मेरठ ,गन्ना बेल्ट पश्चिमी यूपी के किसानों की आमदनी और बढ़ाने के लिए हरियाणा के करनाल स्थित क्षेत्रीय गन्ना अनुसंधान केंद्र ने CO-15023 नाम की एक नई प्रजाति विकसित की है। यह कम लागत में ज्यादा मुनाफा देगी। इसमें रोग लगने की संभावना कम है। सिंचाई भी कम लगती है। रेड रॉट बीमारी की मार झेल रही गन्ना प्रजाति 0238 से किसानों ने पहले ही किनारा करना शुरू कर दिया है। लगभग दो लाख किसानों ने इसे छोड़कर गन्ने की नई अगेती और उन्नत प्रजाति 15023 को अपनाया है। गन्ना विभाग और चीनी मिल इसे प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। दावा है कि इस प्रजाति में 0238 के मुकाबले चीनी परता भी ज्यादा है और उत्पादन भी।
वेस्ट UP के अनामिका शुगर मिल्स प्रा. लि.(अगौता) बुलंदशहर की पहल पर करनाल से लाकर इस प्रजाति की बुवाई शुरू की गई है। कुल 5 चीनी मिलों ने इसे अपने किसानों के लिए बुवाई शुरू कराई गई है। अगले एक साल में पश्चिमी यूपी के 27 जिलों और पूर्वांचल की खीरी बेल्ट में भी इसे लाया जाएगा। CO-15023 किस्म गन्ने की अच्छी प्रजातियों में मानी जा रही है। शोध संस्थान से इसी वर्ष फरवरी में इसे रिलीज किया गया। बुलंदशहर के अनामिका, हापुड़ जिले के सिंभावली, मेरठ के दौराला, शामली जिले की चीनी मिल क्षेत्र में इसकी बुवाई शुरू कराई गई है।
उत्तर प्रदेश में करीब 48 लाख किसान 29 लाख हेक्टेयर में गन्ना खेती करते हें। वर्ष 2014 से 2020 तक प्रदेश में करनाल से ही विकसित शीघ्र पकने वाली गन्ना किस्म 0238 ने अधिक चीनी परता व उपज दर की वजह से प्रदेश में 80 फीसद से अधिक क्षेत्रफल पर कब्जा कर लिया था। लेकिन बीज जनित बीमारी रेड रॉट (लाल सड़न रोग) की चपेट में आने की वजह से किसानों ने गन्ना बुवाई बंद कर दी। गन्ना प्रजनन संस्थान कोयंबटूर के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल ने अपने संस्थान से विकसित सीओ 0238 के बेहतर विकल्प के रूप में 15023 गन्ना किस्म का वरदान दे दिया। अखिल भारतीय शोध समन्वित परियोजना के तहत केंद्रीय प्रजाति स्वीकृति समिति ने इस किस्म को उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए स्वीकृत कर दिया है। जिसे प्रदेश सरकार ने भी अंगीकृत कर लिया है।