By डॉ. रमेश ठाकुर | Jun 14, 2022
इंडियन वूमेन क्रिकेट का मतलब ‘मिताली राज’। भारत में महिला क्रिकेट को इसी नजरिए से देखा जाता रहा है। महिला क्रिकेट की महानतम खिलाड़ियों में से एक मिताली राज ने अपने दो दशक के लंबे और शानदार क्रिकेट करियर को आखिरकार अलविदा कहकर सबको चौका दिया। टी-20 से संन्यास तो पहले ही ले लिया था, बाकी बचे दो प्रारूपों को अब ऐलान कर दिया। जबकि, खेल प्रेमियों का मानना है कुछ साल और खेल सकती थीं। अचानक से लिए रिटायरमेंट को लेकर डॉ0 रमेश ठाकुर ने भारत की पूर्व महिला क्रिकेट कप्तान मिताली राज से विस्तृत बातचीत की।
प्रश्नः अचानक से रिटायरमेंट का ऐलान कर आपने प्रशंसकों को चौका दिया?
उत्तर- जीवन में परिवर्तन के लिए कुछ तारीखें पहले से मुकर्रर होती हैं। शायद आठ जून भी उसी का हिस्सा थी। प्रत्येक इंसान की कर्म यात्रा का एक ना एक दिन अंत होता है, मेरा भी हो गया। मैंने अपनी इस यात्रा को जी भरकर इंज्वाय किया। मुझे क्रिकेट के जरिए देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला, ये मेरे लिए गर्व की बात है। क्रिकेट जर्नी के दौरान देशवासियों का जो स्नेह-सम्मान मिला, उसे मैं कभी भूल नहीं पाउंगी। ग्राउंड पर खेलते वक्त नाम के साथ जो जयकारे लगते थे। वह क्षण हमेशा से गौरवान्वित करते थे। मैदान का अनुभव हमेशा मेरे साथ रहेगा।
प्रश्नः एकाध वर्ष अभी मैदान पर और दिख सकती थीं?
उत्तर- आपने सही कहा। मेरे कुछ मित्रों ने भी यही राय दी थी कि एक-दो वर्ष मैं और क्रिकेट खेलूं। लेकिन मुझे लगा कि अब अपनी जगह को रिक्त करने का सही समय है। किसी और को मौका मिलना चाहिए। मेरे हिस्से एक अच्छा रिकॉर्ड है, जो किस्मत वालों को ही नसीब होता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कॅरियर में 232 एकदिवसीय मैच खेले, 12 टेस्ट और 89 टी-20 मैचों का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। इतना काफी है। मैंने हमेशा से सोचा था फिट रहूं और खेलते-खेलते क्रिकेट का मैदान छोडूं।
प्रश्नः पर ये रिटायरमेंट मैदान से तो नहीं लिया?
उत्तर- पूर्व में योजना तो ऐसी ही बनीं थी। अगले माह मैदान से खेलते-खेलते सभी साथी खिलाड़ियों के बीच मैदान को अलविदा कहूं। पर, आठ तारीख को पहले से ही तय किया हुआ था। सोचा, अब बहुत हो गया, तारीख में बदलाव ना करूं। इसलिए रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया। वैसे मैं फैसले लेने में ज्यादा सोच-विचार नहीं करती। मैदान पर भी मेरी यही रणनीति रहती थी।
प्रश्नः संन्यास के पीछे कुछ लोग खराब फिटनेस बता रहे हैं?
उत्तर- मुझे लगता है जो ऐसा सोचते हैं वह गलत हैं। 16 वर्ष की उम्र से क्रिकेट खेलती आई हूं। इस लंबे करियर में प्रशंसकों ने सर्वकालिक खिलाड़ियों में जगह दी। देशवासियों ने जो हिम्मत दी, उसी की बदौलत मैं टीम इंडिया को दो विश्व कप के फाइनल तक लेकर पहुंची। हार-जीत अपनी जगह है। रही बात फिटनेस की तो अच्छी फिटनेस के चलते ही सात शतक और 64 अर्धशतक लगाकर करियर को अलविदा कहा है।
प्रश्नः टी-20 प्रारूप से जब संन्यास लिया था तो उस वक्त भी क्या सभी प्रारूपों से संन्यास का मन बनाया था?
उत्तर- हां, ये बात सही है। रिटायरमेंट की प्लानिंग पहले सभी प्रारूपों से एक साथ लेने की ही थी। पर, उस वक्त अपने चाहने वालों, परिजनों, स्टॉफ, साथी खिलाड़ियों व मैंनेजमेंट की रायं से फैसले में बदलाव किया। उस वक्त सिर्फ टी-20 को अलविदा कहा और अब सभी प्रारूपों से। पर प्रशंसों के प्यार में कोई बदलाव नहीं आया। पहले जैसे ही लोग आज भी स्नेह-सम्मान देते हैं, यही एक खिलाड़ी की ताउम्र कमाई पूंजी होती है।
प्रश्नः आपकी की बायोपिक फिल्म ’शाबाश मिट्ठू’ भी अगले महीने रिलीज होगी?
उत्तर- हर व्यक्ति में एक ना एक खूबी होती है, उसी कड़ी में लोग मेरे क्रिकेट जीवन को प्रेरणा के रूप में लेते हैं। तभी फिल्म निर्देशक राहुल ढोलकिया ने मेरी बायोपिक बनाने का निर्णय लिया। प्रिया अवन ने मेरे संपूर्ण जीवन को कलम की जरिए पन्ने पर उतारा है जिसे अब पर्दे पर दिखाया जाएगा। उम्मीद है मेरे चाहने वाले उस रूप को भी पसंद करेंगे। ’शाबास मिट्ठू’’ एक लड़की की कहानी है जो जेंटलमैन गेम में बैट के साथ अपने सपने को पूरा करती हुई सभी को दिखाई देगी।
प्रश्नः दूसरी पारी यानी आगे के भविष्य की क्या प्लानिंग होगी?
उत्तर- क्रिकेट अकेडमी की प्लानिंग है, जिससे लड़कियों को क्रिकेट के लिए तैयार किया जाए। हां, इतना जरूर है शेष जीवन भी गेंद-बल्ले के इर्द-गिर्द की रहेगी। बाकी जिंदगी जहां ले जाएगी, उसके पीछे-पीछे चलते जाना है।
- डॉ. रमेश ठाकुर