नागरिकता कानून का अंध-विरोध कर रहे लोगों की आंखें अब भी क्यों नहीं खुल रहीं

By ललित गर्ग | Jan 11, 2020

पाकिस्तान में गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर हमले की घटना से एक बार फिर दुनिया के सामने वहां के अल्पसंख्यकों की हिफाजत के खोखले दावे का सच सामने आया है। किस तरह पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को उपेक्षित, अपमानित और आतंकित जीवन जीने को विवश होना पड़ रहा है, गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर नफरत, द्वेष एवं अमानवीयता का हमला इसका जीता-जागता उदाहरण है। ऐसे हमलों के शिकार लोगों को भारत में पनाह देने के लिये ही नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लाया गया है, लेकिन कतिपय राजनीतिक दलों ने इसे विवादित बना दिया है। प्रश्न है कि आखिर इन मुस्लिम राष्ट्रों के ये अल्पसंख्यक कब तक अन्धकारमय, प्रताड़ित एवं त्रासद जीवन जीने को विवश होते रहेंगे। उनके सामने घना अंधेरा है, वे या तो जबरन धर्मांतरण का शिकार होंगे या फिर अपमानित जीवन जीने को विवश होंगे। उन्हें त्रासदी भरे जीवन से तभी छुटकारा मिल सकता है, जब वे या तो अपना धर्म छोड़ दें या फिर देश। वास्तव में इसी कारण पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है। ऐसे प्रताड़ित, उपेक्षित एवं त्रासदी झेल रहे लोगों की सुध लेने के लिये भारत सरकार ने साहसिक कदम उठाया है तो उसका स्वागत होना चाहिए।

 

पवित्र तीर्थ ननकाना साहिब की घेरेबंदी और पथराव की घटना ने न केवल पाकिस्तान और भारत बल्कि पूरी दुनिया के सिखों का ध्यान खींचा। पथराव के पीछे एक सिख लड़की के कथित अपहरण और जबरन धर्मांतरण के बाद शादी का मामला है, जिसमें एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद संबंधित परिवार ने ननकाना साहिब पर धरना दिया। भीड़ द्वारा पथराव की घटना वहां इसी दौरान हुई। इस प्रकरण ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को एक बार फिर रेखांकित किया है। पाकिस्तान सरकार अन्य देशों, खासकर भारत में अल्पसंख्यकों की असुरक्षा को लेकर जितनी चिंता आजकल दिखा रही है, उसे ध्यान में रखते हुए यह घटना और महत्वपूर्ण हो जाती है। गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर हमले की ताजा घटना ने पाकिस्तान के मंसूबों एवं अमानवीय सोच को ही उजागर किया है। दुनियाभर में घोर निन्दा एवं भर्त्सना के बावजूद पाकिस्तान सुधरने को तैयार नहीं है। भले ही वह कितना ही सफेद झूठ बोल कर इस घटना पर पर्दा डाले, लेकिन दुनिया पाकिस्तान के सच को भली-भांति जानती है। इस गुरुद्वारे के सामने जमा हिंसक भीड़ के व्यवहार और उसकी भड़काऊ नारेबाजी को सारी दुनिया ने देखा-सुना है। यदि ननकाना साहिब में कहीं कुछ नहीं हुआ, तो फिर वहां घोर आपत्तिजनक नारे क्यों लगे और पत्थरबाजी कौन कर गया ? सवाल यह भी है कि इस घटना के अगले दिन वहां के सिखों को नगर कीर्तन निकालने की अनुमति क्यों नहीं दी गई ? गुरुद्वारे पर हुए हमले पर विवाद थमा भी नहीं था कि एक सिख युवक रविंद्र सिंह हो गयी।

इसे भी पढ़ें: मुस्लिम नेता जिन्ना जैसे कट्टर क्यों होते हैं ? कलाम जैसे सहृदय क्यों नहीं बनते ?

ननकाना साहिब की घटना के बाद भारत में उन लोगों की आंखें खुल जाएं तो बेहतर जो अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए नागरिकता संशोधन कानून का अंध-विरोध करने में लगे हुए हैं। आखिर पाकिस्तान में सताए जा रहे हिंदू, सिख आदि भारत की ओर नहीं निहारेंगे तो क्या अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया से उम्मीद लगाएंगे ? कम से कम अब तो नागरिकता कानून के विरोधियों को उसके खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने से बाज आना चाहिए, क्योंकि इस कानून के जरिये पाकिस्तान और साथ ही बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान में प्रताड़ित किए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। क्या हो गया है हमारे देश को ? क्यों भारत को मजबूती देने एवं उसकी एकता-अखण्डता को सुदृढ़ करने के इस कानून के नाम पर हिंसा रूप बदल-बदल कर अपना करतब दिखा रही है। देश को तोड़ने, विखण्डित करने, विनाश, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने और निर्दोष लोगों को डराने-धमकाने की इन कुचेष्टाओं एवं षड्यंत्रों को समझने की जरूरत है। ननकाना साहिब पर हमला भी एक षड्यंत्र ही है। इस तरह की अराजकता कोई मुश्किल नहीं, कोई वीरता नहीं। पर निर्दोष जब भी और जहां भी, चाहे देश में या पड़ोस में आहत होते हैं तब पूरा देश घायल होता है। पड़ोस को कड़ा संदेश देना होगा, देश के उपद्रवी हाथों को भी खोजना होगा अन्यथा उपद्रवी हाथों में फिर खुजली आने लगेगी। हमें इस काम में पूरी शक्ति और कौशल लगाना होगा। अराजक एवं उत्पादी तत्वों की मांद तक जाना होगा। पाकिस्तान के मंसूबों को समझना होगा। वह कभी भी पूरे देश की शांति और जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर सकता है। हमारा उद्योग, व्यापार ठप्प कर सकता है। हमारी खोजी एजेंसियों एवं शासन-व्यवस्था को जागरूक होना होगा।

