By नीरज कुमार दुबे | Dec 16, 2024
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने इसे अपने जीवन की विडंबना बताया है कि गांधी परिवार ने ही उनका राजनीतिक करियर बनाया और गांधी परिवार ने उसे खत्म भी किया। अय्यर ने यह भी कहा कि 10 साल तक उन्हें एक बार के अलावा सोनिया गांधी से अकेले मिलने या राहुल गांधी के साथ कोई सार्थक समय बिताने का मौका नहीं दिया गया। हम आपको बता दें कि ‘जगरनॉट’ द्वारा प्रकाशित अपनी आगामी पुस्तक ‘‘ए मैवरिक इन पॉलिटिक्स’ पर एक समाचार एजेंसी के साथ एक साक्षात्कार में अय्यर ने कहा कि उन्हें ‘सब कुछ मिला’ लेकिन अंत में वह ‘पार्टी में पूरी तरह से अलग-थलग’ पड़ गए। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह अब भी पार्टी के सदस्य हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘मैं कभी नहीं बदलूंगा, और मैं निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में नहीं जाऊंगा।’’
गांधी परिवार के संरक्षण के बारे में पूछे जाने पर अय्यर ने कहा, ‘‘यदि आप एक व्यक्ति के रूप में राजनीति में सफल होना चाहते हैं, तो आपके पास एक बहुत मजबूत आधार होना ही चाहिए। या तो आपके पास एक निर्वाचन क्षेत्र हो जहां आप कभी हारे नहीं हों या आप अपराजेय हों, या आपका कोई जातिगत या धार्मिक आधार हो, मेरे पास इनमें से कुछ भी नहीं था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे केवल संरक्षण प्राप्त था। मुझे (पूर्व) प्रधानमंत्री राजीव गांधी का समर्थन प्राप्त था। तब मुझे सोनिया गांधी का भी समर्थन प्राप्त था। लेकिन राजनीति में रहने के लिए यह एक बहुत ही अनिश्चित आधार है। इसलिए जब सोनिया गांधी गुस्सा हो गईं 2010 में, तो वह संरक्षण वापस ले लिया गया। हालांकि, इसे अभी तक पूरी तरह वापस नहीं लिया गया है।’’ अय्यर ने कहा कि व्यक्तिगत स्तर पर सोनिया गांधी के मन में उनके प्रति कुछ स्नेह अब भी है।
उन्होंने साक्षात्कार के दौरान कहा, ‘‘तो यह बहुत धीमी गिरावट थी। लेकिन यह गिरावट लगभग 15 वर्षों की अवधि में हुई... और फिर, एक बार जब राहुल गांधी आए तो मुझे लगा कि यह बढ़ने वाला है। क्योंकि उन्होंने मुझसे कहा था जहां वह मुझसे 75 प्रतिशत सहमत हुआ करते थे, वहां उन्होंने कहा कि अब मैं आपसे 100 प्रतिशत सहमत हूं।’’ अय्यर ने कहा, ‘‘और फिर उन्होंने अपनी मां से कांग्रेस में मेरे एकमात्र पद से मुझे हटाने के लिए कहकर यह साबित कर दिया कि वह मुझसे 100 प्रतिशत सहमत हैं। यह पार्टी के पंचायती राज संगठन के राष्ट्रीय संयोजक का पद था, जिसका नाम राजीव गांधी के नाम पर रखा गया था। इसके बाद उन्होंने मुझसे मिलने से इनकार कर दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि आज, मैं पूरी तरह से अलग-थलग हूं।’’ अय्यर ने कहा कि जिस परिवार ने उन्हें अवसर दिया था, उसी परिवार ने उनसे वह अवसर वापस ले लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘कारण यह दिया गया है कि मुझे सब कुछ मिला है। और मेरे पास है भी। मैं सत्ता पक्ष के रूप में संसद का सदस्य रहा हूं। मैं सांसद के रूप में विपक्ष में भी रहा हूं। मैं मंत्री रहा हूं। मैं मंत्रालय से बाहर हो गया हूं और अब भी सांसद हूं, इसलिए मेरे पास सब कुछ है, लेकिन मैं पार्टी में पूरी तरह से अलग-थलग हूं।’’ दिग्गज नेता ने कहा कि 10 साल तक उन्हें सोनिया गांधी से प्रत्यक्ष मुलाकात या राहुल गांधी के साथ कोई सार्थक समय बिताने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने दो मौकों को छोड़कर प्रियंका के साथ भी मेरी मुलाकात नहीं हुई है। वह मुझसे फोन पर बात करती हैं, इसलिए मैं उनके संपर्क में हूं। इसलिए मेरे जीवन की विडंबना यह है कि मेरा राजनीतिक करियर गांधी परिवार ने बनाया और गांधी परिवार ने ही इसे खत्म कर दिया।’’ अय्यर ने अपनी पुस्तक के एक अध्याय में अपने ‘गिरावट...ओझल...पतन’ का विवरण दिया है।
