भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरु के शोधार्थियों को त्वचा कैंसर के उपचार में एक बड़ी कामयाबी मिली है। उन्होंने मैग्नेटिक नैनो फाइबर की मदद से एक ऐसा बैंडेज विकसित किया है, जो कैंसर कोशिकाओं को बिना चीर-फाड़ ऊष्मा द्वारा निष्क्रिय करने में सक्षम है।
कैंसर का प्रकोप अब बहुत तेजी से फैल रहा है, जिसमें त्वचा कैंसर सबसे आम है। सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के अत्यधिक संपर्क में आना त्वचा कैंसर की बड़ी वजह मानी जाती है। इसके भी दो प्रकार हैं। एक मेलानोमा, जो त्वचा में मेलानोसाइट्स नामक पिगमेंट-उत्पादक कोशिकाओं से विकसित होता है। वहीं, दूसरा नॉन-मेलानोमा त्वचा कैंसर होता है, जो त्वचा की अन्य कोशिकाओं से फैलता है। जहां नॉन मेलानोमा कैंसर के मामले बहुत ज्यादा देखने को मिलते हैं, वहीं मेलानोमा कैंसर अत्यंत खतरनाक है, जिसमें मौत की दर भी अधिक होती है।
आमतौर पर कैंसर का इलाज सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी के जरिये किया जाता है। इन उपचार पद्धतियों की अपनी चुनातियां और सीमाएं हैं। इनके अतिरिक्त त्वचा कैंसर के एक कारगर वैकल्पिक उपचार के रूप में हाइपरथर्मिया पद्धति का भी उपयोग होता है। इसमें प्रभावित टिशूज यानी ऊतकों पर ऊष्मा के प्रयोग से इलाज किया जाता है। बीते कुछ वर्षों में शोधार्थी ट्यूमर टिशूज पर ऊष्मा के प्रयोग के तौर-तरीके विकसित करने में जुटे हैं, ताकि कैंसर कोशिकाओं को चिन्हित करके उन पर प्रभावी रूप से प्रहार किया जा सके।
मैग्नेटिक हाइपरथर्मिया ऐसी ही एक तकनीक है। इसमें एक्सटर्नल आल्टरनेटिंग करेंट मैग्नेटिक फील्ड (एएमएफ) के प्रयोग से मैग्नेटिक नैनो-पार्टिकल्स के जरिये ट्यूमर सेल्स को गर्म किया जाता है। हालांकि अनियंत्रित जमाव के कारण इस तरह मैग्नेटिक नैनो-पार्टिकल्स के माध्यम से प्रभावित टिशू तक एक समान ऊष्मा पहुंचाना चुनौतीपूर्ण कार्य है। साथ ही इनके रोगी के शरीर में जमा होने की आशंका भी बनी रहती है जिससे शरीर में विषैले तत्वों की मात्रा में वृद्धि होने का खतरा रहता है।
आईआईएससी के सेंटर फॉर बायोसिस्टम्स साइंस एंड इंजीनियरिंग (बीएसएसई) और आईआईएससी में डिपार्टमेंट ऑफ़ मॉलिक्यूलर साइंस रीप्रोडक्शन, डेवलपमेंट एंड जेनेटिक्स (एमआरडीजी) द्वारा विकसित किये नए बैंडेज में इलेक्ट्रोस्पिनिंग पद्धति के प्रयोग से मैग्नेटिक नैनोपार्टिकल्स का अनूठा मेल तैयार किया गया है। यह आयरन के एक ऑक्साइड Fe3O4 और पॉलीकैप्रोलैक्टोन (पीसीएल) जैसे बायोडिग्रेडेबल पॉलिमर को एक सर्जिकल टेप पर चिपकाकर तैयार किया गया है। यह मैग्नेटिक सामग्री हाई फ़्रिक्वेन्सी कम्पन से बने चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा ऊष्मा उत्पन्न करती है।
इसके प्रभाव की पड़ताल के लिए शोधार्थियों ने मानव में कैंसर कोशिकाओं-विट्रो और चूहे में कृत्रिम रूप से विकसित की गई कैंसर कोशिकाओं-वीवो पर दो प्रयोग किए। बीएसएसई में पूर्व परियोजना सहयोगी और इस अध्ययन के प्रथम लेखक कौशिक सुनीत कहते हैं, 'पीसीएल-Fe3O4 फाइबरस मैट बेस्ट बैंडेज तैयार करने के लिए इस्तेमाल प्रोटोकॉल के प्रभाव आकलन में दो महीने लग गए। विट्रो और वीवो परीक्षणों में मैंग्नेटिक थर्मल थेरेपी के प्रभाव को फलीभूत होने में कुछ समय लग गया।'
इन दोनों ही परीक्षणों में नैनोफाइबरस मैग्नेटिक बैंडेज पर एएमएफ के जरिये ऊष्मा उत्पन्न करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में सफलता प्राप्त हुई। हालांकि प्रयोगशाला में यह तरकीब कैंसर के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है, लेकिन इसे क्लिनिकल थेरेपी के रूप में मान्यता प्राप्त करने में अभी लंबा समय तय करना है, जिसके लिए विकास का चरण अभी जारी है। इस शोध के दौरान बीएसएसई में ‘डीएसटी- इंस्पायर’ की फैकल्टी फेलो रहीं और इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका शिल्पी जैन का कहना है, 'प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल एप्लिकेशंस के तौर पर आजमाने से पहले इस उपचार पद्धति की प्रभावोत्पादकता को पऱखने के लिए अभी और अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए खरगोश, कुत्तों और बंदरों पर व्यापक स्तर पर प्रयोग करने होंगे।'
इंडिया साइंस वायर