 

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की मानें तो इस ऐतिहासिक एवं पवित्र गुरुद्वारे में कहीं कुछ नहीं हुआ। वह इस झूठ के पीछे इसलिए नहीं छिप सकता, क्योंकि दुनिया ने इसके सच को अपनी आंखों से देखा है। पाकिस्तान के हालात सुधरने की कहीं कोई उम्मीद इसलिए भी नहीं, क्योंकि एक तो कट्टरपंथी तत्व सेना एवं सरकार से संरक्षित हैं और दूसरे, ईशनिंदा सरीखा दमनकारी कानून अस्तित्व में है। जब तक यह कानून अस्तित्व में रहेगा, पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की जान सांसत में ही बनी रहेगी। पाकिस्तान कितना झूठा, फरेबी एवं षड्यंत्रकारी है, इसका उदाहरण पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने दिया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समाज के लोगों की स्थिति पर चिंता जताते हुए एक वीडियो ट्वीट किया, जबकि यह वीडियो उत्तर प्रदेश का न होकर बांग्लादेश का था।

इसे भी पढ़ें: क्या है PFI और क्यों इस संगठन को बैन करने की उठी है आवाज, जानें पूरा सच

नागरिकता कानून का विरोध करने की जरूरत क्यों पड़ रही है ? आखिर जब यह स्पष्ट है कि इस कानून का भारतीय मुसलमानों से कहीं कोई लेना-देना नहीं तब फिर उसके विरोध का क्या औचित्य ? स्पष्ट है पाकिस्तान अपने देश के अन्दरूनी हालात नहीं संभाल पा रहा है, वहां की जनता त्रस्त है, परेशान है, उन स्थितियों से ध्यान हटाने के लिये वह भारत को एवं भारत से जुड़े लोगों को अशांत करता है। विडम्बना तो यह भी है कि हमारे ही देश में राजनीतिक अस्तित्व लगातार खो रहे राजनीतिक दल सत्ता तक पहुंच बनाने के लिये नागरिकता कानून के विरोध जैसे अराष्ट्रीयता के अराजक रास्तों को अख्तियार कर रहे हैं। उत्पात का पर्याय बन गए इस उन्माद भरे हिंसक विरोध से कड़ाई से निपटना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि कानून के शासन एवं लोकतांत्रिक मूल्यों का मजाक हो रहा है। अब युद्ध मैदानों में सैनिकों से नहीं, भितरघात करके, निर्दोषों को प्रताड़ित एवं उत्पीड़ित कर लड़ा जाता है। सीने पर वार नहीं, पीठ में छुरा मारकर लड़ा जाता है। इसका मुकाबला हर स्तर पर हम एक होकर और सजग रहकर ही कर सकते हैं।

 

यह भी तय है कि बिना किसी की गद्दारी के ऐसा संभव नहीं होता है। कश्मीर, पश्चिम बंगाल एवं अन्य राज्यों में हम बराबर देख रहे हैं कि प्रलोभन देकर कितनों को गुमराह किया गया और किया जा रहा है। पर नागरिकता संशोधन कानून के विरोध का जो वातावरण बना है इसका विकराल रूप कई संकेत दे रहा है, उसको समझना है। कई सवाल खड़े हो रहे हैं जिसका उत्तर देना है। इसने नागरिकों के संविधान प्रदत्त जीने के अधिकार पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया, इसने भारत की एकता पर कुठाराघात किया है। यह बड़ा षड्यंत्र है इसलिए इसका फैलाव भी बड़ा हो सकता है। सभी राजनैतिक दल अपनी-अपनी कुर्सियों को पकड़े बैठे हैं या बैठने के लिए कोशिश कर रहे हैं। उन्हें नहीं मालूम कि इन कुर्सियों के नीचे क्या है। कुर्सी की चाह में देश को दांव पर लगाना कहां तक उचित है? ननकाना साहिब की घटना ने नागरिकता संशोधन कानून की उपयोगिता एवं प्रासंगिकता को उजागर किया है, अब इस कानून का विरोध करने वालों की आंखें खुलनी ही चाहिए, नहीं खुलती हैं तो यह उनकी राष्ट्रीयता पर प्रश्नचिन्ह है।

 

-ललित गर्ग

 

प्रमुख खबरें

Nitish ने सभी को चुप कर दिया जो टेस्ट टीम में उनके चयन को लेकर आशंकित थे: प्रसाद

देश तोड़ने की बात करने वालों को जनता ने सबक सिखाया, Maharashtra Assembly Elections के नतीजों पर बोलीं Kangana Ranaut

Virat Kohli को कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है, उनका योगदान अद्वितीय है: कपिल देव

Akhilesh Yadav ने भाजपा पर लगाया था बूथ कैप्चरिंग का आरोप, Brajesh Pathak ने किया जबरदस्त पलटवार