अय्यर ने किताब में कहा है कि 2010 में एक साक्षात्कार में दिग्विजय सिंह ने नक्सलवाद से निपटने के बारे में विचार व्यक्त किए थे। अंत में जब सिंह से पूछा गया कि क्या उन्होंने अपने विचारों से तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम को अवगत कराया था, तो उन्होंने चिदंबरम को ‘अहंकारी’ और ‘सलाह नहीं सुनने वाला’ व्यक्ति बताया था। वह बताते हैं कि कैसे अगले दिन एक टीवी रिपोर्टर ने सिंह के साक्षात्कार पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी, और नक्सलवाद पर टिप्पणियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था, ‘‘मैं उनसे ‘एक लाख प्रतिशत’ सहमत हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘साक्षात्कार के अंत में रिपोर्टर ने पूछा कि क्या मैं केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम के बारे में दिग्विजय की राय से सहमत हूं, तो मैंने सावधानी से जवाब दिया कि चूंकि पीसी तमिलनाडु राज्य में मेरे वरिष्ठ सहयोगी हैं, इसलिए मैं उन पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।’’
किताब में अय्यर कहते हैं कि जब टेलीविजन पर साक्षात्कार को प्रसारित किया गया तो 'एक लाख प्रतिशत' टिप्पणी को अधिक ‘हाइलाइट’ किया गया और चिदंबरम पर ‘कोई टिप्पणी नहीं’ को हटा दिया गया। वह आगे बताते हैं कि कैसे 15 अप्रैल, 2010 को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने से ठीक एक घंटे पहले, उन्हें इस मुद्दे पर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर फटकार मिली थी। अय्यर ने कई विवादों के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें 2017 का ‘नीच’ टिप्पणी विवाद और उसके बाद पार्टी से उनका निलंबन भी शामिल है। वह बताते हैं कि उस घटना के साथ गांधी परिवार के साथ उनकी दूरियां कैसे बढ़ गईं, उन्होंने कहा कि उनके पतन की तारीख सात दिसंबर, 2017 कही जा सकती है, जब उन्होंने यह टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा कि इसके बाद राहुल गांधी ने उन्हें इस तरह दूर रखा जैसे कि वह ‘कोई राजनीतिक कोढ़ी’ हों। अय्यर ने कहा कि उन्हें राहुल गांधी से बात करने की अनुमति नहीं दी गई जब तक कि उनका पार्टी से निलंबन रद्द नहीं हो जाता। इस बीच राहुल गांधी का जन्मदिन कुछ हफ्ते बाद आने वाला था तो अय्यर ने सोचा कि यह पार्टी में दोबारा शामिल होने के लिए अपने मामले पर जोर देने का अवसर है। इसके बाद उन्होंने जन्मदिन के बधाई पत्र के बहाने अपने निलंबन को रद्द करने के लिए एक पत्र तैयार किया। अय्यर कहते हैं, ‘‘मसौदा पत्र भेजने से पहले इसे मैंने पत्नी सुनीत को सौंपा तो वह चिल्लाने लगीं। उन्होंने कहा, ‘क्या आपके पास कोई आत्म-सम्मान नहीं है?’ उन्होंने मुझसे पूछा, ‘आप इस तरह क्यों घबरा रहे हो?’ मैं वाकई इसका कारण नहीं जानता था। यह वह मानक तरीका था जिसमें कांग्रेसी अपने अधिकारों के लिए अपने अध्यक्ष से भीख मांगते थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां मैं, सुनीत ने जवाब दिया, अपने से 30 साल छोटे व्यक्ति के सामने घुटने टेककर भीख मांग रहा था। किस लिए? तीन दशकों तक पार्टी की सेवा करने और उनके पिता का साथ देने के लिए?’’
मणिशंकर ने कहा, ‘‘मुझे क्या चाहिए था? पिछली चौथाई सदी में अपनी योग्यता साबित करने के बाद कांग्रेस की छत्रछाया में एक छोटा सा कोना? क्या मुझे एहसास नहीं हुआ कि मुझे उन लोगों द्वारा बलि का बकरा बनाया जा रहा था जो खुद को बचाना चाहते थे? क्या मुझे ये दिखाई नहीं दे रहा था कि उनके लिए मैं अब किसी काम का नहीं था, तो मुझे गंदे ‘टिशू पेपर’ की तरह फेंका जा रहा था? मैं अपने सम्मान को बचाए रखते हुए क्यों न चला जाऊं?’’ इसके बाद अय्यर ने दोनों पत्रों को खारिज करने के बाद एक तीसरा पत्र लिखा जिसे उनकी पत्नी ने देखने से भी इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने इस पत्र को भेज दिया। इसके बाद उन्हें एक हफ्ते के इंतजार के बाद पत्र का जवाब मिला जिसमें उन्हें जन्मदिन की शुभकामना देने के लिए महज धन्यवाद कहा गया था जैसा कि राहुल गांधी ने सैंकड़ों लोगों को भेजा होगा।
फिर अचानक एक दिन, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी के राजू, जो उस समय राहुल गांधी के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक थे, उन्हें गोपनीय रूप से सूचित करने के लिए आए कि उन्हें राजीव गांधी के जन्मदिन, 20 अगस्त को पार्टी में फिर से शामिल किया जा रहा है। किताब के मुताबिक, उस दिन उनकी राहुल गांधी से मुलाकात होनी थी, लेकिन निलंबन तो रद्द हो गया पर मुलाकात नहीं हुई।