विरोधियों को महुआ मोइत्रा का जवाब! भाजपा बंगालियों को न सिखाए कि मां काली की पूजा कैसे करनी चाहिए

By रेनू तिवारी | Jul 08, 2022

कोलकाता। देश में फिल्म काली के पोस्टर को लेकर विवाद मचा हुआ हैं। फिल्म के पोस्टर में मां काली को सड़क पर सिगरेट पीते दिखाया गया हैं। हिंदू धर्म की पूजनीय देवी काली को इस तरह चित्रित किए जाने को लेकर हिंदू धर्म के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। फिल्म काली के पोस्टर पर छिड़ी बहस में टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा भी शामिल हो गयी हैं। उन्होंने देवी काली को लेकर बयान दिया कि काली के कई रूप हैं। महुआ मोइत्रा ने कहा था कि काली उनके लिए मांस खाने वाली, शराब स्वीकार करने वाली देवी थीं। मोइत्रा ने 5 जुलाई को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2022 में देवी काली को सिगरेट पीते हुए फिल्म काली के पोस्टर पर विवाद के जवाब में बोलते हुए यह बात कही। महुआ मोइत्रा के इस बयान के बाद देश में उनका विरोध होने लगा। महुआ मोइत्रा के विचारों पर लोग तीखी टिप्पणी करने लगी। महुआ मोइत्रा के खिलाफ शिकायत भी दर्ज करवायी गयी। इस विवादित बयान पर तो महुआ का साथ खुद उनकी पार्टी ने ही छोड़ दिया। टीएमसी की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि महुआ मोइत्रा ने जो कुछ कहा है वह उनकी निजी विचारधारा है। पार्टी ऐसे किसी विचार का समर्थन नहीं करती हैं। बीजेपी महुआ मोइत्रा पर लगातार हमलावर हैं। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हिंदू देवी-देवताओं की संरक्षक नहीं है और उन्हें बंगालियों को देवी काली की पूजा करना नहीं सिखाना चाहिए। एक बंगाली समाचार चैनल से बात करते हुए, मोइत्रा ने कहा कि उन्होंने काली टिप्पणी विवाद पर बोलकर एक "परिपक्व राजनेता" के रूप में काम किया था, जबकि भाजपा अन्य जातीय समूहों पर "हिंदुत्व के अपने एजेंडे को थोपने और अपने अखंड विचारों को थोपने" का प्रयास करती है।

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बंगालियों को भाजपा न सिखाए देवी काली की पूजा करना: महुआ 

मां काली पर हाल में की गई विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशाने पर आईं तृणमूल कांग्रेस की नेता एवं सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि भाजपा हिंदू देवी-देवताओं की संरक्षक नहीं है और उसे बंगालियों को नहीं सिखाना चाहिए कि मां काली की पूजा कैसे की जाती है। मोइत्रा ने कहा कि भाजपा उत्तर भारत में देवी-देवताओं की पूजा की विधियों पर आधारित अपने विचारों को देश के अन्य हिस्सों के उन लोगों पर नहीं थोप सकती, जो पिछले दो हजार वर्षों से प्रचलित विभिन्न अनुष्ठानों से पूजा करते हैं। मोइत्रा ने बांग्ला के एक समाचार चैनल से बात करते हुए बृहस्पतिवार रात कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर बोलकर एक ‘‘परिवक्व नेता’’ की तरह व्यवहार किया, क्योंकि ‘‘हिंदुत्व के एजेंडे को लागू करने और अन्य जातीय समूहों पर अपने जड़ विचारों को थोपने’’ के भाजपा के प्रयास का विरोध किया जाना चाहिए और देश की खातिर इस मामले को उठाया जाना चाहिए।

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मोइत्रा के बयान पर मचा था बवाल

मोइत्रा ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि जिस तरह हर व्यक्ति को अपने तरीके से देवी-देवताओं की पूजा करने का अधिकार है, उसी तरह उन्हें देवी काली की मांस भक्षण करने एवं मदिरा स्वीकार करने वाली देवी के रूप में कल्पना करने का पूरा अधिकार है। तृणमूल सांसद ने यह बात तब कही, जब उनसे एक ऐसी फिल्म के बारे में पूछा गया जिसके पोस्टर में देवी काली को धूम्रपान करते हुए दर्शाया गया है और जिससे विवाद पैदा हो गया है। मोइत्रा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मैंने एक परिपक्व नेता की तरह व्यवहार किया। हम लंबे समय से इस मुद्दे को नजरअंदाज करते आ रहे हैं कि भाजपा उत्तर भारत की स्थापित प्रथाओं पर आधारित हिंदुत्व के अपने संस्करण को लागू कर रही है। पार्टी को देश में पश्चिम बंगाल जैसे उन अन्य हिस्सों के लोगों पर इसे थोपने से बचना चाहिए, जहां हिंदू सदियों से स्थापित अपने रीति-रिवाजों का पालन करते आ रहे हैं।

न तो भगवान राम और न ही भगवान हनुमान केवल भाजपा के हैं 

भाजपा हमें यह सिखाने वाली कौन होती है कि देवी काली की पूजा किस विधि से करनी है?’’ उन्होंने कहा, ‘‘न तो भगवान राम और न ही भगवान हनुमान केवल भाजपा के हैं। क्या पार्टी ने हिंदू धर्म का ठेका ले रखा है?’’ उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि तृणमूल ने पिछले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा को किस प्रकार हराया था। मोइत्रा ने कहा, ‘‘यह बाहरी लोगों का दल है, जिसने हिंदुत्व की राजनीति को थोपने की कोशिश की, लेकिन मतदाताओं ने उसे नजरअंदाज कर दिया। भाजपा को हमें नहीं सिखाना चाहिए कि मां काली की पूजा कैसे करनी है। हम पिछले 2,000 साल से इसी प्रकार देवी की पूजा करते आ रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि भाजपा की निलंबित नेता नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान को लेकर मुश्किलों में घिरी भाजपा देवी काली के संबंध में उनके बयान को लेकर लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है, लेकिन वह इसमें सफल नहीं होगी। उनके बयान को लेकर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज मामलों को लेकर मोइत्रा ने कहा, ‘‘जिन राज्यों में प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, मैं इन राज्यों की भाजपा सरकारों को चुनौती देती हूं कि वे देवी काली को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के बारे में अदालत को लिखित में एक हलफनामा दें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्या असम के मुख्यमंत्री अदालत को लिखित रूप में बता सकते हैं कि कामाख्या मंदिर में विराजमान देवी को क्या प्रसाद चढ़ाया जाता है? क्या अन्य भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अपने-अपने राज्यों के मंदिरों में मां काली को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के बारे में ऐसा लिखकर दे सकते हैं? क्या इन मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में मदिरा शामिल नहीं होती? भाजपा मुझे घेरना चाहती है क्योंकि मैं उसके ‘कुकर्मों’ का कड़ा विरोध करती हूं, लेकिन मुझे पता है कि उसकी रणनीति काम नहीं करेगी।’’ तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने मां काली को लेकर मोइत्रा के बयान से स्वयं को अलग कर लिया है। इस बारे में पूछे जाने पर मोइत्रा ने कहा, ‘‘मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की वफादार सिपाही हूं। यदि कोई समस्या है, तो हम पार्टी के भीतर इसे सुलझा लेंगे। हम सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा नहीं करेंगे।

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