By अभिनय आकाश | Jan 18, 2022
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है। बीजेपी की तरफ से अपनी सहयोगी पार्टी निषाद पार्टी को ज्यादा से ज्यादा तवज्यो देने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी की योजना निषाद पार्टी को कुछ सीटें देकर पूर्वांचल के किले को फतेह करने की है। यूपी की सियासी तपिश और गड़बड़ाते समीकरण को लेकर बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। बीजेपी अपने सहयोगी दलों को अहमियत दे रही है और लगातार उनके साथ बैठक कर रही है। पूर्वांचल का किला मजबूत करने की कवायद में जुटी बीजेपी को निषाद पार्टी का ही सहारा है। यही वजह है कि अपना दल (एस) को तवज्यो देने के साथ ही संजय निषाद की पार्टी को राजभर से करीब दोगुना ज्यादा सीटें दे रही है। खुद संजय निषाद भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं।
फाइनल हो गई निषाद पार्टी की सीट
निषाद पार्टी के साथ बीजेपी के सीट बंटवारे की चल रही बात पर सहमति बन गई है। 15 विधानसभा सीटों पर संजय निषाद की पार्टी चुनाव लड़ेगी। सूत्रों के अनुसार, यूपी की कटहरी, ज्ञानपुर, शाहगंज, जयसिंहपुर, गोरखपुर ग्रामीण, मेहदावल, तमकुही राज, नौतनवां, अतरौलिया, बारां, हंडिया, तिंदवारी, काल्पी, सकलडीहा, सुआर, जखनिया सीट निषाद पार्टी के खाते में जा सकती है।
निषाद लगाएंगे बीजेपी की नैया पार
2019 के चुनाव में बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने में निषाद पार्टी की अहम भूमिका रही। वहीं 2017 में ओम प्रकाश राजभर संजय निषाद के कारण ही बीजेपी पर ज्यादा दवाब नहीं बना सके थे। बीजेपी से एक-एक कर ओबीसी नेताओं के सपा में शामिल होने से उसका समीकरण बिगड़ रहा था। 2017 में बीजेपी के सहयोगी रहे ओमप्रकाश राजभर भी अब पाला बदल कर अब सपा की साइकिल चला रहे हैं। ऐसे में बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने में निषाद वोटर अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। बीजेपी ने निषाद पार्टी को ज्यादा सीटें देकर पूर्वांचल में सपा की किलेबंदी को रोकने की कोशिश की है।
यूपी चुनाव का कार्यक्रम
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं और आयोग ने यहां सात चरणों में मतदान कराने की घोषणा की है जिसकी शुरुआत दस फरवरी से होगी और मतगणना 10 मार्च को होगी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा ने 312 और उसके सहयोगियों ने 13 सीटें जीती थीं जबकि सपा को 47, बहुजन समाज पार्टी को 19 और कांग्रेस को सात सीटों पर जीत मिली थीं। भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) को नौ तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को चार सीटों पर जीत मिली। राष्ट्रीय लोकदल और निषाद पार्टी का भी एक-एक सीट पर खाता खुला था। बाकी निर्दलीय भी जीते थे।