By प्रेस विज्ञप्ति | Jul 06, 2022
केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने रसोई गैस सिलेंडर के दाम 50 रुपए बढ़ाकर आम जनता को एक और बड़ा झटका दिया है। इस बढ़ोतरी के साथ ही गैस सिलेंडर की कीमत 1,053 रुपए हो गई है। देश में कितने लोग इतनी महंगी गैस सिलेंडर खरीद सकते हैं? केंद्र की मोदी सरकार से यह सवाल महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने किया है। उन्होंने कहा कि इस वृद्धि से मोदी सरकार का नया नारा ' न खाने दूंगा और न पकाने दूंगा’ हो गया है।
इस संबंध में आगे बोलते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से महंगाई का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार महंगाई पर काबू पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है। आवश्यक वस्तुओं के दाम आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गए हैं। घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत अब बढ़ कर 1,053 रुपए हो गई है। यही गैस सिलेंडर साल 2014 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान 450 रुपए में मिल रहा था। लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार लोगों को सब्सिडी दे रही थी लेकिन मोदी सरकार ने इन सब्सिडी को भी बंद कर दिया है।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की बदौलत अब हमारे देश के लोगों को दुनिया की सबसे महंगी एलपीजी खरीदनी पड़ रही है। आम जनता के लिए नया गैस कनेक्शन भी मिलना नामुमकिन सा हो गया है। नए कनेक्शन के लिए 2200 रुपए देने होंगे। वहीं सिक्योरिटी के नाम पर 4400 रुपए के अलावा रेगुलेटर के नाम पर 100 रुपए बढ़ा दिया गया है। केंद्र सरकार के आकड़ों के मुताबिक़ उज्ज्वला योजना के तहत 9 करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन दिए गए हैं। बड़ा सवाल यह है कि इन 9 करोड़ में से कितने लोग 1053 रुपए की गैस सिलेंडर खरीदने में सक्षम हैं । नाना पटोले ने कहा कि इस योजना के लोगों ने दोबारा गैस सिलेंडर नहीं लिया है। वहीं जिन लोगों को उज्ज्वला योजना के नाम से गैस कनेक्शन दिया गया और उन्हें केरोसिन की आपूर्ति बंद कर दी गई है। ऐसा लगता है कि अब इन लोगों को फिर से चूल्हे पर खाना पकाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये में रोजाना गिरावट से देश की अर्थव्यवस्था रसातल में चली गई है। महंगाई ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है, लेकिन मोदी सरकार और मोदी के दोस्त अच्छा समय बिता रहे हैं। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स के नाम पर पहले ही 26 लाख करोड़ रुपये की लूट हो चुकी है और अब सरकार को घरेलू तेल उत्पादन पर अतिरिक्त टैक्स लगाने से ज्यादा मुनाफा होगा। केंद्र सरकार एक ओर अपना खजाना भर रही है लेकिन दूसरी ओर लोगों को महंगाई की खाई में धकेल रही है।