प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूरी दुनिया में उत्साह, 160 देशों में होंगे विभिन्न कार्यक्रम, वेटिकन सिटी-कंबोडिया-यरूशलम का अध्ययन करने के बाद तैयार हुआ अयोध्या का मास्टर प्लान

By नीरज कुमार दुबे | Jan 10, 2024

रामोत्सव 2024 की धूम इस समय पूरी दुनिया में देखने को मिल रही है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भारत समेत दुनिया के 160 देशों में 22 जनवरी को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इस बीच अयोध्या नगरी का विकास भी तेजी से जारी है। अयोध्या का मास्टर प्लान तैयार करने वाली टीम ने वेटिकन सिटी, कंबोडिया, यरूशलम सहित विदेश में इसी तरह के उदाहरणों तथा भारत के तिरुपति और अमृतसर जैसे स्थानों का अध्ययन करने के बाद अवधपुरी के विकास की रूपरेखा बनाई है। दूसरी ओर, योगी सरकार ने रामलला की किलकारियों के साक्षी रहे दशरथ महल को संवार दिया है।


जहां तक रामोत्सव की धूम की बात है तो आपको बता दें कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर के भव्य शुभारंभ और श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की सिर्फ उत्तर प्रदेश और देश में ही नहीं, बल्कि यूरोप से लेकर अमेरिका तक धूम है। इस आयोजन को लेकर पूरी दुनिया में उत्सव का माहौल बन चुका है। ये उत्सव सिर्फ अयोध्या या भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर से लेकर यूरोप के एफिल टावर तक देखने को मिलेंगे। फ्रांस की राजधानी पेरिस में 21 जनवरी को राम रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें पूरे यूरोप से एक हजार लोग एकत्रित होंगे। साथ ही एफिल टावर के पास उत्सव मनाया जाएगा। इसी तरह अमेरिका में टाइम्स स्क्वायर पर राम मंदिर भूमि पूजन की तर्ज पर 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा। नॉर्थ अमेरिका से लेकर कनाडा तक के मंदिरों में पूजन व दीपोत्सव के आयोजन का फैसला लिया गया है। यही नहीं, अमेरिका में कैलिफोर्निया के साथ ही वाशिंगटन, शिकागो और अन्य शहरों में विशाल कार रैली का आयोजन किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि प्राण प्रतिष्ठा भारतीय समयानुसार दोपहर लगभग 12.30 बजे होगी। उस समय पेरिस में सुबह और अमेरिका में देर रात का समय होगा।

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पेरिस में निकाली जाएगी राम रथ यात्रा


हिंदुओं के आराध्य भगवान राम के मंदिर की स्थापना का जो सपना राम भक्तों ने देखा था वो 500 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद अब साकार होने जा रहा है। ऐसे में दुनिया भर के रामभक्त इस अवसर पर अपने-अपने तरीके से जश्न मना रहे हैं। इसी क्रम में 21 जनवरी 2024 को पेरिस में राम रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर पेरिस में रहने वाले अविनाश मिश्रा नाम के यूजर ने राम रथ यात्रा के बारे में डिटेल साझा की है। उन्होंने लिखा है, 'फ्रांस में रहने वाले हम भारतीय पूरे पेरिस में राम रथ यात्रा और एफिल टावर पर बड़े पैमाने पर उत्सव का आयोजन करके अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण अवसर पर शामिल होंगे।' अविनाश ने अपनी पोस्ट में राम रथ यात्रा का पूरा मैप भी शेयर किया है, जबकि पेरिस में रहने वाले राम भक्तों से इस आयोजन में सम्मिलित होने का अनुरोध भी किया है। उनकी इस पोस्ट को राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ने भी रीट्वीट किया और लिखा कि अयोध्या में जन्मस्थान पर भगवान श्री रामलला सरकार की प्राण प्रतिष्ठा का साक्षी बनना सभी रामभक्तों के लिए एक आशीर्वाद है। 


