हर्ष मंदर से जुड़े दो शेल्टर होम्स को लेकर चौंकाने वाले खुलासे करते हुए NCPCR ने HC से कार्रवाई की सिफारिश की

By अभिनय आकाश | Jul 29, 2021

हमारे और आपके सामने ऐसे कितने बच्चे रोजना आते हैं जिनका कोई परिवार नहीं होता। अगर मां-बाप होते भी हैं तो वो ठीक से अपने बच्चों को पाल नहीं पाते। ये बच्चे भीख मांग कर किसी तरह अपना गुजारा करते हैं। इन्हीं बच्चों में से कुछ को शेल्टर होम की शक्ल में घर मिलती है। कुछ शेल्टर होम सरकारी होते हैं तो कुछ को एनजीओ द्वारा संचालित किया जाता है। लेकिन कई बार इन शेल्टर होम्स में भी बच्चों के साथ गलत होता है। उन्हें जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वो नहीं मिलती उल्टे उनका उत्पीड़न होता है। बिहार के मुजफ्फरपुर का चर्चित शेल्टर होम मामला तो काफी सुर्खियों में भी रहा था। आज आपको राजधानी दिल्ली के दो शेल्टर होम की कहानी सुनाएंगे। जिसके बारे में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। 

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एनसीपीसीआर ने क्या कहा है?

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानी एनसीपीसीआर ने दिल्ली हाईकोर्ट को राजधानी दिल्ली के दो शेल्टर होम्स के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। आयोग की तरफ से अदालत को बताया गया है कि शेल्टर होम्स मैनेजमेंट की ओर से कई किस्म की गड़बड़ियों और उल्लंघनों का पता लगाने के बाद ही दोनों शेल्टर होम के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है। बता दें कि दोनों शेल्टर होम्स पूर्व आईएएस अफसर और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए की चेयरमैन सोनिया गांधी के बेहद करीबी हर्ष मंदर का है। हर्ष मंदर के दोनों एनजीओ लड़कों के लिए ‘उम्मीद अमन घर’ और लड़कियों के लिए ‘खुशी रेनबो होम’ को लेकर एनसीपीसीआर ने कार्रवाई की सिफारिश कोर्ट से की है। एनसीपीसीआर के मुताबिक बच्चों ने बताया कि बड़े लड़कों को सीएए के विरोध में चल रहे धरना प्रदर्शन में भेजा गया था। एक बच्चे ने तो यहां तक ​​कह दिया कि पीएम मोदी सिर्फ हिंदुओं की सुनते हैं और पाकिस्तान से लड़ते हैं। आयोग ने कहा कि लड़कियों में से एक ने आयोग को सूचित किया कि वह 4-5 लड़कियों के साथ सीएए के विरोध के दौरान जंतर-मंतर गई थी। बता दें कि बच्चों को विरोध के लिए भेजना किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 83 (2) का उल्लंघन है। 

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गौरतलब है कि हर्ष मंदर से जुड़ी दो एनजीओ के खिलाफ किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था। पुलिस के मुताबिक, राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग (एनसीपीसीआर) की शिकायत पर ‘‘उम्मीद अमन घर’’ और ‘‘खुशी रेनबॉ होम’’ के खिलाफ महरौली थाने में मामला दर्ज किया गया था। ये दक्षिण दिल्ली में हैं और इनकी स्थापना सेंटर फॉर इक्यूटी स्टडिज़ (सीएसई) ने की है। सीएसई का संचालन न्यास सदस्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर द्वारा किया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक, इन इकाइयों का अक्टूबर 2020 को एनसीपीसीआर टीमों ने निरीक्षण किया था जिसके बाद मामला दर्ज किया गया। 

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