Jaago Nagrik Jaago । क्या है Waqf Board, कानून में संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी? Expert से समझें

By Anoop Prajapati | Sep 04, 2024

सरकार ने हाल में ही वक्फ को लेकर एक संशोधन विधेयक पेश किया है। हालांकि इसको लेकर जबरदस्त तरीके से सियासी विवाद जारी है। एक समुदाय के लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। जिसके चलते सरकार ने उस विधेयक को संसदीय कार्यसमिति (जेपीसी) के पास भेज दिया है। हालांकि, बड़ा सवाल यही है कि आखिर वर्तमान में वक्फ से संबंधित कानून क्या है? इसे कब मान्यता मिली थी? इसके बड़े प्रावधान क्या है? इसको जानने के लिए हमने बातचीत की है देश की जानी-मानी कानून विशेषज्ञ आकांक्षा सिंह से।


प्रश्न - वक्फ से संबंधित कानून क्या हैं, और इसे कब मान्यता मिली ? 


जवाब - ब्रिटिश शासन के दौरान ही अंग्रेजों ने यह नियम बनाया था कि हिंदुओं पर हिंदुओं के कानून और मुस्लिम लोगों पर मुस्लिम समुदाय के कानून लागू किए जाएंगे। जिसके तहत शादी-विवाह जैसे मामलों में पर्सनल लॉ लागू होंगे। देश में पहला वक्फ कानून 1913 में लागू हुआ था, जिसे बाद इसे 1923 में कुछ हद तक संशोधित भी किया गया था। लेकिन देश की आजादी के बाद वक्फ कानून 1954 में आया था। जिसे 1955 और 2013 में संशोधित भी किया गया था और इसी कानून को फिलहाल संशोधित किया जाना है। वक्फ का मतलब एक है कि कोई व्यक्ति धार्मिक शिक्षा या अपने धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपनी संपत्ति स्वतः ही दान कर दे। इसके साथ भी इस कानून को संवैधानिक अधिकार भी प्रदान दिए गए हैं। इस बोर्ड की देखभाल करने के लिए एक वक्फ काउंसिल भी होती है। जो सरकार की निगरानी में ही काम करती है। जिसमें लगातार बढ़ रही भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद सरकार ने इसमें बदलाव लाने का प्रस्ताव रखा है। इस प्रकार के दान की प्रक्रिया मुस्लिम धर्म के अलावा किसी भी धर्म में मौजूद नहीं है। 


प्रश्न - इसके प्रावधान में बड़ी और महत्वपूर्ण बातें क्या हैं ? 


जवाब - इस एक्ट के माध्यम से सरकार पहले से चले आ रहे नियमों में और अधिक पारदर्शिता लाना चाहती है। सरकार चाहती है कि जो भी जमीन हड़पने या जबरदस्ती कब्जा करने से संबंधित मुद्दे लगातार उठ रहे हैं, उन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जिसके तहत सरकार तय कर सकती है कि वक्फ की जमीनों का किस तरह से और कौन-कौन लोग उपयोग कर सकते हैं। 


प्रश्न - वक्फ के लिए दान कौन लोग दे सकते हैं ? 


जवाब - वक्फ में दान करने के लिए आप बालिग और मुसलमान होने चाहिए। इसके साथ ही दान करते समय यह भी देखा जाता है कि दान देने वाला व्यक्ति पूरी तरह से अपने होश में हो। वह मानसिक रूप से बीमार नहीं होना चाहिए। इसके अलावा भी कई ऐसे मामले देश में मौजूद हैं। जहां गैर मुस्लिम समुदाय ने भी वक्फ में दान दिया है। दान करने के लिए व्यक्ति का मुस्लिम होना आवश्यक ना हो इस प्रकार का संशोधन इस नए एक्ट में किया जा सकता है। 


प्रश्न - वक्फ बोर्ड की इस संपत्ति का इस्तेमाल कैसे और कहां होता है ?


जवाब - इस प्रकार की संपत्ति का उपयोग सिर्फ चैरिटी या धार्मिक स्थलों को बनाने के लिए ही हो सकता है। चैरिटी के तहत सिर्फ उस जमीन पर अस्पताल स्कूल या खेलकूद के मैदान ही बनाए जा सकते हैं, लेकिन वर्तमान समय में बड़े पैमाने पर इसमें धांधली चल रही है। इसके साथ ही इस बोर्ड में महिलाएं भी अधिकांशतः नदारद ही रहती हैं। इसीलिए नए बिल में महिलाओं का इस बोर्ड में प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर जोडर दिया गया है। 


प्रश्न - वक्फ बोर्ड कैसे बनता है, इसमें कौन-कौन लोग शामिल होते हैं और इसके काम करने का तरीका किस प्रकार का होता है ? 


जवाब - देश के हर प्रदेश का एक अलग वक्फ बोर्ड होता है। जिसकी शुरुआत आजादी के बाद से राज्यों के गठन के साथ ही हो गई थी। वहीं प्रदेश स्तर का वक्फ बोर्ड अपने राज्य की वक्त संपत्तियों की देखभाल करता है। इसके साथ ही केंद्रीय वक्फ समिति इन सभी समितियां के मध्य आपसी तालमेल और सामंजस्य को बढ़ता है। और यह समिति सरकार के द्वारा गठित की जाती है। जिसके चलते अप्रत्यक्ष रूप से सरकार का सभी वक्फ बोर्ड में दखल होता है। जो भी प्रदेश के स्तर पर बोर्ड होते हैं, उसमें सदस्य बनने के लिए आपका मुसलमान होना जरूरी है, लेकिन जो भी केंद्रीय समिति होती है उसमें मुस्लिम धर्म का कोई भी विद्वान व्यक्ति सदस्य बनाया जा सकता है। लेकिन उसके मापदंड बहुत ही उच्च स्तर के निर्धारित किए गए हैं। बोर्ड की संपत्ति पर सरकार एक ट्रिब्यूनल के तहत अपनी नजर रखती है। अगर कोई भी बोर्ड यह तय करता है कि यह संपत्ति की है तो उसमें पीड़ित व्यक्ति इस ट्रिब्यूनल के पास जाकर अपनी समस्या रख सकता है। यदि पीड़ित ट्रिब्यूनल के फैसले और उसकी जांच से संतुष्ट नहीं हो तो उसको हाईकोर्ट में जाने का भी हक होता है। 


प्रश्न - वक्फ बोर्ड कानून 2013 के बिंदु 40 के अनुसार क्या कोई भी व्यक्ति किसी की भी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता है ? 


जवाब - इस प्रकार के सिर्फ एक दो मामले ही मौजूद हैं। समान्यतः इस तरह की चीज नहीं होती हैं इसके साथ ही हाईकोर्ट ने भी इस प्रकार के मामलों में दखल देकर लोगों को इंसाफ दिया है। अब इस नए एक्ट में इस बिंदु 40 के नियम को हटाने की भी बात की जा रही है। जिससे जबरदस्ती किसी की संपत्ति को बोर्ड की संपत्ति घोषित करने का अधिकार पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए।


प्रश्न - अगर बोर्ड आपकी जमीन पर दबा कर दे तो क्या पीड़ित व्यक्ति इस मामले को लेकर कोर्ट में जा सकता है ? 


जवाब - इस प्रकार के मामलों में पहली अपील बोर्ड के सामने ही की जा सकती है। जिसमें बोर्ड संपत्ति को लेकर कुछ सवाल जवाब भी करता है और वह समिति ही यह फैसला करेगी की संपत्ति को जबरदस्ती लिया गया है या नहीं। इसके साथ ही इस प्रकार के दान में मौखिक दान भी शामिल है। जिसको लेकर कोई भी कागजी कार्यवाही की आवश्यकता नहीं होती ।है ऐसे मामलों में जरूर लोगों को समस्या होती है, लेकिन यदि आप बोर्ड के फैसले से असहमत हैं तो संबंधित राज्य के हाईकोर्ट में भी जाने का अवसर होता है। 


प्रश्न - गरीबों के हक में यह संशोधन कैसे कार्य करेगा ? 


जवाब - यह बोर्ड गरीबों की भलाई के लिए ही बनाया गया है लेकिन उसमें बढ़ रही अनियमितता और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए ही नए एक्ट लाया गया है। जिसमें गरीब और निचले तबके के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।


प्रश्न - नए वक्फ बिल में क्या है, क्या यह निष्पक्ष और संतुलित है ? 


जवाब - बिल्कुल, उम्मीद जरूर की जा सकती है कि यह नया बिल पूरी तरह निष्पक्ष और संतुलित हो। हिंदू धर्म में इस प्रकार के बिल न होने के कारण लोगों को समझने में जरूर कठिनाई होती है, लेकिन गहराई से अध्ययन करने पर उनको भी पता चलेगा कि वर्तमान में वक्फ बोर्ड में कई सारी चुनौतियां हैं। जिन्हें दूर करना बहुत आवश्यक है, इसके अलावा भी मुस्लिम समुदाय में एक डर है कि अगर कोई भी जमीन मौखिक रूप से दान की गई थी। जिस पर कोई चैरिटी चल रही है तो उसे जमीन को सरकार खाली करवा सकती है, क्योंकि नए प्रावधान के तहत बोर्ड को सभी संपत्तियों का दस्तावेज उपलब्ध करवाना होगा। इसके साथ ही नए एक्ट में ट्रिब्यूनल की शक्तियों को कुछ सीमित करके लोगों को अपील करने का अधिकार दिया जाएगा। इस नए एक्ट के आने से कुछ समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं। जैसे कोई भी अमीर व्यक्ति अपनी जमीन के लिए लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ सकता है। तो वहीं, एक गरीब व्यक्ति को ना चाहते हुए भी अपनी जमीन गंवानी पड़ सकती है।


प्रश्न - क्या इस नए प्रावधान का विरोध पूरी तरह से राजनीतिक है या इसमें सचमुच कुछ खामियां हैं ? 


जवाब - अगर यह एक्ट जिस विचार और इच्छाशक्ति के तहत लाया जा रहा है और यह इसी प्रकार से काम भी करता है तो इसमें खामियों की गुंजाइश नहीं बचती है। लेकिन मुस्लिम समुदाय में यह डर जरूर है क्योंकि वह हमेशा से पर्सनल लॉ का पालन करते चले आ रहे हैं। जिसे सरकार धर्मनिरपेक्ष बनाने का प्रयास कर रही है।


प्रश्न - क्या इस तरह का बोर्ड दुनिया के दूसरे देशों में भी है ? 


जवाब - दुनिया के कई मुस्लिम बाहुल्य देश में इस प्रकार के बोर्ड की आवश्यकता नहीं पड़ती है, क्योंकि उन देशों का कानून ही कुरान के आधार पर बनाया जाता है। इसके अलावा भी दूसरे देशों में इस कानून को यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत ही रखा गया है।

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