत में हुई थी। इसके बाद गुलाम कश्मीर से भी आतंकी कमांडर उनके साथ वाट्सएप और ब्लैकबेरी मैसेंजर के जरिए संपर्क में रहने लगे।
एनआइए के प्रवक्ता आइजी आलोक मित्तल ने बताया कि जिस समय दानिश और सुहेल पकड़े गए थे, उस समय इसहाक श्रीनगर सेंट्रल जेल में बंद था। उस समय वहां जेल उपाधीक्षक फिरोज अहमद लोन ही था। वह जेल में बंद आतंकी कमांडरों की साजिश का भागीदार था। जिस दिन सुहेल और दानिश पकड़े गए उससे चंद दिन पहले 25 अक्तूबर 2017 को ये सभी लोग श्रीनगर सेंट्रल जेल में ही मिले थे। जांच में पता चला है कि जेल उपाधीक्षक समेत सभी आरोपित पूरे अक्टूबर माह के दौरान ब्लैकबेरी मैसेंजर के जरिए एक-दूसरे के साथ संपर्क में थे। आवश्यक सबूत जमा करने के बाद ही इसहाक और फिरोज को गिरफ्तार किया गया है।
एनआईए ने अपनी जांच में पाया कि श्रीनगर के सेंट्रल जेल में तत्कालीन डिप्टी जेल सुपरिटेंडेंट फिरोज अहमद लोन, इशाक पल्ला तथा दो युवाओं सुहैल अहमद भट व दानिश गुलाम लोन के बीच जेल परिसर में 25 अक्टूबर 2017 को बैठक हुई। इसमें युवकों को ट्रेनिंग के लिए सीमा पार भेजने की साजिश रची गई। शोपियां का पल्ला विभिन्न मामलों में जेल में बंद था जो मुख्य साजिशकर्त्ता रहा। कुपवाड़ा पुलिस ने 30 अक्टूबर को एलओसी के पास से सुहैल और दानिश को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उन्होंने पीओके में आतंकी प्रशिक्षण लेने जाने की बात स्वीकार की। एनआईए के अनुसार पकड़े जाने से पहले युवक ब्लैकबेरी मैसेंजर के जरिये एक दूसरे के संपर्क में थे।
इसके बाद एनआईए ने केस संख्या आरसी-07/2018 के तहत मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू की। पल्ला तथा बडगाम निवासी फिरोज दोनों को मंगलवार को एनआईए ने हिरासत में लिया। अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए देश विरोधी गतिविधियों के लिए फिरोज ने काम किया। केस दर्ज होने के बाद फिरोज का तबादला जम्मू में कर दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि दोनों युवक जैश से जुड़े हुए थे।
लश्कर के आतंकी नवीद जट्ट के छह फरवरी को फरार होने में भी एनआईए डिप्टी जेल सुपरिंटेंडेंट से पूछताछ कर रही है। नवीद जट के फरार होने के बाद 21 फरवरी को एनआईए ने मामला दर्ज किया। एनआईए को आशंका है कि नवीद जट को भगाने में भी जेल के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत है। नवीद को उपचार के बहाने अस्पताल भेजा गया और कुछ सुरक्षाकर्मियों पर फायरिंग भी की गई। जेल से आपत्तिजनक सामान व दस्तावेज में नवीद जट के पोस्टर भी बरामद किए गए थे।