By अनन्या मिश्रा | Oct 05, 2023
इस साल के अंत तक मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं। लेकिन इस दौरान सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा मणिपुर हिंसा है। राज्य में कुकी समुदाय के समर्थन में पूरा राज्य खड़ा हो गया है। आइए जानते हैं कि चुनाव पर इस हिंसा का क्या कुछ असर पड़ सकता है। साल के अंत तक मिजोरम में कुल 40 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं। वहीं साल 2018 के चुनावों की बात करें, तो साल 2018 में मिजो नेशनल फ्रंट ने कुल 40 में से 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
वहीं कांग्रेस जो राज्य में सत्ता में थी, उसके हिस्से में सिर्फ 5 सीटें आई थीं। कुल 2 लाख 38 हजार 168 वोट मिजो नेशनल फ्रंट को मिले थे। साल 2018 के चुनाव में मिजो नेशनल फ्रंट को कुल 37.7 प्रतिशत मत मिले थे। कांग्रेस को 1,89,404 वोट मिले थे। कांग्रेस पार्टी का वोट प्रतिशत 29.98 रहा था। जोरम पीपल्स मूवमेंट को 1,44,925 वोट मिले थे। इस पार्टी का वोट प्रतिशत 22.9 था। बीजेपी को 51,087 वोट मिले थे और पार्टी की मतदान प्रतिशत 8.09 था। बीजेपी के हिस्से में एक सीट आई थी।
अहम मुद्दे
साल 2023 में विधानसभा चुनावों में मणिपुर बनाम मिजोरम एक अहम मुद्दा है। क्योंकि असम से विरोध होने के बाद भी मिजोरम ने मणिपुर के विरोध में जातिगत आधार पर लड़ाई की है।
मिजोरम और असम के बीच सीमा विवाद, हैलाकंडी और करीमगंज जैसे क्षेत्रों में और खासकर काचार हिल्स एक अहम मुद्दा है।
मिजोरम चुनावों के अहम मुद्दे में हिंसक संघर्ष होगा।
इसके अलावा इनके बीच जनजातीय और नैतिक अधिकार भी इन चुनावों का मुद्दा बन सकता है।
राज्य के जनजातियों के अधिकारों, सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा, जनजातीय जनसंख्या के साथ और समान वितरण से संबंधित मुद्दे हो सकते हैं।
साथ ही, राज्य में लैंगिक समानता, महिला सुरक्षा और महिलाओं की सरकार में प्रतिनिधित्व के मुद्दे भी उठाए जा सकते हैं।
कुकी मुद्दा मिजोरम में एक जटिल और ऐतिहासिक रूप से जुड़ी हुई समस्या है। भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वोत्तर क्षेत्र में कुकी लोग एक प्रमुख जनजाति हैं। मिजोरम समेत अन्य राज्यों में कुकी समुदाय बड़ी संख्या में है।