By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 24, 2020
मुंबई। महाराष्ट्र में कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि पालघर में भीड़ द्वारा तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या किये जाने की घटना के दो आरोपी भाजपा के सदस्य हैं और भगवा पार्टी को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। हालांकि, भाजपा ने इस आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि उसके द्वारा उल्लेख किये जा रहे दोनों लोग भगवा पार्टी के सदस्य नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ईश्वर निकुले और भाऊ साठे को आरोपी संख्या क्रमश:61 और 65 के रूप में नामजद किया गया है। वे दोनों पालघर जिले में भाजपा की दहानु मंडल इकाई के पदाधिकारी हैं।
सावंत ने कहा कि भाजपा को अपने पदाधिकारियों के खिलाफ अवश्य ही कार्रवाई करनी चाहिए, जो दो साधुओं और उनके चालक की हत्या के आरोपी हैं। साथ ही, केंद्र में सत्तारूढ़ इसकी (भगवा पार्टी की) सरकार को भीड़ हिंसा पर रोक लगाने के लिये एक कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि निकुले को भाजपा दहानु मंडल के आधिकारिक फेसबुक पेज पर गादचिंकल गांव के बूथ स्तरीय पदाधिकारी के तौर पर देखा जा सकता है। इसी गांव में बच्चा चोर होने के संदेह में भीड़ ने बृहस्पतिवार रात दो साधुओं सहित तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
इस मामले में 100 से अधिक लोगों को आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है। सावंत ने आरोप लगाया कि साठे भी इसी गांव के बूथ स्तरीय पदाधिकारी (भाजपा के) हैं। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती देवेंद्र फडणवीस सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करने के लिये भाजपा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ली गई कई तस्वीरों में से एक में निकुले भी दिख रहा है। सावंत ने कहा कि ग्राम पंचायत सरपंच चित्रा चौधरी को भी तस्वीरों में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भाजपा पिछले 10 साल से इस ग्राम पंचायत में सत्तारूढ़ है। सांवत ने कहा कि चौधरी के अलावा, स्थानीय भाजपा मंडल प्रमुख संगीता कोटेला और दहानु पंचायत समिति प्रमुख रमा ठाकरे भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार भीड़ हिंसा की इस घटना में संलिप्त लोगों को अदालत के कठघरे में ले जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि भाजपा ने साधुओं की हत्या के आरोपी अपने लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।’’
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सावंत ने मांग की कि केंद्र भीड़ हिंसा के खिलाफ एक कानून लाए, जैसा कि उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि शीर्ष न्यायालय के निर्देश के बावजूद केंद्र सरकारपिछले दो साल में भीड़ हिंसा के खिलाफ कानून नहीं लायी। सावंत ने कहा कि इसके अलावा इस सिलसिले में 11 दिशानिर्देश भी जारी किये गये लेकिन केंद्र सरकार ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बाद जुलाई 2019 में भी शीर्ष न्यायालय ने भीड़ हिंसा के मामलों पर संज्ञान लिया और केंद्र को एक नोटिस भेज कर पूछा कि पूर्व के निर्देशों पर क्या कदम उठाये गये हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा, ‘‘पालघर घटना के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन किया लेकिन भीड़ हिंसा की घटनाओं के खिलाफ कानून लाने के लिये कुछ नहीं किया।’’ उन्होंने कहा कि भीड़ हिंसा की घटनाएं अन्य राज्यों में भी हुई। लेकिन भाजपा के किसी वरिष्ठ नेता ने कोई चिंता नहीं प्रकट की। इसके बजाय कुछ मामलों में आरोपियों का अभिनंदन किया गया। संपर्क किये जाने पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कांग्रेस के आरोप को खारिज करते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस द्वारा उल्लेख किये गये दोनों लोग भाजपा कार्यकर्ता नहीं हैं। तस्वीरें (कांग्रेस द्वारा जारी) सार्वजनिक कार्यक्रम की हैं जिनमें कई ग्रामीण शामिल हुए थे।