जाति आधारित जनगणना की मांग के बीच केंद्र सरकार आज बड़ा दांव खेल सकती है। आज लोकसभा में एक अहम बिल केंद्र सरकार पेश कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक ओबीसी समुदाय से जुड़ी लिस्ट तैयार करने के लिए राज्यों को अधिकार देने वाला संविधान संशोधन विधेयक पेश हो सकता है। आल में ही केंद्रीय कैबिनेट ने इस पर मुहर लगाई थी।
उच्चतम न्यायालय ने 5 मई के बहुमत आधारित फैसले की समीक्षा करने की केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें यह कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन नौकरियों एवं दाखिले में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) को आरक्षण देने के राज्य के अधिकार को ले लेता है। वर्ष 2018 के 102वें संविधान संशोधन अधिनियम में अनुच्छेद 338 बी जोड़ा गया था जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के ढांचे, कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है। जबकि 342 ए किसी विशिष्ठ जाति को एसईबीसी अधिसूचित करने और सूची में बदलाव करने के संसद के अधिकारों से संबंधित है।
गौरतलब है कि विपक्षी दल ने इस मुद्दें को लेकर केंद्र पर संघीय ढांचे पर आघात करने का आरोप लगाया है। वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारित मंत्री वीरेन्द्र कुमार ने पिछले महीने राज्य सभा में कहा कि सरकार इस मुद्दे को लेकर कानूनी विशेषज्ञों और विधि मंत्रालय से विचार विमर्श कर रही है और ओबीसी सूची का निर्धारण करने के राज्यों के अधिकारों की सुरक्षा के रास्ते तलाश रही है। सूत्रों ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें राज्यों एवं संघ क्षेत्रों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची तैयार करने का आधिकार प्रदान किया गया है।