21वीं सदी के तीसरे दशक में समाहित, वर्ष 2022 में भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण करेगा। आज देश के अंदर ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार कई वर्गों, अर्थशास्त्रियों, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में यह धारणा प्रबल होती जा रही है कि न केवल अगला दशक बल्कि अगली सदी भी भारत के प्रभुत्व वाली होने की प्रबल सम्भावना बनती जा रही है। इसकी नींव पिछले 5 वर्षों के दौरान केंद्र सरकार द्वारा लिए गए कई निर्णयों के चलते रखी जा चुकी है। हाल ही में विश्व आर्थिक फ़ोरम के सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मोनेटरी फ़ंड (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री ने तो विश्व के आर्थिक विकास को ही भारत के आर्थिक विकास से जोड़ दिया। उन्होंने अपने बयान में यह कहा है कि भारत में यदि आर्थिक रूप से गति आएगी तो विश्व की अर्थव्यवस्था में भी गति आएगी।
भारत इस समय विश्व के सबसे मज़बूत देशों में से एक बन गया है। आज भारत की आवाज़ पूरे विश्व में गम्भीरता से सुनी जा रही है। कोई भी देश भारत को आज हल्के में नहीं लेता है। राजनैतिक तौर पर भारत की ताक़त विश्व में बढ़ी है। वैश्विक स्तर पर सभी बड़ी ताक़तें यथा अमेरिका, रूस, चीन, जापान, आदि देश भारत के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं। वे आज भारत को गम्भीरता से लेते हैं।
आर्थिक एवं बाज़ार की दृष्टि से भी भारत की क्षमता एवं सम्भावनाएँ बहुत बढ़ी हैं। वर्ष 2022 में भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं इस उपलक्ष्य में नीति आयोग ने एक न्यू इंडिया प्रोजेक्ट बनाया है। इस प्रोजेक्ट के तहत 41 सेक्टर पर विशेष फ़ोकस किया जा रहा है एवं कृषि, उद्योग तथा देश में मार्केट के विस्तार करने की ओर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि देश में आर्थिक विकास को गति दी जा सके एवं रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर निर्मित किए जा सकें। हाल ही में देश की संसद में प्रस्तुत किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में भी यह बात कही गई है कि आगे आने वाले वर्षों के दौरान 3.5 से 4 करोड़ रोज़गार के नए अवसर निर्मित होने की प्रबल सम्भावना है। मेक इन इंडिया के माध्यम से देश में रोज़गार के नए अवसर निर्मित करने की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
आज वैश्विक स्तर पर यह धारणा बन चुकी है कि अगली सदी एशिया की होने वाली है और एशिया में भारत के बढ़ते क़द को अब कोई नकार नहीं सकता है। इसी कारण से इस समय दुनिया की सभी ताक़तवर देशों की नज़र भारत पर रही है। आर्थिक उदारीकरण के बाद से ही भारत पर कई देशों की नज़र टिक चुकी है परंतु अब हम एक स्तर और आगे बढ़ गए हैं। अब भारत को केंद्र में रखकर कई देश अपनी नीतियों का निर्माण कर रहे हैं। कई देशों के भविष्य की दिशा भारत को केंद्र में रखकर तय हो रही है। पूरी दुनिया में आर्थिक विकास तेज़ होगा अथवा मंदी आएगी, इसकी दशा एवं दिशा भारत के आर्थिक विकास को देखकर ही तय की जा रही है। आजकल कई देश पहले भारत की दिशा को आँकते हैं और फिर वे देश अपनी दिशा तय करते हैं।
यदि हम सामरिक एवं राजनैतिक दृष्टिकोण से भी भारत की स्थिति को वैश्विक स्तर पर आँकने का प्रयास करें तो हम आज पाएँगे कि भारत का दबदबा वैश्विक पटल पर बढ़ा है। यह अभी हाल ही में कश्मीर के मुद्दे एवं धारा 370 के मुद्दे पर भी देखा गया है। भारत विश्व के लगभग सभी देशों को यह समझने में सफल रहा कि उक्त मुद्दों पर भारत का रूख एकदम सही है। इस प्रकार, भारत अन्य कई मुद्दों पर क्या रूख लेगा इस पर कई देशों की नज़र रहती है। भारत भी इन मामलों में अपनी नीतियों को पूरी सजगता के साथ बना रहा है ताकि विश्व का भारत पर विश्वास बना रहे। दुनिया में वैश्विक मुद्दों एवं आर्थिक विकास में आज भारत की महत्वपूर्ण भागीदारी होती जा रही है।
