बुनियादी ढाँचे के विकास पर इतना ज्यादा निवेश भारत में पहले कभी नहीं हुआ

By प्रह्लाद सबनानी | Sep 16, 2021

21वीं सदी के तीसरे दशक में समाहित, वर्ष 2022 में भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण करेगा। आज देश के अंदर ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार कई वर्गों, अर्थशास्त्रियों, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में यह धारणा प्रबल होती जा रही है कि न केवल अगला दशक बल्कि अगली सदी भी भारत के प्रभुत्व वाली होने की प्रबल सम्भावना बनती जा रही है। इसकी नींव पिछले 7 वर्षों के दौरान मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए कई निर्णयों के चलते रखी जा चुकी है।

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भारत इस समय विश्व के सबसे मजबूत देशों में से एक बन गया है। आज भारत की आवाज पूरे विश्व में गम्भीरता से सुनी जा रही है। कोई भी देश भारत को आज हल्के में नहीं लेता है। राजनैतिक तौर पर भारत की ताकत विश्व में बढ़ी है। वैश्विक स्तर पर सभी बड़ी ताकतें यथा अमेरिका, रूस, जापान, आस्ट्रेलिया, फ्रान्स, ब्रिटेन आदि देश भारत के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं। वे आज भारत को गम्भीरता से लेते हैं। यह सब एकाएक नहीं हुआ है बल्कि इस सब के पीछे छिपी है भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की देश के प्रति अगाध श्रद्धा, प्रेम, लग्न एवं दिन रात की लगातार मेहनत। वे जिस किसी देश अथवा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जाते हैं वहां भारत के आर्थिक विकास की बात करना नहीं भूलते हैं। अपने पक्ष को कुछ इस प्रकार रखते हैं कि जैसे कोई व्यक्ति अपने स्वयं के लिए विदेशी निवेशकों से सहायता मांग रहा हो। 

 

विदेशी निवेशकों को निमंत्रण 

 

आपको याद होगा, दिनांक 25 सितम्बर 2019 को न्यूयॉर्क में ब्लूम्बर्ग वैश्विक व्यापार फोरम 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेशी निवेशकों को निमंत्रण देते हुए कहा था कि वे भारत में अपने निवेश को बढ़ाएं क्योंकि विकास ही आज भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। आज भारत की जनता उस सरकार के साथ खड़ी है जो व्यवसाय का माहौल सुधारने के लिए बड़े से बड़े और कड़े से कड़े फैसले लेने में पीछे नहीं रहती है। आज भारत में एक ऐसी सरकार है जो व्यापार जगत का सम्मान करती है, सम्पत्ति निर्माण का सम्मान करती है। आज भारत एक अद्वितीय स्थिति में आकर खड़ा हो गया है। देश में तेज गति से विकास हो रहा है, गरीबी में कमी आ रही है, लोगों की क्रय शक्ति बढ़ रही है जिससे विभिन्न वस्तुओं की मांग में वृद्धि दृष्टिगोचर है।


प्रधानमंत्री ने विदेशी निवेशकों का आह्वान करते हुए यह भी कहा था कि भारत में बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। देश में तेज गति से चालित परिवहन व्यवस्था विकसित करने के लिए नए-नए राजमार्गों का निर्माण किया जा रहा है। बड़े-बड़े शहरों में मेट्रो रेलों का जाल बिछाया जा रहा है। बंदरगाहों एवं हवाई अड्डों को आधुनिक बनाया जा रहा है। इन सभी क्षेत्रों में भारी मात्रा में निवेश किया जा रहा है। भारत में बुनियादी ढांचे के विकास पर आज जितना निवेश भारत सरकार कर रही है उतना निवेश देश में पहले कभी नहीं किया गया है। देश में आगे आने वाले कुछ वर्षों में 100 लाख करोड़ रुपए का खर्च आधुनिक बुनियादी ढांचे को खड़ा करने पर किया जाएगा।


