By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 09, 2021
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण(एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह बताने को कहा कि मेरठ से प्रयागराज के बीच गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के क्रम में कहीं किसी तालाब,जल स्रोत अथवा पेड़ों को अवैध तरीके से नष्ट तो नहीं किया जा रहा। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) को उत्तर प्रदेश के सिंचाई एवं वन विभाग तथा केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ समन्वय करते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा है कि एक्सप्रेस-वे के निर्माण में कहीं किसी तालाब,जल स्रोत अथवा पेड़ों को अवैध तरीके से नष्ट तो नहीं किया जा रहा और अगर ऐसा हो रहा है तो क्या कोई सुधारात्मक कार्रवाई की गई है।
पीठ ने छह अगस्त के अपने आदेश में कहा,‘‘ अगर नहीं,तो सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। कार्रवाई केवल प्रतापगढ़ और प्रयागराज जिलों तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि पूरे इलाके में होनी चाहिए। इस संबंध में 15 दिन के भीतर बैठक बुलाई जानी चाहिए। अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) को कार्रवाई रिपोर्ट ईमेल के जरिए देनी चहिए।’’
अधिकरण उत्तर प्रदेश निवासी प्रभात श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें अधिकरण के 25 मार्च 2021 के आदेश को लागू कराने का अनुरोध किया गया था। इसमें उत्तर प्रदेश के राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार (एसईआईएए), प्रतापगढ़ और प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट को मेरठ-प्रयागराज हाइवे के निर्माण के क्रम में पेड़ों की अवैध कटाई और जल स्रोतों को भरे जाने से संबंधित शिकायतों पर गौर करने और सुधारात्मक कार्रवाई करने को कहा गया था।