By विजयेन्दर शर्मा | Nov 25, 2021
हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर कस्बे में नेशनल हॉकी तक खेल चुकी एक खिलाड़ी इन दिनों अपने परिवार की रोजी रोटी के लिये रेहड़ी लगाने को मजबूर है। बीमार पिता का सहारा नेहा हमीरपुर बाजार में रेहड़ी लगाकर फास्ट फूड बेचकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर रही है। यह सब उसी इलाके में हो रहा है जहां से केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर सांसद चुनकर आते हैं। अपने सांसद से भी यह परिवार मदद की गुहार लगा चुका है। लेकिन अभी तक इस बदहाल परिवार के हालात पर अनुराग ठाकुर का भी दिल पसीजा नही है।
नेहा इन दिनों अपने बीमार पिता का इलाज भी करवा रही है। घर में मुफलिसी का दौर है। तो छोटी बहन भी उसकी मदद करती है। जिससे यह लोग रेहड़ी पर फास्ट फूड फूड बेचकर किसी तरह अपना घर चला रहे हैं। लेकिन इन दिनों खराब मौसम के चलते आमदनी भी कम हुई है। नेहा के पिता चंद्र सिंह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे हैं । उनका कांगडा के टांडा मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है और कई महीने से बिस्तर पर ही हैं वह मछली कॉर्नर चलाते थे। जिसकी वजह से पूरे परिवार की जिम्मेदारी अब नेहा और उनकी छोटी बहन निकिता पर आ गई है । छोटी बहन निकिता ग्रेजूएशन की पढ़ाई कर रही हैं। और भाई अंकुश बाल स्कूल हमीरपुर में पड़ता है।
नेहा अपने परिवार के साथ छोटी सी जर्जर झुग्गी झोपड़ी में रहती है। कुछ अरसा पहले नगर परिषद हमीरपुर के वार्ड नंबर 10 के पास सरकार ने 4 मरले जमीन उनको। लेकिन पास पैसे ना होने की वजह से उस पर घर नहीं बना सके । नेहा की मां निर्मला देवी ने बताया कि अगर बेटी को नौकरी मिल जाए तो उनकी मुश्किलें कम हो जाएंगी।
नेहा का कहना है कि उन्हें खेल में करियर की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं है वह सिर्फ अपने परिवार के गुजारे के लिए मैच खेल लेती हैं ताकि कुछ पैसे मिल जाएं । आठवीं कक्षा के दौरान उनका चयन स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के धर्मशाला हॉस्टल के लिए हुआ था। उसने राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में सिल्वर मेडल अपने नाम किया हॉकी जूनियर वर्ग में 2 नेशनल खेले वेटलिफ्टिंग में पंजाब की तरफ से स्पर्धा में हिस्सा लिया । उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द उनके घर के निर्माण के लिए पैसा दिया जाए । राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को रोजगार भी दिया जाए। इसके अलावा नेहा ने बताया कि जब खेल अकादमी उसको खिलाड़ियों की जरूरत होती है तब तो खिलाड़ियों को बुलाया जाता है। लेकिन बाद में भुला दिया जाता है। उन्होंने बताया कि कई बार खेल के दौरान वह चोटिल भी हुईं। लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की। इसी वजह से उन्होंने अपने भाई बहन को खेलों से दूर रखा।
नेहा की मां निर्मला देवी ने बताया कि अधिकारियों का सहयोग तो उन्हें पूरा मिल रहा है। लेकिन बेटी को नौकरी न मिलने से उनका संकट दुगना हो गया है। उन्होंने बताया कि पास पडासेस के लोगों से पैसा उधार लेकर मकान का मा शुरू किया। लेकिन नेहा के पिता बीमार हो तो पैसा उन पर खर्च हो गया। जिससे मकान का काम आज भी अधर में लटका है।
नेहा के पिता चंदर सिंह ने कहा कि उनकी बेटी नेहा कई बार नेशनल खेल चुकी है। व कई बार नौकरी के लिये भर्तियों में हिस्सा ले चुकी है। लेकिन कहीं मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा कि परिवार के हालात पर अनुराग ठाकुर को भी अवगत करवाया गया, लेकिव उन्होंने भी कोई मदद नहीं की। उन्होंने सरकार से नेहा को नौकरी देने की मांग की है।