Jammu and Kashmir के विकास में रहा था Manmohan Singh का विशेष योगदान, फारूक अब्दुल्ला , महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला सहित कश्मीरी नेताओं ने किया याद

By रेनू तिवारी | Dec 27, 2024

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, जिनका गुरुवार को निधन हो गया। उन्हें कश्मीर में शांति और स्थिरता लाने के उनके प्रयासों के लिए याद किया जा रहा है। भारत के आर्थिक सुधारों के निर्माता और राजनीति की कठिन दुनिया में आम सहमति बनाने वाले डॉ. वी.पी. सिंह का दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। अपनी शांत कूटनीति और बातचीत के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाने वाले डॉ. वी.पी. सिंह ने दशकों पुराने संघर्ष को सुलझाने के लिए हुर्रियत नेताओं और पाकिस्तान सहित प्रमुख राजनीतिक हितधारकों के साथ बातचीत शुरू करके कश्मीर में लंबे समय से चली आ रही बर्फ को तोड़ने की कोशिश की। प्रधान मंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, डॉ. वी.पी. सिंह ने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ से मुलाकात करके और कश्मीर पर चर्चा करके इतिहास रच दिया, जिसे शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम के रूप में देखा गया। हालांकि वार्ता से तत्काल परिणाम नहीं मिले, लेकिन इसे व्यापक रूप से भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नया अध्याय खोलने का प्रयास माना गया, जिसमें कश्मीर चर्चा के केंद्र में था। अप्रैल 2005 में सिंह ने ऐतिहासिक श्रीनगर-मुजफ्फराबाद बस सेवा का भी उद्घाटन किया। यह सेवा लोगों की मुक्त आवाजाही के लिए सीमाओं को आसान बनाने की पहल के अनुरूप थी।

 

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हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने दी मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर दुख व्यक्त किया और उन्हेंश्रद्धांजलि अर्पित की। फारूक ने कहा कि वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन से दुखी हैं। उन्होंने सिंह को सद्भाव के लिए प्रतिबद्ध राजनेता बताया। भारत में आर्थिक सुधारों के जनक मनमोहन सिंह (92) का बृहस्पतिवार रात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। मीरवाइज ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा, डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन से दुखी हूं। मुझे उनके प्रधानमंत्री रहने के दौरान और उससे पहले हुई हमारी मुलाकातें याद हैं, जहां कश्मीर पर बातचीत और सीमाओं के पार लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने को लेकर उनकी ईमानदारी स्पष्ट रूप से दिखाई देती थी। 


महबूबा मुफ्ती ने किया मनमोहन सिंह से मुलाकात को याद

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि दिवंगत प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और विकास के एक नए युग की शुरुआत करने के लिए अथक प्रयास किया। उन्होंने अपने दिवंगत पिता मुफ्ती सईद और सिंह की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा "चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, डॉ. सिंह ने जम्मू-कश्मीर में शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और विकास के एक नए युग की शुरुआत करने के लिए अथक प्रयास किया। वह कम बोलने वाले व्यक्ति थे, जिनकी कल्याणकारी योजनाओं ने जाति, पंथ और धर्म से परे लाखों भारतीयों को राहत पहुंचाई। 

 

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उमर अब्दुल्ला ने कहा- बौद्धिक दिग्गज, एक कुशल अर्थशास्त्री थे, लेकिन सबसे बढ़कर वह एक सज्जन व्यक्ति थे

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने उनसे बातचीत के दौरान बहुत कुछ सीखा है। उमर ने एक्स पर पोस्ट किया "पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ। मुझे उनसे बातचीत करने और उनसे सीखने के कई अवसर मिले। वह वास्तव में एक बौद्धिक दिग्गज, एक कुशल अर्थशास्त्री थे, लेकिन सबसे बढ़कर वह एक सज्जन व्यक्ति थे, जो बौनों के बीच एक दिग्गज थे। उनके निधन से भारत ने एक महान बेटा खो दिया है। शांति से आराम करें सर और हर चीज के लिए धन्यवाद। हालांकि उनके कार्यकाल के दौरान की गई अधिकांश प्रगति नए घटनाक्रमों के कारण दब गई है, लेकिन उनकी शांति पहल का प्रभाव अभी भी गूंज रहा है, खासकर उन लोगों के दिलों में जो अभी भी मानते हैं कि कश्मीर में स्थायी शांति के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।


भारत को एकजुट रखने की कोशिश है मनमोहन सिंह की सबसे बड़ी विरासत: फारूख अब्दुल्ला

नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शुक्रवार को दुख जताते हुए कहा कि उनकी सबसे बड़ी विरासत यह रही कि उन्होंने भारत को एकजुट रखने और देशभर में प्यार फैलाने की कोशिश की। अब्दुल्ला ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘सिंह एक बेहतरीन अर्थशास्त्री थे। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने भारत को एकजुट रखने की कोशिश की। उन्होंने अर्थव्यवस्था को खोला। आज, जब हम एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात करते हैं, तो यह सिंह के ही कारण है।’’ अब्दुल्ला, सिंह के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य भी रहे हैं। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की दूसरी सरकार में अक्षय ऊर्जा मंत्री रहे अब्दुल्ला ने कहा कि सिंह हमारे पड़ोसियों के साथ दोस्ताना संबंध चाहते थे और ‘वह समय आएगा’। उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था राजीव गांधी और नरसिंह राव के शासन के दौरान खुली थी और आज हम खुशी से देख सकते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था प्रगति कर रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल का सदस्य था और भारत में पहली बार किसी ने अक्षय ऊर्जा को मान्यता दी थी। अपने परिवार और अपनी पार्टी की ओर से, मैं सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और आशा करता हूं कि हम और अन्य लोग उनके द्वारा अधूरे छोड़े गए काम को पूरा करेंगे और भाईचारा बनाए रखते हुए इस देश को आगे ले जाएंगे।’’ 


जम्मू कश्मीर में शांति और समृद्धि के लिए सिंह के प्रयासों को याद करते हुए नेकां अध्यक्ष ने कहा कि उनकी सरकार ने कश्मीरी पंडितों को वापस लाने और जम्मू में उनकी कठिनाइयों को दूर करने की कोशिश का सबसे बड़ा कदम उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘3,000 से अधिक कश्मीरी पंडित यहां लौटे और उनके बच्चों को नौकरी दी गई। उनके लिए जगती जैसी कॉलोनियां स्थापित की गईं, ताकि वे अपने घरों में लौटने तक आराम से रह सकें।’’ अब्दुल्ला ने कहा कि सिंह जैसे बहुत कम ही लोग जन्म लेते हैं और जब वे बहुत काम करते हैं तो उन्हें आलोचना का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह उनके परिवार, उनकी पत्नी और बच्चों को इस दर्द को सहन करने की शक्ति दे। उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि इस देश के लिए दिया गया बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाएगा।’’ अब्दुल्ला ने कहा कि वर्तमान सरकार और भविष्य की सरकारों दोनों को सिंह के उदाहरण से सीखना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस पार्टी के लिए उनकी कमी को पूरा करना मुश्किल होगा, अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसा नेता ढूंढना न केवल कांग्रेस पार्टी बल्कि पूरे देश के लिए बहुत मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मनमोहन सिंह के जैसा कोई नहीं है। कोई दूसरा गांधी, कोई नेहरू या शेर-ए-कश्मीर (शेख मोहम्मद अब्दुल्ला) नहीं हुआ।



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