By नीरज कुमार दुबे | Aug 06, 2022
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में लंबे समय तक उपेक्षित रहे आदिवासी लोगों को अब उनका हक मिल रहा है। सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के इलाकों में पहले कोई सुविधाएं भी नहीं होती थीं लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद से माहौल बदला है। केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन की ओर से भी इस समुदाय के हित में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आदिवासी समुदाय के लिए कई पहलों की शुरुआत करते हुए समुदाय के टॉप-20 मेधावी छात्रों को लैपटॉप और छात्रवृत्ति तो दी ही साथ ही दो सर्वाधिक अंक लाने वाले छात्रों को एक-एक लाख रुपए नकद पुरस्कार भी दिया। इसके अलावा, छात्रावास के छात्रों के बीच टैबलेट कंप्यूटर और खेल किट वितरित किए गए। इस कार्यक्रम में उन्होंने आदिवासी समुदाय की समृद्धि के लिए बड़ी पहलों की शुरुआत भी की जिस पर समुदाय के लोगों ने खुशी जताई है। आदिवासी छात्रों के लिए जो कार्यक्रम शुरू किये गये हैं उनमें नीट/जेईई के लिए कोचिंग कार्यक्रम और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी कराना शामिल है।
उपराज्यपाल ने "भारत को जानो" कार्यक्रम के तहत आदिवासी छात्रों के दौरे को भी हरी झंडी दिखाई। इस दौरे के तहत 200 आदिवासी छात्र देश के विभिन्न हिस्सों के छात्रावास का दौरा करेंगे। उपराज्यपाल ने कहा कि यह कार्यक्रम छात्रों में 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की भावना पैदा करेगा। उपराज्यपाल ने साथ ही कहा कि जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए जो नई पहल शुरू की गयी हैं वह आदिवासी समुदाय को सभी भेदभाव, भय और असुरक्षा से मुक्त करेंगी। आदिवासी समुदाय ने भी जम्मू-कश्मीर में आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रभासाक्षी संवाददाता ने जब उपस्थित लोगों से बातचीत की तो सभी ने उपराज्यपाल प्रशासन की ओर से की गयी पहलों को सराहा।