By अभिनय आकाश | Oct 26, 2021
देश का जानामाना वेब चैनल है। विगत 20 वर्षों से मातृभाषा हिंदी की सेवा कर रहे प्रभासाक्षी पर प्रकाशित सामग्री रुचिकर और पठनीय होने के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता से परिपूर्ण होती है। अपने आरम्भ काल से ही पत्रकारिता के स्थापित मानदंडों का पालन, स्व-अनुशासन और राष्ट्र प्रथम सदैव प्रथम के सिद्धांत पर चलना प्रभासाक्षी ने अपना प्रथम कर्तव्य माना है। देश के अनेक जाने-माने पत्रकार, लेखक, साहित्यकार, व्यंग्यचित्रकार आदि प्रभासाक्षी के साथ आरम्भ काल से जुड़े रहे हैं और आज तो देश के विभिन्न राज्यों में प्रभासाक्षी की इकाइयां सफलतापूर्वक काम कर रही हैं।
भारत के प्रमुख हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम की 20वीं वर्षगाँठ पर विचार संगम कार्यक्रम आयोजित किया गया। हमारा प्यारा देश भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। लोकतंत्र की जननी भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मर्यादाओं की पूरी दुनिया में सराहना होती है लेकिन हमारी आज की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी लोकतंत्र को और कैसे मजबूत कर सकती है, इस पर हम सभी का मार्गदर्शन के लिए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला अपना संबोधन दिया। उन्होंने प्रभासाक्षी.कॉम की 20वीं वर्षगाँठ पर शुभकामनाएं दीं। इसके साथ ही कहा कि ये पोर्टल 2001 में प्रारंभ हुआ था। जब देश में इंटरनेट जगत का प्रारंभिक काल था। उस वक्त अंग्रेजी माध्यम के ही खबरों का था। उस दौर में डिजीटल मीडिया के रूप में प्रभासाक्षी मौजूद रहा।
ओम बिरला ने कहा कि मुझे अत्यंत प्रशंसा है कि 20 वर्षों की लंबी यात्रा के दौरान प्रभासाक्षी ने विश्वसनीयता और प्रामाणिकता को भी बनाए रखा है। पोर्टल में पाठकों के हित और पाठकों को समर्पित कंटेट रहता है। आज का विषय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है भारत। हमारी आजादी की लड़ाई सत्य अहिंसा पर आधारित थी। आदाजी का आंदोलन, बलिदान और स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद करने की आवश्यकता है। इस आजादी की लड़ाई में लाखों लोगों ने बलिदान दिया।
ओम बिरला ने कहा कि भारत का लोकतंत्र विश्व में सबसे मजबूत होना चाहिए इसलिए संविधान बनाते समय जनता को बीच में रखा गया। आज इसीलिए लोकतंत्र सशक्त और मजबूत हुआ है। आज हमने किस तरीके से इस लोकतंत्र को मजबूत किया है ताकि आने वाली पीढ़ी लोकतंत्र की यात्रा को याद रखे। इसलिए हम अपने गौरवमयी अतीत के साथ ही इतिहास और वर्तमान को भी याद करना चाहते हैं। लोकतंत्र हमारे जीवन मूल्य का हिस्सा रहा है। विभिन्न कालखंडों के दौरान हमारी शासन व्यवस्था लोकतंत्र के कारण ही मजबूत रही है। भारत सभी लोकतांत्रिक देशों के लिए आदर्श हैं। आने वाले समय में हम किस तरीके से लोकतंत्र के मामले में हमारे नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रख सकते हैं और उनका सर्वांगिक विकास कर सकते हैं। इसके लिए समय-समय पर हम संसद में चर्चा करते रहते हैं।
भारत में जब संविधान बना था तो विशेष रूप से वो तीन अंगों पर टिका हुआ था। विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका। संविधान में सबके कार्य रेखांकित किए गए हैं। सबकी सीमाएं भी तय की गई हैं। आज दुनिया के अंदर भारत का संविधान व्यापक है और शासन चलाने के लिए जवाबदेह भी है। इसीलिए हम ये कह सकते हैं कि तीनों अंग मिलकर सामूहिकता के साथ काम करते हैं तो लोकतंत्र और सशक्त होता है। इसलिए इन तीनों से लोगों की आंकाक्षा है और अपेक्षा है। जहां लोकतंत्र होगा वहां मीडिया भी अवश्य होगी। मीडिया की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है। आजादी के वक्त भी मीडिया की भूमिका अहम थी। चाहे हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हो या आंबेडकर जी और पटेल जी के साथ ही तमाम स्वतंत्रता सेनानी हो। लाला लाजपत राय का नाम हम भूल नहीं सकते जिन्होंने निडरता और निष्पक्षता के साथ जनचेतना का काम किया था। आज भी हमारा मीडिया जगत उसी तरीके से शासन और प्रशासन को जवाबदेह बनाने के लिए लोकतंत्र की अहम भूमिका है। लेकिन इसके साथ ही मीडिया के इन विषयों पर भी विचार करना होगा कि ये स्वतंत्र, निष्पक्ष और निडर होने के साथ ही सही तथ्यों को जनता के बीच में रखना चाहिए।