By अनन्या मिश्रा | Jul 19, 2024
देश में आजादी की लड़ाई का पहली बार शंखनाद करने वाले अमर शहीद मंगल पांडे का आज ही के दिन यानी की 19 जुलाई को जन्म हुआ था। इतिहास के पन्नों में मंगल पांडे का नाम हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में लिख दिया गया। आजादी की लड़ाई हमने वर्षों लड़ी थी, लेकिन सबसे पहली बार 1857 में मंगल पांडे द्वारा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंका गया था। 1857 में भारत के पहले स्वाधीनता संग्राम में मंगल पांडे ने अहम भूमिका निभाई थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर मंगल पांडे के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में 19 जुलाई 1827 को मंगल पांडे का जन्म हुआ था। मंगल पांडे ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था। महज 22 साल की उम्र में मंगल पांडे का ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना चयन हो गया और वह बंगाल नेटिव इंफेंट्री की 34 बटालियन में शामिल हो गए। बता दें कि इस बटालियन में ब्राह्मणों की भर्ती अधिक होती थी। जिस कारण से मंगल पांडे का भी इसमें चयन हो गया था।
स्वाधीनता संग्राम में निभाई अहम भूमिका
साल 1857 में भारत के पहले स्वाधीनता संग्राम में मंगल पांडे ने अहम भूमिका निभाई थी। दरअसल, उन्होंने अपनी ही बटालियन के खिलाफ विद्रोह शुरूकर दिया था। अंग्रेसी शासन ने इस बटालियन को एन्फील्ड राइफल दी थी। इसका निशाना अचूक था, लेकन इसमें गोली भरने वाली प्रक्रिया पुरानी थी। इस राइफल में गोली भरने के लिए कारतूस को मुंह से खोलना होता था। इसी बीच यह अफवाह फैल गई कि कारतूस में गाय और सुअर के मांस का उपयोग होता है, ऐसे में ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले मंगल पांडे ने इसका विरोध किया।
विरोध करने पर मंगल पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया। इसी बगावत ने उनको मशहूर कर दिया और आजादी की ज्वाला में घी डालने का काम किया। मंगल पांडे कहते थे, 'अंत ही आरंभ है' और मंगल पांडे के जीवन का अंत स्वाधीनता संग्राम का आरंभ था। बंदूक की गोली के कारण शुरू हुए 1857 के विद्रोह की शुरुआत आजादी मिलने तक जारी रहेगी। यह किसी ने शायद ही सोचा हो।
मृत्यु
अंग्रेजी हुकूमत को मंगल पांडे का विद्रोह पसंद नहीं आया। वहीं अंग्रेजी अफसरों पर गोली चलाने और हमला करने के कारण उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उनको 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जानी थी। लेकिन बताया जाता है कि बैरकपुर के सभी जल्लादों ने मंगल पांडे को फांसी पर चढ़ाने से इंकार कर दिया। ब्रिटिश हुकूमत को लगा कि मंगल पांडे की फांसी से हालात बेकाबू हो सकते हैं। जिसके कारण मंगल पांडे को तय तारीख से 10 दिन पहले यानी की 08 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई।