पश्चिमी यूपी का ‘आजम’ बनने की चाहत में कट गया मुरादाबाद के सांसद का पत्ता

By अजय कुमार | Mar 28, 2024

पश्चिमी यूपी की मुस्लिम बाहुल्य सीट मुरादाबाद का मिजाज हमेशा यहां के मुस्लिम वोटर तय करते हैं। इसीलिये यहां बीजेपी आसानी से अपने कदम नहीं जमा पाती है। 17 बार हुए लोकसभा चुनाव में यहां से सिर्फ दो बार 1967 और 1977 में भारतीय जनसंघ का प्रत्याशी जीता था, जबकि 2014 में मोदी लहर में बीजेपी के कुंवर सर्वेश कुमार सिंह विजयी हुए थे। बाकी के चुनावों में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और जनता पार्टी या जनता दल का प्रत्याशी ही जीतता रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से एसटी हसन चुनाव जीते थे। एसटी हसन एक काबिल नेता हैं, उनकी सियासी महत्वाकांक्षा भी काफी अधिक है, लेकिन उनकी यह महत्वाकांक्षा आजम खान के रहते पूरी नहीं हो पा रही है। जब से पश्चिमी यूपी में समाजवादी पार्टी के कद्दार मुस्लिम चेहरा आजम खान कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़े हैं तभी से एसटी हसन पश्चिमी यूपी में आजम खान की जगह अपने आप को स्थापित करने में लगे थे, इस बात का अहसास बुरे दौर से गुजर रहे आजम खान को भी था, लेकिन वह समय का इंतजार करते रहे और जब चुनाव का बिगुल बजा तो आजम ने अपनी ताकत दिखा कर एसटी हसन का घोषित हो गया टिकट कटवा दिया, ऐसा तब हुआ जब वह नामांकन भी कर चुके थे। समाजवादी पार्टी ने नामांकन के अंतिक दिन आखिरी घंटे में एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को उम्मीदवार बना दिया है। यह सब तब हुआ जब अखिलेश यादव ने सीतापुर की जेल जाकर आजम खान से मुलाकात की थी, बताया जा रहा है कि आजम नाराज चल रहे थे और उन्होंने जनता से चुनाव का बहिष्कार करने तक का आहवान कर डाला था, जिसका सीधा असर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों पर पड़ता। आजम नाराज थे कि क्यों बिना उनकी मर्जी के मुरादाबाद और रामपुर का टिकट घोषित किया गया। इसी के बाद एसटी हसन का टिकट काट कर आजम पूर्व विधायक रूचि वीरा का मुरादाबाद से सपा का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया।


पूर्व विधायक रुचि वीरा सपा के कद्दावर नेता आजम खान की करीबी मानी जाती है। एसटी हसन के समर्थकों ने आजम खान पर गंभीर आरोप लगाया है। समर्थकों का कहना है कि एसटी हसन का टिकट सपा नेता आजम खान के इशारे पर काटा गया है। फिलहाल अब मुरादाबाद सीट से आजम की करीबी रुचि वीरा सपा की अधिकृत उम्मीदवार हो गई हैं। इसको लेकर मुरादाबाद के जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह ने आधिकारिक घोषणा भी कर दी है। वहीं, एसटी हसन ने नामांकन वापस लेने का ऐलान कर दिया है।

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दरअसल, इस पूरे घटनाक्रम की कहानी सीतापुर जेल में शुरू हुई थी। सपा मुखिया अखिलेश यादव बीते 22 मार्च को आजम खान से मुलाकात करने सीतापुर जेल पहुंचे थे। उस मुलाकात के दौरान सपा के कद्दावर नेता आजम खान ने दो शर्तें रखी थीं, जिसमें से एक शर्त मुरादाबाद सीट से रुचि वीरा को उम्मीदवार घोषित करने की थी। रुचि वीरा आजम खान की बेहद करीबी मानी जाती हैं। साथ ही दूसरी शर्त आजम खान ने अखिलेश यादव को खुद रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की रखी थी, लेकिन उसके बावजूद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने एसटी हसन का नाम 24 मार्च को मुरादाबाद सीट से घोषित कर दिया था।


मुरादाबाद से सांसद एसटी हसन को उम्मीदवार घोषित करने के बाद सपा के कद्दावर नेता आजम खान ने जेल में रहकर ही खेल कर दिया है। उधर, रामपुर सीट से उम्मीदवार घोषित न होने के चलते मंगलवार को रामपुर की सपा जिला इकाई ने बैठक कर दी। बैठक में रामपुर सीट से अखिलेश यादव के चुनाव न लड़ने की स्थिति में चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया। मंगलवार को जहां रामपुर का सियासी पारा बढ़ रहा था तो वहीं दूसरी ओर आजम खान की करीबी रुचि वीरा लखनऊ पहुंच गईं। रुचि वीरा ने अखिलेश से मुलाकात करने के बाद अपना सिंबल लेकर मुरादाबाद के लिए रवाना हो गईं, क्योंकि अगले दिन यानी बुधवार को नामांकन का आखिरी दिन था। समाजवादी पार्टी के पहले से घोषित उम्मीदवार एसटी हसन ने अपना नामांकन किया था, लेकिन शाम होते ही उनके टिकट पर संशय पैदा हो गया था। आजम खान की करीबी रुचि वीरा को मुरादाबाद सीट से सिंबल मिलने और घोषित उम्मीदवार एसटी हसन का टिकट कटने की सूचना मिलते ही एसटी हसन के करीबी समर्थकों ने रुचि वीरा के खिलाफ नारेबाजी करनी शुरू कर दी थी। फिलहाल बुधवार को रुचि वीरा के नामांकन करने के बाद मुरादाबाद की पूरी तस्वीर साफ हो गई है। आजम खान की करीबी एवं पूर्व विधायक रुचि वीरा समाजवादी पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी हो गईं।


टिकट कटने के बाद सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि टिकट होना या न होना वो एसटी हसन की शख्सियत को खत्म नहीं कर सकता है। जो आइडियोलॉजी हमारी है, वो आइडियोलॉजी मुलायम सिंह यादव की थी और जो आइडियोलॉजी अखिलेश यादव जी की है, हम उसी के साथ हैं। एसटी हसन ने कहा कि मैं मुस्लिम वर्ग से आता हूं। अखिलेश ने ही मुझे पार्लियामेंट भेजा था। उन्होंने कहा कि अब सपा के उम्मीदवार नहीं हैं। अपना पर्चा वापस लेंगे। इसके साथ ही एसटी हसन ने कहा कि जब एक बार टिकट दे चुके थे तो कोई कारण तो नहीं था। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ही बेहतर बता पाएंगे कि टिकट क्यों काटा गया है। सपा नेता ने कहा कि अखिलेश पार्टी के नेता हैं, जिसको चाहें लड़ाएं, जिसको चहें न लड़ाएं। बहरहाल, आजम खान से सौ सुनार की एक लुहार की वाली कहावत चरितार्थ करते हुए हसन साहब को आइना दिखा दिया है।

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