भारत के सामाजिक बुनियादी ढांचे पर भी लाखों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। भारत के विकास की कहानी में अब गुणात्मक एवं परिमाणात्मक दोनों ही स्थितियों में छलांग लगाने को तैयार है। अब भारत ने अपने विकास के लिए एक बड़ा लक्ष्य तय कर लिया है। वर्ष 2024-25 तक देश को 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जब 2014 में वर्तमान सरकार सत्ता में आई थी, तो देश की अर्थव्यवस्था करीब-करीब 2 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की थी। इस बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश के पास योग्यता भी है, साहस भी है और परिस्थितियां भी अनुकूल हैं।

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विदेशी निवेशकों को दिए गए निमंत्रण का असर 

 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विदेशी निवेशकों को दिए गए उक्त वर्णित निमंत्रण का असर बहुत ही प्रभावशाली रहा है। जिसके चलते, दिनांक 04 सितंबर 2021 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। भारतीय इतिहास में पहली बार देश में विदेशी मुद्रा भंडार ने 64,245 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को छुआ है। भारत के इतिहास में विदेशी मुद्रा भंडार ने कभी भी इस स्तर को नहीं छुआ है।


वित्तीय समावेशन 

 

केवल विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में भी अकल्पनीय सुधार हुआ है। भारत में वर्ष 1947 में 70 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे। जबकि अब वर्ष 2020 में देश की कुल आबादी का लगभग 22 प्रतिशत हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है। जबकि 1947 में देश की आबादी 35 करोड़ थी जो आज बढ़कर 136 करोड़ हो गई है। देश में वित्तीय समावेशन को सफलतापूर्वक लागू किए जाने के कारण ही गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी देखने में आई है। केंद्र में वर्तमान मोदी सरकार के कार्यभार ग्रहण करने के बाद से तो वित्तीय समावेशन के कार्यान्वयन में बहुत अधिक सुधार देखने में आया है। उसके पीछे मुख्य कारण देश में विभिन्न वित्तीय योजनाओं को डिजिटल प्लेटफार्म पर ले जाना है। आज भारत के करीब करीब प्रत्येक नागरिक के पास यूनिक आईडी है, मोबाइल फोन है, बैंक अकाउंट है, जिसके कारण लक्षित सेवाओं को प्रदान करने में तेजी आई है। केंद्र सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई जन-धन योजना ने इस संदर्भ में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। जन-धन योजना के अंतर्गत कुल 42 करोड़ से अधिक देशवासियों के खाते विभिन्न बैंकों में खोले गए हैं, जिनके खातों में आज सीधे ही सब्सिडी का पैसा केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा हस्तांतरित किया जा रहा है। मनरेगा योजना की बात हो अथवा केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं की बात हो, पहले ऐसा कहा जाता था कि केंद्र से चले 100 रुपए में से शायद केवल 8 रुपए से 16 रुपए तक ही अंतिम हितग्राही तक पहुंच पाते हैं, परंत आज हितग्राहियों के खातों में सीधे ही राशि के जमा करने के कारण बिचोलियों की भूमिका एकदम समाप्त हो गई है एवं हितग्राहियों को पूरा का पूरा 100 प्रतिशत पैसा उनके खातों में सीधे ही जमा हो रहा है। यह वित्तीय समावेशन की दृष्टि से एक क्रांतिकारी कदम सिद्ध हुआ है।


गरीब तबके हेतु विशेष योजनाएं 

 