टाइम्स स्क्वायर पर होगी लाइव स्ट्रीमिंग


हिंदू मंदिर एमपावरमेंट काउंसिल ने नॉर्थ अमेरिका से लेकर कनाडा तक के मंदिरों में पूजन व दीपोत्सव के आयोजन का निर्णय लिया है। विगत कई हफ्तों में वाशिंगटन, शिकागो और दूसरे अमेरिकी शहरों में राम मंदिर के जश्न में कार रैलियां निकाली गई हैं। आयोजकों ने अब कैलिफोर्निया में कार रैली निकालने की योजना बनाई है। उनका कहना है कि वे अयोध्या नहीं आ सकते हैं, लेकिन भगवान राम उनके दिलों में हैं और उनकी घर वापसी में उनकी अटूट श्रद्धा है। यही नहीं, 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट न्यूयॉर्क शहर के टाइम्स स्क्वायर पर भी किया जाएगा। इससे पहले 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर के भूमि पूजन को चिन्हित करते हुए टाइम्स स्क्वायर पर राम मंदिर का एक डिजिटल बिलबोर्ड चलाया गया था। अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन पर न्यूयॉर्क शहर के मेयर एरिक एडम ने कहा है कि अगर हम न्यूयॉर्क शहर में हिंदु समुदाय को देखें तो यह कार्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण है। यह उन्हें जश्न मनाने और अपनी आध्यात्मिकता को ऊपर उठाने का मौका देता है। 


160 देशों में हो रहे विभिन्न आयोजन


विश्व हिंदू परिषद ने भी कई देशों में आयोजन की रूपरेखा तैयार की है। इसके अनुसार दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इन स्थानों पर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लाइव दिखाया जाएगा। अमेरिका में 300, ब्रिटेन में 25, ऑस्ट्रेलिया में 30, कनाडा में 30, मॉरीशस में 100 के अलावा आयरलैंड, फिजी, इंडोनेशिया और जर्मनी जैसे 50 से अधिक देशों में बड़े पैमाने पर रामलला प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा। अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फिजी जैसे 50 देशों के प्रतिनिधियों को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर अयोध्या आने का निमंत्रण भी दिया गया है। वहीं, मुस्लिम बाहुल्य देश इंडोनेशिया, सऊदी अरब में भी लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी। विहिप के अनुसार दुनिया के 160 ऐसे देश हैं जहां हिंदू धर्म के लोग रहते हैं, वहां विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में शोभायात्रा, हवन पूजन, हनुमान चालीसा पाठ और मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग दिखाने की तैयारी है।


रामलला की किलकारियों के साक्षी रहे दशरथ महल को योगी सरकार ने संवारा


चाहे वाल्मीकि रामायण हो, महान कवि तुलसीदास कृत रामचरित मानस हो या चलचित्र के आधुनिक रूपांतरण रामानंद सागर कृत रामायण ही क्यों न हो, रामलला के बाल्यकाल के सुलभ हठ, किलकारियां, हंसने-मुसकुराने, रोने-मनाने की लीलाओं का संबंध जिस महल के प्रांगण से था, त्रेतायुग से लेकर आज तक भी वह यथावत है। 22 जनवरी को रामलला अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान होंगे, तो उसी सुकोमल राजपुष्प के कदमों की आहट एक बार फिर सुनने के पूर्व दशरथ महल का यह प्रांगण भाव विह्वल हो उठा है। उन सरकारों से क्या उम्मीद की जाए, जो कभी सुप्रीम कोर्ट में राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया करती थीं। अखिलेश सरकार में दशरथ महल के जीर्णोद्धार की कोशिशें तो हुईं मगर यह फाइलों में सिमट कर रह गईं। कभी एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर तो कभी एक मेज से दूसरे मेज, कभी बजट का बहाना तो कभी इच्छाशक्ति की कमी। इसका असर यह हुआ कि 31 मार्च 2013 में पहली बार दशरथ महल के जीर्णोद्धार के लिए करीब 2.4 करोड़ का प्रावधान हुआ पर इच्छाशक्ति के अभाव, लालफीताशाही और हीलाहवाली के कारण जीर्णोद्धार का इंतजार बढ़ता गया पर जब महंत योगी आदित्यनाथ सीएम बने तो 16 फरवरी 2021 को लिए गए उनके फैसले ने दशरथ महल से अनदेखी के बादलों को दूर कर नव वैभव की आभा से दैदीप्यमान करने का मार्ग प्रशस्त किया। 


