By नीरज कुमार दुबे | Jun 29, 2023
छत्तीसगढ़ में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने पार्टी को एकजुट करने के प्रयास शुरू कर दिये हैं और असंतुष्ट नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को मना कर उन्हें पद सौंपने का काम भी शुरू हो गया है। इस कड़ी में सबसे पहले कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से मुख्यमंत्री पद के आकांक्षी रहे सिंहदेव राज्य के पहले उपमुख्यमंत्री भी होंगे। कई बार सिंहदेव ने शक्ति प्रदर्शन भी किया था और मुख्यमंत्री के विरुद्ध बयान भी दिये थे लेकिन उनकी वरिष्ठता को देखते हुए पार्टी ने उन्हें हमेशा मनाने में कामयाबी हासिल की थी। अब चुनावों से ठीक पहले उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।
उपमुख्यमंत्री पद के लिए क्यों माने सिंहदेव
राजनीति में माना जाता है कि जो पद मिल जाये उसे ठुकराओ नहीं ले लो और अपने असल लक्ष्य को हासिल करने के लिए सही समय का इंतजार करो। शायद यह बात टीएस सिंहदेव को समझ आ गयी है और उन्होंने राजस्थान में सचिन पायलट वाली स्थिति में जाने की बजाय उपमुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना उचित समझा। कांग्रेस आलाकमान ने एक दिन पहले दिल्ली में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों को लेकर जो बैठक की थी उसमें सिंहदेव को बड़ी जिम्मेदारी दिये जाने पर सहमति बनी। इसके बाद जब वह रायपुर पहुँचे तो मीडिया से बातचीत के दौरान ढाई ढाई साल के लिए बारी बारी से मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर समझौते संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया कि यह चर्चा केवल मीडिया की देन थी और उन्होंने इस बारे में कभी कोई बात नहीं की। दिल्ली से रायपुर पहुंचने के बाद संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सिंहदेव ने इस पद पर अपनी नियुक्ति के लिए पार्टी का आभार जताया और कहा, ‘‘देर आए दुरुस्त आए।’’
हम आपको बता दें कि रायपुर के स्वामी विवेकानंद विमानतल पर उनके समर्थकों की भारी भीड़ थी जिन्होंने सिंहदेव का जोरदार स्वागत किया और 'टीएस बाबा जिंदाबाद' के नारे लगाए। दूसरी ओर, चार महीने के लिए उपमुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने सिंहदेव पर कटाक्ष किया है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि इससे छत्तीसगढ़ को कोई लाभ नहीं होगा बल्कि सिर्फ सिंहदेव का असंतोष दूर होगा।
बघेल और सिंहदेव की प्रतिद्वंद्विता
हम आपको बता दें कि राज्य में 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही सिंहदेव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सत्ता की लड़ाई में एक दूसरे के आमने सामने रहे हैं। छत्तीसगढ़ में सिंहदेव को मुख्यमंत्री बघेल का विरोधी माना जाता है। सिंहदेव के समर्थकों के मुताबिक, पार्टी आलाकमान ने वर्ष 2018 में राज्य में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद सिंहदेव से ढाई वर्ष के लिए उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने का वादा किया था। तीन बार के विधायक सिंहदेव को 2013 में विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी ने कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना था। माना जाता है कि राज्य में 2018 में पार्टी को सत्ता में वापस लाने में कांग्रेस के घोषणापत्र का महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके पीछे सिंहदेव ही थे। सिंहदेव वर्तमान में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय कार्यान्वयन और वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग के मंत्री हैं।
साय को मिली बड़ी जिम्मेदारी
इस बीच, कांग्रेस ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए भाजपा से कांग्रेस में आये नंद कुमार साय को छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने साय को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है। हम आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को आधार देने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लखीराम अग्रवाल के करीबी रहे साय राज्य के वरिष्ठ आदिवासी नेता हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा से नाराज होकर साय ने इस वर्ष मई महीने में भाजपा से किनारा कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। तब से साय को सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद की जा रही थी। भाजपा के टिकट पर तीन बार लोकसभा सदस्य और तीन बार विधायक रह चुके साय (77) पूर्व में छत्तीसगढ़ और अविभाजित मध्य प्रदेश में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तथा अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं।