By अंकित सिंह | Mar 27, 2021
ममता बनर्जी के उदय के साथ ही नंदीग्राम पश्चिम बंगाल में राजनीति का केंद्र बनता गया। इस बार के भी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम प्रतिष्ठा का केंद्र बना हुआ है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यहां से अपनी किस्मत आजमा रही हैं तो वहीं कुछ दिन पहले तक उनके साथ ही रहे और अब बीजेपी के बड़े चेहरे हो चुके शुभेंदु अधिकारी उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। कुल मिलाकर देखें तो नंदीग्राम दोनों ही नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का केंद्र बन गया है। इसके अलावा दोनों ही दलों की ओर से नंदीग्राम में जीत सुनिश्चित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है। इन सबके बीच भाजपा की ओर से तरह-तरह के दावे किए जा रहे है। भाजपा भी यह मानकर चल रही है कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी को कड़ी टक्कर दे रही है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमित मालवीय ने एक वीडियो ट्वीट कर दावा किया है कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी और टीएमसी विवश नजर आ रही है।
भाजपा की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि नंदीग्राम में अपनी हार को देखते हुए ममता बनर्जी बौखला गई हैं। भाजपा ने यह भी दावा किया कि ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष प्रोलोय पाल को फोन किया और मदद की गुहार लगाई। इस वीडियो में ममता बनर्जी और प्रोलोय पाल के बीच लंबी बातचीत सुनाई दे रही है। ममता बनर्जी के मदद की गुहार के बाद प्रोलोय पाल ने उनसे कहा कि टीएमसी ने उसे बहुत अपमानित किया है। अब वह अपने परिवार के साथ भाजपा को धोखा नहीं दे सकता है। इसके बाद भाजपा ने यह दावा किया है कि निश्चित रूप से पीसी नंदीग्राम में और टीएमसी बंगाल में हार रही है। एक और ट्वीट में अमित मालवीय ने दावा किया है कि जब पश्चिम बंगाल में पहले चरण का मतदान जारी है तो टीएमसी प्रवक्ता ममता बनर्जी के नंदीग्राम से चुनाव जीतने को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के नंदीग्राम में जीत को लेकर चिंतित टीएमसी बंगाल को लेकर क्या सोच रही होगी? उन्होंने आगे दावा किया कि पीसी और टीएमसी चुनाव हार रही है। दोनों नंदीग्राम और बंगाल खो रहे हैं।
खुद को बाहरी कहे जाने पर बनर्जी, अधिकारी को ‘मीर जाफर’ करार दे रही हैं। रोचक बात यह है कि इन सबके बावजूद वे राजनीतिक दल भी अब नंदीग्राम में औद्योगीकरण का वायदा कर रहे हैं जिन्होंने पूर्व में क्षेत्र में वाम सरकार द्वारा प्रस्तावित एक रसायन हब का विरोध किया था। नंदीग्राम सीट भाजपा के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है क्योंकि यदि अधिकारी की हार हुई तो नई पार्टी में उनकी प्रगति के द्वार बंद हो सकते हैं। यहां पहचान की राजनीति भी केंद्र में है। बनर्जी अधिकारी के ‘आक्रामक हिन्दुत्व’ का मुकाबला करने के लिए ‘सॉफ्ट हिन्दुत्व’ का कार्ड खेल रही हैं। अधिकारी की चुनाव रैलियों में जहां ‘जय श्रीराम’ के नारे लगते हैं, वहीं बनर्जी भी अपनी रैलियों में ‘चंडी पाठ’ करती दिखती हैं। अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के भाजपा के आरोपों के जवाब में बनर्जी अपनी हिन्दू, और विशेषकर ब्राह्मण पहचान उजागर करती नजर आती हैं। 12 मंदिरों के दर्शन करना भी उनकी इसी रणनीति का हिस्सा है। बनर्जी ने जहां कई विकास परियोजनाओं और एक विश्वविद्यालय का वायदा कर नंदीग्राम को आदर्श क्षेत्र बनाने की बात कही है तो वहीं अधिकारी ने नंदीग्राम को औद्योगिक वृद्धि के एक नए युग में ले जाने का वायदा किया है। माकपा उम्मीदवार मीनाक्षी मुखर्जी का आरोप है कि भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही लोगों को गुमराह कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब हम नंदीग्राम में उद्योग लाना चाहते थे तो तृणमूल कांग्रेस ने इसका विरोध किया था और लोगों को गुमराह किया था। अब जब लोग उद्योग चाहते हैं तो वह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मुद्दा ला रही है।