Munshi Premchand Death Anniversary: मुंशी प्रेमचंद ने पलट दी थी हिंदी साहित्य की काया, संघर्षों में भी नहीं मानी हार

By अनन्या मिश्रा | Oct 08, 2023

उपन्यास और कहानियों के सम्राट कहे जाने वाले मुंशी प्रेमचंद का आज ही के दिन यानी की 8 अक्टूबर को निधन हो गया था। वह प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे, जिसने हिंदी की पूरी काया पलट दी। वह एक ऐसे लेखक थे, जो समय के बाद ही बदलते चले गए। उन्होंने सरल और सहज हिंदी को ऐसा साहित्य प्रदान किया। जिसे लोग कभी भी भूल नहीं सकते हैं। उन्होंने हिंदी जैसे खूबसूरत विषय पर अमिट छाप छोड़ी थी। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर मुंशी प्रेमचंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

बनारस के छोटे से गांव लमही में 31 जुलाई 1880 को प्रेमचंद जी का जन्म हुआ था। वह एक छोटे और सामान्य परिवार से आते थे। उनके पिता अजायब राय थे। लेकिन प्रेमचंद का जीवन काफी मुश्किलों में बीता था। क्योंकि महज 8 साल की उम्र में उनके सिर से मां का साया उठ गया था। वहीं कुछ समय बाद ही उनके पिता जी ने दूसरी शादी कर ली थी। लेकिन प्रेमचंद की सौतेली मां ने कभी भी उन्हें पूर्ण रूप से नहीं अपनाया। उन्होंने अपना बचपन गोरखपुर में बिताया। प्रेमचंद का हिन्दी की तरफ एक अलग लगाव था। इसके लिए वह अपने ओर से किए गए प्रयासों के चलते छोटे-छोटे उपन्यास लिखते थे।

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प्रेमचंद ने सात साल की उम्र से अपनी शुरूआती शिक्षा लमही गांव के एक छोटे से मदरसे से हुई। इस दौरान उन्होंने अंग्रेजी, हिंदी और उर्दु भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने अपने बलबूते अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाया। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने बनारस के एक कालेज में एडमिशन लिया था। लेकिन पैसों की तंगी के चलते उन्हें ग्रेजुएशन की पढ़ाई छोड़नी पड़ी। जैसे तैसे प्रेमचंद ने मैट्रिक की परीक्षा पास की। साल 1919 में उन्होंने फिर अपनी पढ़ाई जारी की और ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।


वकील के यहां की नौकरी

पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने पुस्तकों के थोक व्यापारी के यहां नौकरी करनी शुरू की। इस दौरान वह पुस्तक पढ़ने के शौक को भी पूरा करते हैं। प्रेमचंद काफी ज्यादा सरल और सहज स्वभाव के मालिक थे। वहीं आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए वकील के यहां पांच रुपए मासिक सैलरी पर नौकरी करनी शुरू की। इसके बाद वह मिशनरी विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप में नियुक्त हुए।


विवाह

पिता के दबाव में आकर प्रेमचंद की 15 साल की उम्र में शादी हो गई। यह शादी उनकी मर्जी के खिलाफ हुई थी। वहीं जिस लड़की से उनकी शादी हुई वह काफी बदसूरत थी। लेकिन प्रेमचंद के पिता ने अमीर परिवार की लड़की देख प्रेमचंद की शादी करवा दी थी। वहीं प्रेमचंद और उनकी पत्नी की बिलकुल नहीं बनती थी। पिता की मृत्यु के बाद परिवार का बोझ प्रेमचंद पर आ गया। इसी दौरान उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और फिर 25 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पसंद की एक विधवा महिला से विवाह कर लिया। उनका दूसरा विवाह काफी ज्यादा संपन्न रहा। वहीं दूसरे विवाह के कुछ समय बाद ही प्रेमचंद को सफलता मिलती चली गई।


मुंशी प्रेमचंद की कार्यशैली

मुंशी प्रेमचंद अपने कार्यों को लेकर बचपन से ही काफी ज्यादा सक्रिय थे। लाख कठिनाइयों के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपने आखिरी समय तक वह कुछ ना कुछ करते रहे। वह हिन्दी ही नही उर्दू में भी अपना अमूल्य लेखन छोड़कर गए। प्रेमचंद ने एक पत्रिका के संपादक की मदद से कई लेख और कहानियों को प्रकाशित करवाया। इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के लिए कई कविताएं भी लिखी। इस दौरान उनके द्वारा लिखी कहानियों,कविताओं और लेख आदि को लोगों से सराहना मिली। जिसके कारण प्रेमचंद की पदोन्नति भी हुई। 


इस दौरान उनका गोरखपुर ट्रांसफर हो गया। वहीं उन्होंने महात्मा गांधी के आंदोलनों में भी सक्रिय भागीदारी निभाई। पत्नी से सलाह करने के बाद प्रेमचंद ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। इस दौरान उन्होंने सिनेमा में भी अपनी किस्मत आजमाई। प्रेमचंद ने मुंबई जाकर फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी, लेकिन किस्मत का साथ नहीं मिल पाने के कारण फिल्म पूरी नहीं बन पायी। जिसके बाद उन्हें मुंबई छोड़ने का फैसला कर लिया और वापस बनारस आ गए।


प्रेमचंद की प्रमुख रचनाएं

वैसे तो मुंशी प्रेमचंद जी की सभी रचनाएं काफी ज्यादा प्रमुख थीं। उन्होंने तमाम रचनाएं लिखी थी। प्रेमचंद द्वारा लिखी रचनाएं हम सभी बचपन से पढ़ते आ रहे हैं। प्रेमचंद ने कई उपन्यास, कहानियां और कविताएं व लेख हिंदी साहित्य दिए हैं। जिनमें से गोदान,गबन,कफ़न आदि रचनाएं शामिल हैं।

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