वर्ष 2014 में, केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से ही गरीब तबके के लोगों में प्रसन्नता की भावना विकसित करने के उद्देश्य से कई योजनाओं का सफलता पूर्वक किर्यान्वयन किया गया है। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना- जिसके अंतर्गत 2 करोड़ से अधिक आवासों का निर्माण किया जा चुका है। सौभाग्य योजना- जिसके अंतर्गत 100 प्रतिशत गांवों में बिजली उपलब्ध करवा दी गई है। स्वच्छ भारत अभियान- जिसके अंतर्गत 10 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। उज्जवला योजना- जिसके अंतर्गत 9 करोड़ से अधिक एलपीजी के कनेक्शन दिलवाए गए हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और शहरी गैस वितरण नेटवर्क के जरिये रसोई घरों तक पाइप से सीधे गैस पहुंचाने जैसे कदमों से भारत में 28 करोड़ से अधिक परिवार इसके दायरे में आ गये हैं। वर्ष 2024 तक ग्रामीण इलाकों के हर घर में जल पहुँचाने की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए अलग से “जल शक्ति मंत्रालय” बनाया गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत देश के 97 प्रतिशत गांवों को समस्त मौसम में उपलब्ध सड़कों के साथ जोड़ दिया गया है। अब इन सड़कों को अपग्रेड किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान भी चलाया जा रहा है, इस अभियान के अंतर्गत 2 करोड़ से अधिक ग्रामीणों को डिजिटल क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जा चुका है। इससे ग्रामीणों की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हो रही है। प्रधानमंत्री वाणी योजना को भी पूरे देश में लागू किया जा रहा है जिसके अंतर्गत वाइफाई हॉट स्पाट्स की स्थापना की जा रही है ताकि देश में इंटरनेट का जाल बिछाया जा सके। इससे ग्रामीण इलाकों में भी ई-कॉमर्स सुविधाएं एवं वाइफाई हॉट स्पाट्स बढ़ेंगे तथा ग्रामीण इलाकों में भी कार्यक्षमता के स्तर में सुधार होगा। ग्रामीण इलाकों में भी लोग अपना व्यवसाय शुरू कर सकेंगे। आज के जमाने में युवा वर्ग को तकनीक के साथ जोड़ना जरूरी हो गया है।


भारत की आत्म निर्भरता में पूरे विश्व को लाभ


देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “अमेरिका-भारत स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम के तीसरे लीडरशिप समिट”, को सम्बोधित करते हुए कहा कि 130 करोड़ भारतीय अब देश को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन पर निकल पड़े हैं। भारत के आत्मनिर्भर बनने की परिभाषा में पूरे विश्व का कल्याण निहित है। भारत ने यह बार-बार दोहराया भी है कि हमारा अंतिम उद्देश्य पूरे विश्व में बंधुत्व की भावना का संचार करना एवं समस्त प्राणियों के सुखी होने से है। इसीलिए भारत अब लोकल (स्थानीय) को ग्लोबल (वैश्विक) रूप देना चाहता है। 

 

पूरे विश्व का भारत पर विश्वास


अब तो विश्व के अधिकतर देशों को प्रबल विश्वास होता जा रहा है कि भारत आने वाले समय में पूरे विश्व में सबसे अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने वाला स्थल बनने जा रहा है। क्योंकि, यहां पिछले 70 वर्षों से लगातार लोकतंत्र बहाल रहा है, राजनैतिक स्थिरता का माहौल है, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में लम्बी छलांग लगाई है, आर्थिक क्षेत्र में हाल ही में कई सुधार कार्यक्रम लागू किए गए हैं, पॉलिसी में स्थिरता है। साथ ही, वर्तमान में केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी की विकराल समस्या का जिस समझबूझ से मुकाबला किया है उसके कारण मौतों की संख्या अन्य देशों की तुलना में काफी कम रही है। कोरोना की जांच के लिए केवल एक टेस्टिंग लेबोरेटरी से शुरुआत कर अल्प समय में ही देश में हजारों की संख्या में टेस्टिंग लेबोरेटरी स्थापित की गई हैं। कोरोना महामारी के दौरान देश के करीब 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त अनाज एवं आर्थिक सहायता की व्यवस्था सफलतापूर्वक की गई। अल्प समय में ही 75 करोड़ से अधिक कोरोना टीकाकरण के डोज नागरिकों को लगा दिए गए हैं। अतः भारत की साख एक जिम्मेदार एवं योग्य देश के रूप में पूरे विश्व में स्थापित हुई है।


-प्रह्लाद सबनानी 

सेवानिवृत्त उप महाप्रबंधक

भारतीय स्टेट बैंक

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