चरित्रहीनता की पराकाष्ठा है हनी ट्रैप मामले, कहाँ जा रहा है हमारा समाज ?

By ललित गर्ग | Sep 25, 2019

जनमत का फलसफा यही है और जनमत का आदेश भी यही है कि राजनेताओं, प्रशासन एवं कानून व्यवस्था से जुड़े शीर्ष व्यक्तित्वों की पहचान पद से नहीं, चरित्र से हो। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक सही अर्थों में लोकतंत्र का स्वरूप नहीं बनेगा तथा चरित्रहीनता किसी-न-किसी स्तर पर व्याप्त रहेगी। मध्य प्रदेश में हनी ट्रैप के जरिए ब्लैकमेलिंग करने वाले गिरोह का पर्दाफाश होने और इस मामले में पांच युवतियों व एक कांग्रेस नेता सहित सात लोगों की गिरफ्तारी कई मायनों में चिंताजनक है, राजनीति में चरित्र की गिरावट की परिचायक है।

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गिरोह से बरामद अश्लील वीडियो क्लिपिंग के आधार पर इस हनी ट्रैप में कथित रूप से एक पूर्व मुख्यमंत्री और कुछ पूर्व मंत्रियों समेत कई बड़े राजनेताओं के फंसे होने की बात कही जा रही है। कहा यह भी जा रहा है कि भाजपा सरकार में मंत्री रहे दो नेताओं से ये गिरोह लाखों रुपए वसूल कर चुका है और वर्तमान कमलनाथ सरकार के एक मंत्री के ओएसडी से भी दो करोड़ रूपए मांग रहा था। ''खेत कभी झूठ नहीं बोलता''- जो देंगे, वही वापस मिलेगा। कोई भी हो, सभी भारतीय समाज के हैं, अपने में से ही हैं, समाज के प्रतिबिम्ब हैं। समाज से भिन्न कल्पना भी मात्र कल्पना होगी। लेकिन हम कैसा समाज बना रहे हैं, यह चिन्तन का विषय है। चरित्र एवं नैतिकता को भूला देने का ही परिणाम है कि नित-नयी सनसनीखेज चरित्रहीनता, भ्रष्टता, असदाचार की घटनाएं सामने आती हैं और राजनीति से जुड़े चेहरों पर कालिख पुतते हुए दिखती है, जो न केवल शर्मसार करती है बल्कि राष्ट्रीय चरित्र को धुंधलाती है, इतना ही नहीं इस तरह के चरित्रहीन राजनेताओं के काले कारनामों की जासूसी और ब्लैकमेलिंग के लिए हनी ट्रैप का इस्तेमाल करने के लिये अनेक गिरोह सक्रिय है।

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देश में गिरते चरित्र के कारण इन हनी ट्रैप के इस्तेमाल की घटनाएं बढ़ती जा रही है। हनी ट्रैप की घटनाओं का होना ही चिन्ताजनक नहीं हे बल्कि शीर्ष व्यक्तित्वों के चरित्र का दागी होना भी संकट का कारण है। हमारे देश का दुर्भाग्य है कि अब तक नेतृत्व चाहे किसी क्षेत्र में हो- राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, वह सुविधानुसार अपनी ही परिभाषा गढ़ता रहा है। न नेता का चरित्र बन सका, न जनता का और न ही राष्ट्र का चरित्र बन सका। सभी भीड़ बनकर रह गए और हनी ट्रैप के शिकार होते रहे। प्रश्न है कि कब तक लोकतंत्र को चरित्र से दुबला बनने दिया जाता रहेगा? कब तक हनी ट्रैप में नेतृत्व दागी होता रहेगा? 

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इंदौर के पलासिया पुलिस थाने में ब्लैकमेलिंग का यह मामला दर्ज किया गया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि एक महिला आरोपी से दोस्ती करने के बाद उसे ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रही थी। महिला ने कुछ रिकर्डिंग भी कर ली थीं और तीन करोड़ रुपये की मांग की जा रही थी, मांगी गई रकम न देने पर वीडियो वायरल करने की धमकी दे रही थी। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया और जांच की। उसके बाद तीन करोड़ की रकम में से पहली किस्त के तौर पर 50 लाख रुपये लेने इंदौर आई एक युवती के साथ दो अन्य को एक महिला व एक पुरुष को हिरासत में लिया गया। हनी ट्रैप की आशंका के बाद एटीएस ने जांच शुरू की। उसके बाद भोपाल से तीन महिलाओं को हिरासत में लिया गया। यह महिलाएं मीनाल रेसीडेंसी, कोटरा सुल्तानाबाद और रवेरा टाउन से पकड़ी गई हैं। तीनों हाई प्रोफाइल महिलाओं के राजनीतिक संबंध हैं। एक महिला तो पन्ना जिले से विधायक के आवास में किराए पर रहती है। ये महिलाएं कथित तौर पर राजनेताओं और उच्च रैंकिंग वाले सरकारी अधिकारियों का वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करती थीं।

 

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जासूसी और ब्लैकमेलिंग के लिए हनी ट्रैप का इस्तेमाल सदियों से होता आया है। यह कोई नई बात नहीं है। हनी ट्रैप का मतलब है जैसे कोई मक्खी शहद के लालच में उस पर बैठ जाए और जब शहद पीकर उड़ना चाहे तो उड़ न पाए। राजनीतिक लाभ, आर्थिक लाभ, अनुचित कार्यों को अंजाम देने के अलावा दुश्मन देश से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज या खुफिया जानकारी जुटाने के लिए इसका इस्तेमाल प्रायः किया जाता है। कुछ माह पहले हनी ट्रैप के मामले में यह बात सामने आई थी कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ी महिलाएं भारतीय सेना के जवानों से दोस्ती का स्वांग रचकर अहम जानकारियां जुटाने की फिराक में थी। दरअसल समाज में इन दिनों जिस तरह से चारित्रिक गिरावट बढ़ रही है, यह उसी का नतीजा है। राष्ट्रीय जीवन की सोच का यही महत्वपूर्ण पक्ष है कि चरित्र जितना ऊंचा और सुदृढ़ होगा, उस राष्ट्र एवं समाज में सफलताएं उतनी तेजी से कदमों में झुकेंगी। बिना चरित्र न राष्ट्रीय जीवन है और न समाज के बीच गौरव से सिर उठाकर सबके साथ चलने का साहस। सही और गलत की समझ ही चरित्र को ऊंचा उठाती है। बुराइयों के बीच रहने वालों का सब कुछ लुट जाता है जबकि अच्छाइयों में सिर्फ उपलब्धियों के आंकड़े होते हैं। चरित्र की उज्ज्वलता में मनुष्य का अंतःकरण आर-पार साफ दिखता है।

 

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चारित्रिक एवं नैतिक मूल्यों के प्रति उपेक्षा एवं उदासीनता बिखराव देती है और बिखरी जीवन-चर्या में विश्वसनीयता, जिम्मेदारी, कार्यक्षमता ढीली पड़ जाता है। ऐसे लोगों को अपनी सुरक्षा में झूठे रास्ते एवं असत्य का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे लोग कभी-कभी छोटे सुख एवं लाभ के लिये बड़ा नुकसान कर देते हैं। महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोग चरित्रवान न होने के कारण समाज के लिए बहुत घातक साबित होते रहे हैं। जरा सोचिए, मंत्री या मुख्यमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति को अगर कोई देश का दुश्मन हनी ट्रैप में फंसा ले और देश की सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील खुफिया जानकारियां हासिल कर ले तो देश को तबाह होते कितनी देर लगेगी? हकीकत तो यह है कि हनी ट्रैप या नेताओं की चारित्रिक गिरावट के बहुत ही कम मामले सामने आ पाते हैं जबकि समाज के भीतर ही भीतर यह सड़न, दुर्बलता बहुत ज्यादा बढ़ रही है। इस तरह की बुराइयां दूब की तरह फैलती है और उनकी जड़े गहरी होती है। समय आ गया है कि जिम्मेदार पदों के लिए एक शर्त अनिवार्य हो कि उस पर बैठने वाला व्यक्ति चरित्रवान हो और चारित्रिक पतन का कोई भी मामला सामने आने पर उसे तत्काल पद से हटा दिया जाए। पुराने जमाने में धनवान से ज्यादा महत्व चरित्रवान को दिया जाता था। समय आ गया है कि चरित्र को एक बार फिर समाज में उसकी पुरानी प्रतिष्ठा लौटाई जाए। देश के एकमात्र नैतिक आन्दोलन अणुव्रत के गीत की एक पंक्ति ''सुधरे व्यक्ति, समाज व्यक्ति से, जिसका असर राष्ट्र पर हो।’’ आज राष्ट्र को सुधारने की शुरुआत व्यक्ति से करनी होगी, व्यक्ति भी वह जो राजनीति, कानून एवं प्रशासन से जुड़ा हो। आज चरित्र की स्थापना ज्यादा जरूरी है क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति में चरित्र को हर कीमत पर भुना लेते हैं। वे जानते ही नहीं कि यदि चरित्र गिर गया तो फिर आदमी के सारे आदर्श, मूल्य एवं परम्पराएं किस बुनियाद पर टिकी रहेंगी। गिरा हुआ आदमी हो या राष्ट्र रेंगता हुआ चल तो सकता है मगर दौड़ प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकता। हमारा राष्ट्र दुनिया में अव्वल आने की दौड़ में प्रतियोगी है, एक नया और सशक्त भारत को बनाने की बात हो रही है, लेकिन चरित्र बिन सब सून है।

 

-ललित गर्ग

 

 

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