राज्यसभा का अंक गणित NDA के पक्ष में, अब दोनों सदनों में शिखर पर है भाजपा

By संतोष पाठक | Nov 04, 2020

2019 में ऐतिहासिक बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में वापस लौटने के बाद भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अपना एजेंडा लागू करने में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। लोकसभा में प्रचण्ड बहुमत के बल पर भाजपा अपने किसी भी विधेयक या प्रस्ताव को आसानी से पास करवा लेती थी लेकिन राज्यसभा में उसे पारित करवाने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। भाजपा को राज्यसभा में हर दिन बीजू जनता दल, तेलगुदेशम पार्टी, वाई एस आर कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ-साथ कई छोटे दलों के सांसदों को साधना पड़ता था। हाल ही में किसानों से जुड़े विधेयक को पारित करवाते समय राज्यसभा में क्या हुआ था, यह सबने देखा। 

 

राज्यसभा में भाजपा ने चलाया ऑपेरशन लोटस

2019 में सत्ता में पुनर्वापसी के कुछ ही समय बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को इसका ज्ञान हो गया था कि राज्यसभा में पार्टी को अपनी सीटें लगातार बढ़ानी चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि विरोधी दलों के सांसदों की संख्या घटे और भाजपा अपने एनडीए के सहयोगी दलों के साथ-साथ बहुमत के करीब पहुंचे।

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इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने राज्यसभा का अंकगणित बदलने के मकसद से एक अभियान चलाया जिसे पत्रकारिता की भाषा में 'ऑपेरशन लोटस' का नाम दिया गया। इस अभियान के तहत 2019 में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को इस काम पर लगाया गया कि वो विरोधी दलों के सांसदों को अपनी राज्यसभा सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा देने के लिए मनाएं। ऐसे सांसदों का इस्तीफा स्वीकार हो जाने के बाद भाजपा उन्हें उसी सीट पर अपने उम्मीदवार के तौर पर लड़ाती गई और जिता कर राज्यसभा भेजती गई। 16 जुलाई 2019 को समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर ने राज्यसभा और सपा से इस्तीफा दे दिया। इसके अगले महीने अगस्त 2019 में विरोधी दलों के 3 और राज्यसभा सांसदों (सपा के सुरेंद्र सिंह नागर, संजय सेठ और कांग्रेस के भुवनेश्वर कालिता) ने इस्तीफा दे दिया। बीजेपी के अभियान की कामयाबी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिन-जिन सांसदों ने इस्तीफा दिया था वो अपनी-अपनी पार्टी के आलाकमान के काफी करीबी माने जाते थे। लेकिन भाजपा ने उन्हें ऐसा ऑफर दिया कि वो मना नहीं कर सके और आज ये सभी भाजपा सांसद के तौर पर सदन की शोभा बढ़ा रहे हैं। 

 

बदल गया राज्यसभा का गणित- शीर्ष पर पहुंची भाजपा

भाजपा के ऑपेरशन लोटस को लगातार कामयाबी मिलती गई और नतीजा यह है कि अब राज्यसभा का गणित पूरी तरह से बदल गया है। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी नंबर के मामले में राज्यसभा में अब तक के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंच गई है जबकि इसके विपरीत देश पर सबसे लंबे समय तक राज करने वाली कांग्रेस, अपने इतिहास के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। अंकों के फेरबदल का यह करिश्मा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राज्यसभा की 11 सीटों पर आए चुनावी नतीजों से संभव हो पाया है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राज्यसभा की 11 सीटों के आए नतीजों की वजह से ही भाजपा राज्यसभा में अब तक के शिखर पर पहुंच गई है जबकि इसके विपरीत कांग्रेस की सीटें इतिहास में सबसे कम हो गई हैं। 

 

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनावी नतीजों के बाद इस समय राज्‍यसभा में भाजपा के सांसदों की संख्या 92 हो गई है, जबकि कांग्रेस के सांसदों की संख्या 38 पर सिमट गई है। निश्चित तौर पर यह भाजपा के लिए बड़ी उपलब्धि है।

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राज्यसभा चुनाव- उत्तर प्रदेश का चुनावी नतीजा

उत्तर प्रदेश से भाजपा को 8 राज्यसभा की सीट पर जीत हासिल हुई है। वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का एक-एक उम्मीदवार इस चुनाव में जीता है। बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल, नीरज शेखर, हरिद्वार दूबे, गीता शाक्य, बीएल वर्मा और सीमा द्विवेदी निर्विरोध राज्यसभा के लिए चुने गए हैं। जबकि समाजवादी पार्टी की तरफ से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव और बसपा की तरफ से रामजी गौतम निर्विरोध राज्यसभा सांसद चुने गए हैं। इन सभी नवनिर्वाचित सांसदों का कार्यकाल 25 नवंबर 2020 से 24 नवंबर 2026 तक रहेगा। 

 

राज्‍यसभा में उत्तर प्रदेश के कोटे से 31 सीटें आती हैं। इनमें से अब सबसे ज्यादा 22 सीटें बीजेपी की हो गई हैं। सपा के पास प्रदेश से पांच, बसपा के पास तीन और कांग्रेस के पास महज एक सीट ही रह गई है। 

 

राज्यसभा में शीर्ष पर भाजपा लेकिन बहुमत से अभी भी दूर

राज्यसभा में निश्चित तौर पर भाजपा की ताकत बढ़ी है। वर्तमान में अगर एनडीए की बात की जाए तो भाजपा के 92 सांसदों के बल पर एनडीए सांसदों की संख्या 112 हो गई है। लेकिन अभी भी एनडीए को राज्यसभा में बहुमत हासिल नहीं हो पाया है। एनडीए अभी भी बहुमत की संख्‍या से दस सीट दूर है। हालांकि उच्च सदन के लगातार बदल रहे अंकगणित के बीजेपी के पक्ष में होने की वजह से उसकी राह थोड़ी आसान तो होती ही जा रही है। आपको बता दें कि राज्यसभा में कुल सीटें 245 हैं जिनमें से 12 सीटों पर राष्ट्रपति सदस्यों को नामांकित करते हैं।


-संतोष पाठक

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवँ स्तम्भकार हैं)

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