योगी सरकार के प्रयास ने इस महल को गौरवशाली आभा प्रदान की


हम बात कर रहे हैं उसी दशरथ महल की, जहां माता कौशल्या की गोद में पैजनिया पहने ठुमक कर चलते सकल ब्रह्मांड के नायक अपने पिता से चांद पाने का हठ कर लेते हैं और पिता थाली में जल सजाकर दर्पण के रूप में चंद्रमा के प्रतिबिंब को रामलला के लिए साकार कर देते हैं। चंद्रमा को देख पल भर में राम का रुदन पुलकित किलकारियों में परिवर्तित हो गया, जिसकी प्रतिध्वनि से पूरा महल गुंजायमान हो उठता था। क्या माता-क्या पिता, क्या राजा-क्या प्रजा, पुलकित आह्लादित उस सुकुमार के दैदीप्य मुखमंडल पर अपना सब कुछ हार जाने वाली अयोध्या का साक्षी रहा यह खास महल तबसे लेकर अब तक विद्यमान है। इस महल ने त्रेतायुग में साकार राम को देखा और अब कलि काल में भी जल्द ही अपने प्रिय लला को पुनर्प्रतिष्ठित होने की घड़ी देखने वाला है। यह वही दशरथ महल है, जो 500 साल के पराभव काल के दौरान भी मौजूदा रामजन्म भूमि क्षेत्र पर श्रीराम के मंदिर होने के साक्ष्यों की गवाही देता रहा। वर्षों की उपेक्षा के बाद योगी सरकार के प्रयास ने इस महल रूपी मंदिर को गौरवशाली आभा प्रदान की है। 


कभी बनते थे एस्टिमेट, घूमती भी फाइल, पर अमलीजामा योगी ने पहनाया


31 मार्च 2013 को पहली बार दशरथ महल के सौंदर्यीकरण का प्रावधान यूपी सरकार ने किया, लेकिन 2017 तक प्रक्रिया जटिल कागजी प्रणाली में उलझकर रह गई। कभी एस्टिमेट बनते तो कभी फाइल, एक टेबल से दूसरे टेबल तक जाने का यह क्रम चलता रहा। इस क्रम को बदलने का कार्य किया योगी आदित्यनाथ ने। योगी सरकार ने दशरथ महल के जीर्णोद्धार व सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाते हुए करीब तीन करोड़ रुपये के जरिए सत्संग भवन, प्रवेश द्वार, रैन बसेरा व यात्री सहायता केंद्र के निर्माण- पुनरोद्धार व सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया को मूर्त रूप देना प्रारंभ किया। समाजवादी पार्टी की सरकार में 2.4 करोड़ रुपए का प्रावधान था, लेकिन इसकी फाइल घूमती रही और दिनोंदिन लागत बढ़ती गई। योगी सरकार ने करीब तीन करोड़ रुपये खर्च कर इसे सुसज्जित कर दिया। 


चार में से दो परियोजना पूर्ण, 22 के पहले प्रवेश द्वार व सत्संग भवन का काम भी हो जाएगा पूरा


दशरथ महल में रैनबसेरा, यात्री सहायता केंद्र, प्रवेश द्वार व सत्संग भवन का कार्य कराने के लिए धन अवमुक्त किया गया था। रैन बसेरा, यात्री सहायता केंद्र का कार्य 2023 में पूर्ण हो चुका है। प्रवेश द्वार भी लगभग पूर्णता की ओर है। पहले यहां सत्संग भवन में केवल संरचना का कार्य पूर्ण हुआ था पर अब यह सत्संग भवन भी 22 जनवरी के पहले बनकर तैयार हो जाएगा। 650 स्कवायर मीटर में बने सत्संग भवन में मिट्टी, लेवलिंग, टाइल्स, फ्लोरिंग, विंडो, दरवाजे लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है। उप्र निर्माण निगम की देखरेख में सत्संग भवन में मंच भी तैयार हो चुका है। एई बीवी निरंजन के मुताबिक सत्संग भवन में लगभग 300 से 350  सत्संगी एक साथ कीर्तन-भजन की गंगा में डुबकी लगा सकेंगे। एक दिसंबर से शुरू हुआ निर्माण कार्य 22 जनवरी के पहले हर हाल में पूर्ण हो जाएगा। 


2017 के बाद के दशरथ महल पर गौर करेंगे तो पाएंगे-


फसाड लाइटः यह दशरथ भवन की तरफ श्रद्धालुओं को भौतिक रूप से आकर्षित करती है। इसकी शोभा काफी विशिष्ट सज्जा से आभा प्रदान करता है।   


उत्कृष्ट साज सज्जाः भवन का जीर्णोद्धार, चूना-सुर्खी से पुताई, चहारदीवारी का सुदृढ़ीकरण, पहले से खड़े स्ट्रक्चर को श्रद्धालुओं की आस्था के अनुरूप सुसज्जित किया गया। यहां श्रीराम के जीवन को चित्रित करते हुए वाल पेंटिंग, रामचरित मानस के दोहे लिखे हैं। 


सत्संग भवनः यहां 80 फीसदी से अधिक काम हो गए हैं। 22 जनवरी तक यह पूर्ण हो जाएगा। इसके बाद यहां भजनानंदी कीर्तन-सत्संग कर श्रीराम के चरणों में अपनी श्रद्धा निवेदित कर सकेंगे।  


