By अभिनय आकाश | Nov 26, 2022
लश्कर-ए-तैयबा के दस आतंकवादियों ने मुंबई में प्रवेश किया और शहर पर चार दिनों तक हमला किया। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताज पैलेस एंड टॉवर, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा, और टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग के पीछे की गली में और सेंट जेवियर्स कॉलेज टॉप अटैकिंग प्वाइंट थे। मुंबई के बंदरगाह क्षेत्र मझगाँव में और विले पार्ले में एक टैक्सी में भी विस्फोट हुआ था। बाकी हमले कुछ ही घंटों में समाप्त हो गए, हमलावरों ने नरीमन हाउस के एक यहूदी आउटरीच केंद्र स्थित और लक्ज़री होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट और ताज महल पैलेस और टॉवर में बंधक बनाए रखा। हमले में जहां कई लोगों की जान चली गई, वहीं कुछ बच गए और नायक बनकर उभरे। इनमें 26/11 आतंकी हमले में बचे लोगों की सूची में अहम नाम सैंड्रा सैमुअल भी शामिल है।
समय हर इंसान को शूरवीर बनने का एक अवसर जरूर देती है और भारतीय महिला नैनी सैंड्रा सैमुअल के लिए ये क्षण 26/11 का खौफनाक मंजर लेकर आया। वह न केवल हमले में बच गई, बल्कि मोशे होल्ट्ज़बर्ग नाम के एक दो वर्षीय यहूदी लड़के को भी बचा लिया, जिसके माता-पिता, रब्बी गेवरियल होल्ट्ज़बर्ग और रिवका की हमले के दौरान आतंकवादियों द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
सैंड्रा सैमुअल कौन है?
सैंड्रा सैमुअल एक भारतीय मूल की महिला जो मुंबई में एक यहूदी आउटरीच केंद्र में नैनी का काम करती थीं। नरीमन हाउस उन जगहों में से एक है जिस पर 26/11 हमले के दौरान आतंकियों ने कब्जा कर लिया था।
सैंड्रा सैमुअल ने दो साल के यहूदी लड़के को कैसे बचाया?
हमलावरों का एक समूह चबाड हाउस में घुस गया और सभी को गोली मार दी। उन चिल्लाने वाली आवाजों में रिवका भी एक थी। सैमुअल ने यह सब सुना और खुद को कपड़े धोने के कमरे में बंद कर लिया। कुछ मिनट बाद, उसने मोशे को रोते हुए और अपना नाम पुकारते हुए सुना। वह ऊपर की ओर दौड़ी और पाया कि रिवका और गेब्रियल मृत थे और खून से लथपथ थे। दो साल के मोशे की पैंट खून से लथपथ थी। उसने उसे पकड़ लिया और काजी जाकिर हुसैन के साथ इमारत से भाग गई। बाद में भारतीय कमांडो टीम ने पुष्टि की कि गैवरियल और रिवका उन 173 लोगों में शामिल थे, जो हमले में मारे गए थे। बेबी मोशे अब 16 साल का हो गया है। वह इस्राइली शहर औफला के एक स्कूल में पढ़ रहा है। वह अपने नाना-नानी के साथ समय बिता रहा है।