दुनिया में कोई भी भारतीय, चाहे वह भारतीय मूल का हो अथवा भारतीय नागरिक हो, वह वहाँ पर यह गर्व कर सके कि वह भारतीय है, इस ओर केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। भारत की एवं भारतीयों की दुनियाँ में नींव मज़बूत हुई है। इसका प्रभाव अब देखने में भी आ रहा है। कई भारतीय आज विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी बन गए हैं। अमेरिका में सिलिकॉन वैली भारतीय मूल के लोग ही चला रहे हैं। अमेरिका, कनाडा एवं जापान जैसे कई विकसित देशों में स्पष्टतः भारतीयों की माँग बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में बहुत सुधार दृष्टिगोचर हो रहा है।
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यह सब इसलिए भी सम्भव हो सका है क्योंकि उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने में देश की सभी सरकारें मिलकर कार्य कर रही हैं। पिछले कुछ सालों में 37,000 करोड़ रुपए देश में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्वीकृत किए गए हैं। उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए देश में बजट लगातार बढ़ता जा रहा है। देश में 75 शिक्षा संस्थानों के ज़रिए उच्च शिक्षा केंद्र बनाए जाने हेतु भी प्रयास किए जा रहे हैं। इस सम्बंध में आधारिक संरचना भी विकसित की जा रही हैं। परंतु, निजी शिक्षा केंद्रों को भी इस प्रयास में शामिल किया जाना ज़रूरी होगा। 22 अखिल भारतीय मेडिकल संस्थानों की स्थापना देश में की जा रही है एवं चिकित्सा महाविद्यालयों में डॉक्टर ऑफ मेडिसिन की 16,500 नई सीटों की स्थापना की जा रही है। साथ ही, MBBS की सीटों को भी बढ़ाया जा रहा है। ये नई बढ़ायीं जा रही सीटें पूरे देश में फैली होंगी। नीति आयोग की भी सोच है कि पूरे देश का सर्वाँगीण विकास हो। देश से ब्रेन ड्रेन ज़रूर हो रहा है परंतु भारत के लोग अन्य देशों में शक्ति का केंद्र बनते जा रहे हैं। इन देशों की व्यवस्था को भी सफलता पूर्वक चला रहे हैं।
देश में व्यापार करने में आसानी हो इसलिए इससे सम्बंधित नियमों को आसान बनाया जा रहा है। एयर ट्रैफ़िक बढ़ाने की योजना बन रही है। नए एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं और एयर ट्रैफ़िक के कई नए मार्ग विकसित किए जा रहे हैं। सड़कों पर नए नए एक्सप्रेस रास्तों का विकास हो रहा है। स्मार्ट शहर बनाए जा रहे हैं। ये सभी काम पूरे देश में समान रूप से हो रहे हैं। एक तरह से पूरे देश का ही सर्वांगींण विकास हो रहा है।
भारतीय बैंकों में सुधार कार्यक्रम लागू कर आमूलचूल परिवर्तन किए जा रहे हैं। देश में बड़े-बड़े चूककर्ता ऋणग्राहियों से वसूली करने एवं उन्हें दिवालिया घोषित करने के उद्देश्य से एनसीएलटी की स्थापना की गई है। इससे बैंकों, विशेष रूप से सरकारी क्षेत्र के बैंकों के ग़ैर निष्पादनकारी आस्तियों की बहुत अच्छी वसूली हुई है। सरकारी क्षेत्र के बैंकों का आपस में विलय किया गया है। सरकारी क्षेत्र की कई बैंक जो घाटे में चल रहे थे वह अब लाभ में आ गये हैं।
केंद्र और राज्यों के आपस में सम्बंध सुधरे हैं। देश में आज ऐसा माहौल बन गया है कि हर प्रदेश आज आगे बढ़ना चाहता है। आकांक्षित जिलों को आगे बढ़ाया जा रहा है। आकांक्षित जिलों का चयन सभी राज्यों के जिलों में से किया गया है। सभी राजनैतिक दल अपने प्रदेश में अधिक से अधिक विकास करना चाह रहे हैं। इनकी आपस में आर्थिक विकास को लेकर प्रतियोगिता शुरू हो चुकी है। कृषि एवं ग्रामीण विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि ग्रामों में निवासियों की क्रय शक्ति बढ़ाई जा सके और वस्तुओं की माँग में वृद्धि की जा सके एवं रोज़गार के नए अवसर निर्मित हो सकें।
अंत में यही कहा जा सकता है की इस दशक में, देश के सभी नागरिकों को मिलकर नई ऊर्जा के साथ नए भारत के निर्माण को गति देनी होगी। सरकार के प्रयासों से पिछले पाँच वर्षों में इस दशक को भारत का दशक और इस सदी को भारत की सदी बनाने की मजबूत नींव रखी जा चुकी है।
-प्रह्लाद सबनानी