प्रवेश द्वारः पुराने वैभव को संरक्षित करते हुए आधुनिकता का समावेश किया गया है। लंबे समयावधि तक टिकाऊ रहने वाले पेंट-कोटिंग की परत चढ़ाने का कार्य चल रहा है। 


रैन बसेराः रैन बसेरा यहां बनकर तैयार है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिल रहा है। 


यात्री सहायता केंद्रः यहां आने वाले श्रद्धालुओं को यहां की समृद्ध विरासत, ऐतिहासिक महत्व, सांस्कृतिक योगदान व आध्यात्मिक महत्व के बारे में अवगत कराता है।


वैश्विक उदाहरणों का अध्ययन कर पुनर्विकसित की जा रही अयोध्या


आने वाले वर्षों में प्रतिदिन तीन लाख से अधिक लोगों के अयोध्या आने की उम्मीद है और मंदिर शहर की योजना वेटिकन सिटी, कंबोडिया, यरूशलम सहित विदेश में इसी तरह के उदाहरणों तथा भारत के तिरुपति और अमृतसर जैसे स्थानों का अध्ययन करने के बाद बनाई गई है। यह बात इस परियोजना के प्रमुख योजनाकर दीक्षु कुकरेजा ने कही। कुशल भूमि उपयोग, न्यूनतम भीड़, धर्मशालाओं और ‘होमस्टे’ पर ध्यान, शहर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चरित्र को बनाए रखते हुए बुनियादी ढांचे को उन्नत करना, सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स के प्रबंधन प्रमुख कुकरेजा द्वारा तैयार की गई योजना के कुछ मुख्य आकर्षण हैं। कुकरेजा ने कहा, "अयोध्या के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, विरासत संपत्तियों और घटनाओं पर ध्यान देने के साथ एक वैश्विक पर्यटन स्थल बनने की उम्मीद है, क्योंकि आतिथ्य और संबद्ध उद्योगों में महत्वपूर्ण मांग के साथ शहर में कई गुना प्रगति होने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘‘इस शहर को पर्यटन, आर्थिक और धार्मिक गतिविधियों के लिए एक मेगा केंद्र के रूप में विकसित करने की परिकल्पना की गई है। अगले तीन-चार वर्षों के भीतर प्रतिदिन तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं के अयोध्या आने की उम्मीद है।’’


कुकरेजा ने कहा, "बढ़ती आबादी और पर्यटन की जरूरतों को समायोजित करने के लिए, हमने सड़कों, पुलों, सीवेज प्रणाली और उपयोगिताओं जैसे आधुनिक बुनियादी ढांचे को डिजाइन किया, और यह सुनिश्चित किया कि इससे शहर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चरित्र से समझौता न हो। हमने एक टाउनशिप के लिए डिजाइन तैयार करने पर काम किया, जो कुशल भूमि उपयोग को बढ़ावा देता है, भीड़भाड़ को कम करता है और निवासियों के लिए जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाता है।" उन्होंने इससे पहले दिल्ली में एयरोसिटी और द्वारका में ‘यशोभूमि’ -इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (आईआईसीसी) का डिजाइन तैयार किया है। कुकरेजा ने बताया कि उनकी टीम ने जरूरतों को समझने के लिए दुनिया भर के साथ-साथ भारत में मौजूद मंदिर शहरों का अध्ययन किया और वहां अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं से प्रेरणा ली। उन्होंने कहा, "हमने वेटिकन सिटी, यरूशलम और कंबोडिया सहित विदेश में समान स्थानों का अध्ययन किया। हमने तिरुपति और अमृतसर जैसे उदाहरणों पर भी गौर किया। वहां अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं को अयोध्या के स्थानीय संदर्भ के अनुरूप अनुकूलित करने के बाद हमारी योजना में शामिल किया गया है।" 


मास्टर प्लान के अनुसार, पवित्र शहर को उन्नत करने के लिए 85,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ अयोध्या का पुनर्विकास 10 वर्षों में पूरा किया जाएगा। कुकरेजा ने कहा कि अयोध्या पुनर्विकास परियोजना का पहला चरण कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा, "किसी भी स्थान को वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में कनेक्टिविटी बहुत महत्वपूर्ण होती है। हम स्पष्ट थे कि एक घरेलू हवाई अड्डा इस उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकता और हम इसे एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में बदलने के लिए एक दशक तक इंतजार नहीं कर सकते। हवाई अड्डे और पुनर्विकसित रेलवे स्टेशन का पहले ही उद्घाटन किया जा चुका है।" कुकरेजा ने बताया कि अयोध्या की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करना परियोजना का एक प्रमुख पहलू है।

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